इन दिनों सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस के कई थानों की पुलिस सिलीगुड़ी और आसपास के कई छ॔टे हुए बदमाशों तथा अपराधियों की धर पकड़ कर रही है. पुलिस के ऑपरेशन में कई ऐसे लड़के पकड़े जा रहे हैं जो आदतन अपराधी नहीं है. उन्होंने नशे की पूर्ति के लिए अपराध का रास्ता चुना. भले ही सब की कहानी और पृष्ठभूमि अलग-अलग हो, परंतु उनमें से एक बात सामान्य है, वह है सभी नशेड़ी हैं और नशे की पूर्ति के लिए उन्होंने पहले घर में चोरियां की. उसके बाद बाहर में चोरी की घटनाओं को अंजाम दिया.
इनमें साइकिल चोर, टोटो चोर, छिनताई करने वाले, दुकानों की छत की टीन काट कर चोरी करने वाले, किसी के घर में घुसकर चोरी करने और इस तरह के अन्य मामलों में पकड़े जा रहे आरोपी लड़कों की पृष्ठभूमि को खबर समय के द्वारा जानने की कोशिश की गयी है. हमारे अध्ययन में एक बात सामान्य है कि जितने भी अपराधी सामने आ रहे हैं, उनमें से अधिकांश नशेड़ी हैं. नशे की लत ने उनकी जिंदगी बर्बाद कर दी है. वे ना तो घर के हैं और ना घाट के. घर वालों ने उनके नशे की लत छुड़ाने की बहुत कोशिश की. लेकिन जब इसका उन पर कोई असर नहीं पड़ा. तब उन्होंने उन्हें घर से ही निकाल दिया. उधर कईयों की बीवियों ने उन्हें ठुकरा दिया.
सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस के अंतर्गत कई थानों की पुलिस की जांच रिपोर्ट में भी यह बात सामने आई है कि अधिकांश अपराधी नशे की लत के शिकार है और इसकी पूर्ति के लिए ही उन्होंने अपराध का मार्ग चुना. घर से निकाले जाने के बाद ऐसे नशेड़ी लड़कों ने अपना गैंग तैयार किया और नशे की पूर्ति के लिए छोटी बड़ी चोरी की घटनाओं को अंजाम देना शुरू कर दिया. रविवार को ईस्टर्न बायपास इलाके में बदमाशों ने एक हार्डवेयर दुकान की छत की टीन काटकर चोरी की घटना को अंजाम दिया था. भक्ति नगर पुलिस ने इस घटना में शामिल दो लड़कों रोशन बर्मन और हरेन दास को गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया है.
खबर समय ने पुलिस व अन्य सूत्रों से उनके बारे में जानकारी जुटायी तो पता चला कि यह सभी नशेड़ी हैं. घर वालों ने उन्हें सुधारने तथा नशे की लत छुड़ाने की कोशिश की. बाद में उन्हें त्याग दिया और घर से निकाल दिया. इसके बाद उन्होंने अपने समान नशेड़ी लड़कों से दोस्ती करके गैंग बना लिया और चोरी की घटनाओं को अंजाम देना शुरू कर दिया. ईस्टर्न बाईपास चोरी घटना का मुख्य आरोपी रोशन बर्मन एक कुख्यात अपराधी है. उसके खिलाफ सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस के अंतर्गत विभिन्न थानो में मुकदमे दर्ज हैं. सेवक रोड कॉसमॉस इलाके, एनजेपी इलाके समेत कई इलाकों में उसने पहले भी लूटपाट और चोरी की घटना को अंजाम दिया था.
अब तक के अध्ययन से यह भी पता चलता है कि अपराध के रास्ते पर चलने वाले युवाओं की उम्र कोई ज्यादा नहीं है. वे मुश्किल से 20 और 25 साल के बीच के हैं. कुछ स्वार्थी तत्वों ने अपना उल्लू सीधा करने के लिए उन्हें गुमराह किया है तथा उनके जीवन को बर्बाद किया है. कुछ अपराधी तो ऐसे भी हैं जो अपराध के दायरे से बाहर आना चाहते हैं, परंतु उनके साथी उन्हें इस दलदल से बाहर निकलने देना नहीं चाहते हैं. वे आदतन अपराधी नहीं है. नशे की लत और कुसंगति ने उन्हें अपराध के मार्ग पर धकेला है.
पुलिस, अध्ययन, परिजनों के बयान और अन्य सूत्रों से जानकारी मिलती है कि कई अपराधी युवा जेल की सलाखों के पीछे अपना परिवार छूटने, मां-बाप से दूर रहने और अपनों से बिछुडने के गम में प्रायश्चित करते हुए आंसू बहा रहे हैं. उन्हें इस बात का एहसास हो रहा है कि काश, उन्होंने अपने घर वालों की बात मानी होती! परिजनों की माने तो कई अपराधी लड़कों ने हमेशा मनमानियां की. रोज नशा करना और घर में अशांति मचाना आए दिन की बात हो गई. सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस के विभिन्न थानों के कुछ मुकदमे की जांच रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि कई मामलों में पिता ने ही मजबूर होकर अपने पुत्र की हत्या कर दी. सूत्रो ने बताया कि सिलीगुड़ी और जलपाईगुड़ी के कोर्ट में इस तरह के दर्जनों मामले चल रहे हैं.
अभी-अभी कर्सियांग में एक ऐसा ही मामला सामने आया है. वहां एक पिता ने अपने पुत्र की हत्या कर दी. आरंभिक जांच और पड़ोसियों के बयान से पता चलता है कि मारा गया पुत्र रोहन राय नशेड़ी था. पिता ने उसकी नशे की लत छुड़ाने के लिए उसे नशा मुक्ति केंद्र भी भेजा. वह 3 महीने तक नशा मुक्ति केंद्र में रहकर इलाज कराता रहा. लेकिन इसका उस पर कोई असर नहीं पड़ा. 3 महीने पहले ही वह नशा मुक्ति केंद्र से बाहर आया था. और उसके बाद नशे की पूर्ति के लिए वह रोजाना घरवालों से कलह करता था. आखिरकार पिता ने मजबूर होकर उसे मौत के घाट उतार दिया. गाड़ीधुरा पुलिस ने मृतक रोहन राय की लाश को पोस्टमार्टम के लिए सुकना अस्पताल भेज दिया है. पुलिस मामले की जांच में जुटी है.
इस तरह से अध्ययन से यह बात सामने आती है कि जब नशा लत बन जाए तो वह आसानी से नहीं छूटती. नशे की लत इतनी खतरनाक होती है कि एक हंसता खेलता परिवार तबाह हो जाता है. नशेड़ी की जिंदगी बर्बाद हो जाती है और वह धीरे-धीरे अपराध के मार्ग पर चल पड़ता है.आज सिलीगुड़ी में जितने भी टीनएजर्स अपराधी पकड़े जा रहे हैं, वे सभी आदतन अपराधी नहीं है. लेकिन नशे की लत ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा है. अपराध के दलदल में फंसे ऐसे नौजवानों से सगे संबंधी और उनके मां-बाप भी अपना पीछा छुड़ा रहे हैं. अपराधियों को पछतावा जरूर हो रहा है. पर कई लड़कों की कहानी ऐसी है कि इसके बारे में यही कहा जा सकता है कि अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत!
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