जीएसटी धोखाधड़ी के खेल में सिलीगुड़ी से लेकर सिक्किम और गुजरात के कई व्यापारी जुड़े हुए हैं. आने वाले कुछ दिनों में कई व्यापारी जेल जा सकते हैं. फर्जी बिल के जरिए करोड़ों रुपए की हेरा फेरी करने का यह मामला काफी चौंकाने वाला है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सिक्किम, सिलीगुड़ी और उत्तर बंगाल के कई व्यापारी सरकार को चूना लगा रहे थे. सिलीगुड़ी जीएसटी यूनिट मामले की जांच कर रही है. सूत्रों ने बताया कि बहुत जल्द उत्तर बंगाल, सिलीगुड़ी, सिक्किम और गुजरात से कई व्यापारियों को गिरफ्तार किया जा सकता है.
जीएसटी सिलीगुड़ी यूनिट के सूत्रों से जो जानकारी मिली है उसके अनुसार अधिकारी मामले की गंभीरता से जांच कर रहे हैं. कुछ व्यापारियों के नाम सामने आने लगे हैं. परंतु अधिकारी किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले पुख्ता जानकारी और साक्ष्य जुटा लेना चाहते हैं. उसके बाद इस मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी. सूत्रों ने बताया कि इस बार विभाग कुछ व्यापारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की योजना बना रहा है.
सिक्किम में दो ऐसे व्यापारिक प्रतिष्ठानों के नाम सामने आए हैं, जो केवल कागजों पर ही चल रहे हैं. जबकि इन प्रतिष्ठानों का जमीन से कोई लेना देना नहीं है. वास्तव में केंद्रीय जीएसटी विभाग, सिलीगुड़ी शाखा के अधिकारी दो व्यापारिक प्रतिष्ठानों की संदिग्ध गतिविधियों और फर्जीवाड़ा को पाने के बाद सिक्किम में उनके ठिकानों पर छापा मारने पहुंचे थे. लेकिन काफी ढूंढने के बाद भी दोनों प्रतिष्ठान नहीं मिले.
इन दोनों ही प्रतिष्ठानों के नाम ठाकुर और भारवाल एंटरप्राइजेज है. जीएसटी विभाग की सिलीगुड़ी यूनिट सिलीगुड़ी से लेकर सिक्किम तक ऐसे प्रतिष्ठानों पर छापे मार रही है, जिनके बारे में अधिकारियों को फर्जीवाड़े का पता चला है. यह संस्थान फर्जी बिलों के आधार पर करोड़ों रुपए की जीएसटी इनपुट रिटर्न में लगे थे. इसी क्रम में सिक्किम में संचालित ठाकुर और भारवाल इंटरप्राइजेज के नाम सामने आए.
अधिकारियों को जांच के क्रम में पता चला कि इन संस्थाओं के नाम फर्जी बिल जारी किए गए थे और इनपुट रिटर्न फाइल किया गया था. पिछले कई दिनों से सिलीगुड़ी और सिक्किम में जीएसटी धोखाधड़ी को लेकर विभाग की ओर से छापेमारी चल रही है. जीएसटी सिलीगुड़ी इकाई के कमिश्नर डॉक्टर जितेश नागोरी को अपने सूत्रों से पता चला कि ठाकुर और भरवल एंटरप्राइजेज दोनों ही व्यापारिक संस्थाओं की गतिविधियां काफी संदिग्ध है. बाद में जांच और जीएसटी रिटर्न की स्कैनिंग के बाद सब कुछ साफ हो गया. उसके बाद जीएसटी सिलीगुड़ी यूनिट ने सिक्किम में व्यापारिक ठिकानों पर छापेमारी की.
जीएसटी अधिकारी तब चकित रह गए, जब उन्होंने पाया कि सिक्किम में तो यह संस्थान ही नहीं है. जब यह संस्थान ही नहीं चल रहे हैं तो ऐसे में दोनों फर्जी संस्थाओं ने जीएसटी नंबर कैसे लिया? इसका मकसद क्या था? फिर जीएसटी नंबर लेकर इसके आधार पर आईटीसी के फर्जी बिल काटना और इन बिलों के जरिए करोड़ रूपये का घोटाला करना, अधिकारियों को सारी बात समझ में आ गई.जीएसटी विभाग के लिए यह मजबूत और पुख्ता प्रमाण था. उन्होंने जांच में पाया कि फर्जी बिल केवल जीएसटी का इनपुट रिटर्न प्राप्त करने के लिए जारी किए जाते थे. जबकि वास्तविक व्यापार का इससे कोई लेना देना नहीं था.
(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)