November 15, 2024
Sevoke Road, Siliguri
उत्तर बंगाल लाइफस्टाइल सिलीगुड़ी

डुवार्स क्षेत्रों में रेल-हाथी की नहीं होगी टक्कर!

सिलीगुड़ी के आसपास अत्यधिक जंगल और वन क्षेत्र हैं, जहां जंगली पशु और खासकर हाथी रहते हैं. सिलीगुड़ी से आप असम की ओर जाएं या फिर सेवक की ओर, जंगलों से नाता नहीं छूटता है. रेलगाड़ी से आप इन क्षेत्रों की यात्रा करें तो रास्ते में जंगली हाथियों का झुंड गुजरते देख सकते हैं. जंगली हाथी शिकार या चारे की तलाश में रेलवे ट्रैक पर भी आ जाते हैं.

एक समय था जब रेलवे के पास कोई ऐसा सिस्टम विकसित नहीं हुआ था जिससे पता चले कि हाथी रेलवे ट्रैक पर आ गए हैं. स्टेशन से गाड़ी खुलने के बाद चालक अगले स्टेशन के सिग्नल के हिसाब से गाड़ी ले जाता था. रेल गाड़ियों के चालक की नजर ट्रैक से गुजरते हाथियों पर नहीं पड़ने के कारण हाथियों के साथ आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती थी. पूर्व में डुवार्स क्षेत्र में इस तरह की अनेक दुर्घटनाओं में अनेक हाथियों की ट्रेन से कटकर मौत हो चुकी है.

डुवार्स इलाकों में अलीपुरद्वार, कूचबिहार, जलपाईगुड़ी,सेवक, और असम में रंगिया, लामडिंग आदि ऐसे क्षेत्र हैं जहां वनों की तादाद सर्वाधिक है. दिन में इन क्षेत्रों से गुजरने पर भी अंधेरा रहता है. यह सभी ऐसे इलाके हैं जहां ट्रेन और हाथी की टक्कर होती रहती है. उपयुक्त सिस्टम के अभाव में रेल गाड़ियों से विजिबिलिटी तो और भी कम हो जाती है. ऐसे में इन क्षेत्रों में जंगली हाथियों के साथ दुर्घटनाओं का होना स्वाभाविक है. परंतु यह सब कल की बात है.

अब रेलवे ने हाथियों की जान बचाने के लिए एक नया सिस्टम विकसित कर लिया है. अब से नहीं जाएगी किसी भी हाथी की जान. रेल के ड्राइवर को पता चल जाएगा कि हाथियों का झुंड किस ओर आ रहा है और क्या हाथी रेलवे ट्रैक पर निकले हैं? यह ऐसा आधुनिक सिस्टम है कि रेल चालक को सब कुछ पता चल जाएगा और वह गाड़ी रोक देगा. रेल मंत्रालय ने सिस्टम के विकास पर इस पर 77 करोड रुपए आवंटित किए हैं.

रेल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हाथियों की लोकेशन का पता करने वाला यह सिस्टम है. जब हाथियों का झुंड ट्रेन की पटरियों के पास आएगा तो नजदीकी रेलवे स्टेशन को एक संदेश जाएगा. जिसके बाद ट्रेन के ड्राइवर को गति धीमी करने के लिए अलर्ट मैसेज भेजा जाएगा. इसके साथ ही राज्य वन विभाग को भी अलर्ट भेजा जाएगा ताकि हाथियों के झुंड को पटरियों से दूर करने का काम कर सकें.

अलीपुरद्वार के डिविजनल मैनेजर अमरजीत गौतम ने कहा है कि केंद्रीय मंत्रालय किसी भी कीमत पर ऐसी टक्कर को रोकने के लिए गंभीर है. उन्होंने बताया कि पिछले डेढ़ साल में कम से कम 83 हाथियों की जान बचाई गई है. इसको लेकर ट्रेन चालकों को सख्त निर्देश भी दिए गए हैं कि वह हाथी गलियारों से गुजरते समय ट्रेन की गति 30 किलोमीटर प्रति घंटे रखें. इसके अलावा रेलवे ट्रैक पर हाथियों का झुंड देखने के बाद तुरंत ही आपातकालीन ब्रेक का उपयोग कर ट्रेन को रोकें.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *