पिछले कुछ दिनों से उत्तर बंगाल की विभिन्न नदियों में बालू पत्थर खनन का कार्य जारी है. यह कार्य कुछ वैधानिक तरीके से तो अधिकांश अवैधानिक तरीके से होता है. चोरी छिपे इस धंधे में सक्रिय ट्रक चालक अक्सर रात में लोडिंग अनलोडिंग करते हैं. कभी-कभी इस क्रम में कोई बड़ी घटना घट जाती है. अतीत में यह देखा भी जा चुका है, जब शक्तिमान ट्रक से कुचलकर व्यक्ति की मौत हो जाती है या फिर पुलिस की गिरफ्त में नहीं आने के लिए धंधे में सक्रिय लोग बचने का प्रयास करते हैं. तब भी कोई दुखद घटना सामने आती है.
आज एक और बड़ी घटना घटी है. उदलाबाड़ी ,माल बाजार के पास घिस नदी में बालू पत्थर संग्रह करने गए एक डंपर चालक की घटनास्थल पर ही मौत हो गई. बताया जा रहा है कि चालक और खलासी दोनों घिस नदी में बालू पत्थर संग्रह कर रहे थे. उसी समय डंपर खाली करने के क्रम में डंपर का एक हिस्सा 11000 वोल्ट वाले हाई टेंशन वायर से टकरा गया, जिससे डंपर में करंट दौड़ने लगा. ड्राइवर जिसका नाम मोहम्मद अजीज बताया जा रहा है, वह चालक सीट पर बैठा था. लेकिन डंपर में करंट लगने के कारण मोहम्मद अजीज खुद को बचा नहीं सका. मौके पर ही उसका देहांत हो गया.
माल बाजार पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार उदलाबाड़ी के रेल गेट का रहने वाला मोहम्मद अजीज अपने सहचालक के साथ घिस नदी में बालू पत्थर संग्रह करने गया था. डंपर साफ करने के दौरान ट्रक का पिछला हिस्सा उठकर ऊपर गुज़र रहे 11000 वोल्ट वाले हाई टेंशन तार से टकरा गया.इससे डंपर में करंट दौड़ने लगा. जैसे ही पुलिस को मामले की जानकारी हुई, माल बाजार पुलिस मौके पर पहुंची और ट्रक चालक को उठाकर माल बाजार सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया, जहां ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने मोहम्मद अजीज को मृत घोषित कर दिया. पुलिस पूरे मामले की छानबीन कर रही है.
यह पता नहीं चल सका है कि मोहम्मद अजीज और उसका साथी वहां अवैध तरीके से बालू पत्थर संग्रह करने गए थे अथवा रॉयल्टी के आधार पर बालू पत्थर संग्रह कर रहे थे. पुलिस इसकी भी जांच कर रही है. बहरहाल बहरहाल इन दिनों पुलिस नदियों से अवैध तरीके से बालू पत्थर खनन के खिलाफ जगह-जगह अभियान चला रही है. पुलिस पर प्रशासन और नागरिकों का भी दबाव बढा है. पर्यावरण विद पहले से ही कह रहे हैं कि अगर उत्तर बंगाल को बाढ़ की विभीषिका से बचाना है तो तुरंत नदियों से बालू पत्थर उत्खनन के कार्य को रोकना होगा.
पर्यावरण प्रेमी संगठनों के आह्वान के अंडमान क बाद उत्तर बंगाल में नदियों से बालू पत्थर उत्खनन के खिलाफ लोग जागरुक हो रहे हैं और जगह-जगह इसका विरोध किया जा रहा है. अगले महीने से उत्तर बंगाल में बरसात शुरू हो जाएगी. हर साल उत्तर बंगाल में बाढ़ आ जाती है. इसका सबसे बड़ा कारण नदियों से अवैध बालू खनन के कारण पर्यावरण पर होने वाला खतरा है. नदियों में अवैध खनन के चलते कई नदियों की धारा अपनी दिशा से मुड़ गई है, जिसका ग्रामीण बस्तियों पर बुरा असर पड़ता है. यह बाढ़ की विभीषिका को बढ़ाती है.
उत्तर बंगाल में बहने वाली अधिकांश नदियों में बालू पत्थर उत्खनन होता है. यह कुछ वैधानिक तरीके से तो कुछ अवैधानिक तरीके से होता है. अवैधानिक तरीके से होने वाले उत्खनन में नियम कानून का पालन नहीं किया जाता है और यह सीधे-सीधे बाढ़, भूस्खलन और पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ाता है. उत्तर बंगाल में बहने वाली नदियों महानंदा, पंचनई, चेल, घिस आदि नदियां हैं, जहां बालू पत्थर उत्खनन जारी है. पर्यावरणविदों की माने तो बालू पत्थर खनन से नदियों का तंत्र प्रभावित होता है तथा इससे नदियों की खाद्य श्रृंखला नष्ट होती है.
बालू के खनन में इस्तेमाल होने वाले सेंड प॔पो के कारण नदी की जैव विविधता पर भी असर पड़ता है. बालू पत्थर खनन से नदियों का प्रवाह पथ प्रभावित होता है. इससे भू कटाव बढ़ने से भूस्खलन जैसी आपदाओं की आवृत्ति में वृद्धि हो सकती है. नदियों में बालू खनन से निकटवर्ती क्षेत्र का भू जल स्तर बुरी तरह प्रभावित होता है. इसके साथ ही भूमि का जल भी प्रदूषित होता है. देखा जाए तो बालू प्राकृतिक रूप से पानी को शुद्ध करता है. इसके अलावा अवैध बालू पत्थर खनन से सरकारी खजाने को काफी नुकसान उठाना पड़ता है.
यही कारण है कि सरकार, प्रशासन और भू राजस्व अधिकारी अवैध बालू पत्थर खनन के खिलाफ अभियान चलाते रहते हैं. सिलीगुड़ी और जलपाईगुड़ी के आसपास के क्षेत्रों में आए दिन अवैध तरीके से बालू पत्थर खनन के खिलाफ अधिकारियों द्वारा छापेमारी की कार्रवाई की जाती रही है. इस कार्य में लगे लोगों की गिरफ्तारी होती है. लेकिन यह सभी जानते हैं कि इस धंधे में कुछ रसूखदार लोग लोग जुड़े होते हैं. पुलिस उन तक पहुंच नहीं पाती है. यही कारण है कि यह धंधा लगातार चलता रहता है.
अगर नदियों को बचाना है तथा उत्तर बंगाल को बाढ़ से बचाना है तो समाज और प्रशासन के सभी जिम्मेदार व्यक्तियों और प्रशासनिक अधिकारियों को नदियों से अवैध तरीके से बालू पत्थर खनन के खिलाफ एकजुट होने की जरूरत है. अन्यथा उत्तर बंगाल में हर साल बाढ़ आती रहेगी और लोग तबाह होते रहेंगे.
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