November 17, 2024
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राजनीति लाइफस्टाइल

52 दिनों से सुलग रहे मणिपुर की आग कौन बुझाएगा?

मणिपुर में जारी हिंसा के 52 दिन हो गए.लेकिन अभी तक ऐसा कोई योद्धा सामने नहीं आया है जो जलते मणिपुर की आग को बुझा सके. आज एक बार फिर से भाजपा के एक मंत्री के घर को आग लगा दी गई. राज्य सरकार के मंत्री एल सुसींद्रो के निजी गोदाम और वहां खड़ी दो गाड़ियों को आग लगा दी गई. सुरक्षाबलों ने मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाया और मंत्री के घर में घुसने की कोशिश कर रही भीड़ को भगाया. सुसींद्रो कंज्यूमर एंड फूड अफेयर्स और पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के मंत्री हैं.वे मैतेयी समुदाय से आते हैं.इससे पहले अनेक भाजपा नेताओं और मंत्रियों के घर पर हमले किए गए तथा उनकी निजी संपत्ति को व्यापक क्षति पहुंचाई गई है.

मणिपुर की आग बुझाने के लिए राज्य सरकार ने ऑल पार्टी मीटिंग के अलावा वे सभी प्रयास कर लिए, जो जरूरी था.इसके अलावा असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्वशर्मा ने भी काफी प्रयास किया था. परंतु वहां जारी खूनी खेल का अंत नहीं हो सका है. आज केंद्र सरकार ने मणिपुर की जारी हिंसा को लेकर सभी दलों की एक बैठक बुलाई. इस बैठक में तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल ,एनसीपी,सीपीआईएम आदि के प्रतिनिधि शामिल हुए. विपक्ष मांग कर रहा है कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए परंतु सरकार यह मानने को तैयार नहीं है. क्योंकि मणिपुर में भाजपा की सरकार है.

विपक्षी पार्टी के नेताओं का कहना है कि मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौन क्यों हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर के मुद्दे पर अभी तक कुछ भी नहीं कहा है. सर्वदलीय बैठक का नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही करना चाहिए था. कांग्रेस की ओर से जयराम रमेश ने यह बात कही है तो तृणमूल कांग्रेस की ओर से मांग की जा रही है कि मणिपुर में सभी दलों का एक प्रतिनिधि दल भेजा जाए ताकि वस्तु स्थिति का पता चले.

आपको बताते चलें कि मणिपुर की हिंसा में अब तक 110 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि 3000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं.40000 से ज्यादा लोगों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है. राज्य में 4 मई से ही स्कूल बंद है. अब 1 जुलाई तक वहां स्कूल की छुट्टियां बढ़ा दी गई है. इस बीच मणिपुर के 1500 बच्चों ने मिजोरम के स्कूलों में दाखिला ले लिया है. राज्य में इंटरनेट पर पाबंदी 25 जून तक बढ़ा दी गई है.

मणिपुर हिंसा की आग में क्यों जल रहा है? यह जान लेना भी जरूरी है. मणिपुर की आबादी लगभग 38 लाख है. यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं.मैतेयी ,नागा और कुकी. मैतेयी अधिकतर हिंदू हैं. जबकि नागा और कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं. वे एसटी वर्ग में आते हैं. इनकी आबादी लगभग 50% है. राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैंतेयी समुदाय बहुल क्षेत्र मानी जाती है. नागा कुकी की आबादी लगभग 34% है. यह सभी राज्य के लगभग 90% इलाके में रहते हैं.

मैतेयी समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए. उक्त समुदाय ने मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई है.समुदाय की दलील है कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था. उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेयी को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाए.

मैतेयी समुदाय के लोगों का तर्क है कि उनके पूर्वज राजाओं ने म्यांमार से कुकी को युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था. उसके बाद वे स्थाई निवासी हो गए. इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती की. जबकि दोनों बाकी जनजाति मैतेयी समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में है. इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेयी बहुल इंफाल घाटी में है. ऐसे में अनुसूचित जाति वर्ग में मैतेयी को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा. आपको बताते चलें कि मणिपुर की 60 सीटों में से 40 विधायक मैतेयी समुदाय से आते हैं जबकि 20 विधायक नागा कुकी जनजाति से आते हैं.

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