सिलीगुड़ी में कड़ाके की सर्दी पड़ने लगी है. दिसंबर का महीना चल रहा है. इस समय बाजार में हरी सब्जियां सस्ती हो जाती हैं और एक साधारण उपभोक्ता की क्रय शक्ति की जद में आ जाती है. पर सच्चाई यह है कि सब्जियों की महंगाई कम नहीं हुई है. 2 महीने पहले बाजार में सब्जियों के जो रेट थे, आज भी कमोबेश वैसे ही बने हुए हैं. इससे कहीं ना कहीं सिलीगुड़ी का आम उपभोक्ता निराश है.
सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है, कुछ सब्जियों के भाव में ₹5 से लेकर ₹10 तक कमी जरूर आई है. इसके अलावा साग जाति की सब्जियां कुछ सस्ती हुई है. जैसे पालम साग सस्ता हुआ है. सरसों का साग भी कुछ सस्ता हुआ है. लेकिन मेथी का साग अभी भी महंग बिक रहा है. बाजार में टमाटर का रेट अभी भी ₹80 से लेकर ₹90 तक प्रति किलो बिक रहा है. जबकि इस मौसम में टमाटर का भाव काफी नीचे आ जाता है.
सिलीगुड़ी के बाजार में सबसे ज्यादा महंगी हरी मटर है, जो 125 रुपए प्रति किलो की दर से बिक रही है. प्याज के रेट में कुछ कमी आई है. दो सप्ताह पहले प्याज ₹80 प्रति किलो बिक रहा था. इस समय ₹60 प्रति किलो की दर से बिक रहा है. लेकिन बैंगन के दाम में कोई कमी नहीं आई है. आज भी बैंगन ₹50 से ₹60 प्रति किलो बिक रहा है. फूल गोभी का भाव ₹50 प्रति किलो पर स्थिर बना हुआ है. जबकि बंधा गोभी का भाव ₹40 प्रति किलो फुटकर बाजार में है.
बाजार में नया आलू आ गया है. लेकिन उसका भाव ₹50 प्रति किलो खुदरा बाजार में है. पुराना आलू ₹30 से लेकर ₹35 प्रति किलो बिक रहा है. शिमला मिर्च का भाव भी स्थिर बना हुआ है. इसी तरह से कई अन्य सब्जियों के रेट में भी कोई गिरावट नहीं आई है.जबकि इस मौसम में पिछले साल सब्जियों की कीमत काफी नीचे चली आयी थी और ₹30 प्रति किलो से ज्यादा नहीं थी.
सिलीगुड़ी के सब्जी व्यापारियों और जानकारों की माने तो हरी सब्जियों की कीमत में ज्यादा गिरावट आने के आसार नहीं है. प्याज और टमाटर की महंगाई सर्वत्र है. स्थानीय सब्जी उत्पादक किसानों ने बरसात के कारण सब्जियों की खेती या तो नहीं की या फिर खेत में ही उनकी सब्जियां सड़ गल गई. इसलिए बाजार में लोकल सब्जियां नहीं आ रही है. हालांकि नया आलू बाजार में आ गया है. लेकिन भाव में कमी आने में कुछ वक्त लगेगा. सब्जी व्यापारियों के अनुसार इस महीने के आखिर तक या जनवरी में सब्जियों के भाव में कमी आ सकती है. उससे पहले यह संभव नहीं दिख रहा है.
हालांकि यह माना जाता है कि सर्दियों में सब्जियों की उपज बढ़ जाती है. किसान खेतों से सब्जियां काट कर बाजार में ले आते हैं और जो भाव भी मिल जाए, उसमें बेच देते हैं. लेकिन इस बार सब्जियों की खेती नगण्य होने से बाजार पर इसका प्रभाव पड़ रहा है. बाजार में उपभोक्ता सस्ती सब्जियों की तलाश कर रहे हैं. दूसरी तरफ हालात इसके विपरीत हैं. जब तक सब्जियों की आवक नहीं बढ़ती है, तब तक सिलीगुड़ी के बाजार में सब्जियों के रेट में भारी कमी की गुंजाइश नहीं दिख रही है.
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