सिलीगुड़ी में पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से गर्मी और उमस प्रचंड रूप लेती जा रही है, उसका असर न केवल मानव जीवन, कृषि, वनस्पति, बल्कि पशु पक्षियों पर भी साफ दिख रहा है. उत्तर बंगाल चाय के लिए विश्व प्रसिद्ध है. लेकिन तेज गर्मी और वर्षा नहीं होने से चाय की पत्तियां सूख रही है. नदी नाले सब सूखते जा रहे हैं.
भीषण गर्मी, प्रचंड धूप और उमस के बीच हमेशा लबालब रहने वाली महानंदा तो एक नाली में तब्दील हो चुकी है. जल स्रोत सूखते जा रहे हैं. जल संकट भी बढ़ रहा है. मानव जनजीवन तो किसी तरह से घर में रखे फ्रिज, कूलर, मटके इत्यादि के जरिए शीतल जल से प्यास बुझा लेता है. परंतु पशु पक्षियों को शीतल जल दुर्लभ है. शीतल जल की तलाश में पक्षी छत की मुंडेर दर मुंडेर भटक रहे हैं.
इन दिनों सिलीगुड़ी के आसपास बस्ती क्षेत्रों में झुंड के झुंड पक्षियों को सुबह होते ही नदी और तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों के घरों के आंगन में म॔डराते देखा जा सकता है. मेडिकल, कावाखाली, पोराझार, नौकाघाट, फुलबारी और अन्य बस्ती क्षेत्रों में रहने वाले पक्षी प्रेमियों के द्वारा पक्षियों के लिए छत की मुंडेर पर बर्तनों में जल डालकर रखा जाता है. लेकिन यह पानी इतना गर्म हो जाता है कि पक्षी उसे पीना नहीं चाहते. पक्षियों को तो शीतल जल चाहिए. इसलिए वे इन छोटे-छोटे बर्तनों के जल को पीते नहीं बल्कि नल से बहते जल में ही मुंह लगा लेते हैं.
पोराझार के रमेश बताते हैं कि सुबह उठते ही वे अपने घर के सामने गेट के ऊपर पक्षियों के लिए बर्तन में शीतल जल रख देते हैं. जैसे ही वे पानी रखते हैं, काफी संख्या में पक्षी खासकर कौवे प्यास बुझाने के लिए उतर जाते हैं. लेकिन 2 घंटे में ही बर्तन में रखा पानी गर्म हो जाता है. तब यह पक्षी आंगन में उतर जाते हैं और विभिन्न बालटियों में भरकर रखे पानी में ही मुंह लगा लेते हैं. रमेश ने बताया कि रोज ही पक्षियों के जूठे पानी का इस्तेमाल करना पड़ता है. पर उसने कहा इस समय पक्षियों पर दया दृष्टि दिखाने की जरूरत है.
फुलेश्वरी में तो पक्षी प्रेमी पक्षियों के लिए छोटे-छोटे पात्रों में जल डालकर पेड़ से लटका देते हैं. ताकि पक्षियों को अपनी प्यास बुझाने के लिए दर-दर भटकने की जरूरत ना पड़े. पिछले दिनों ही एक सामाजिक संगठन के लोगों ने फुलेश्वरी में छोटे-छोटे जल पात्रों में जल भरकर पेड़ो से लटका दिया. यहां पक्षियों के लिए रोज ही पानी बदला जाता है. यहां बगल में ही खाली मैदान और नदी बहती है. जहां पक्षियों के झुंड के झुंड को आप देख सकते हैं.
जिस तरह से सिलीगुड़ी और पूरे बंगाल में भीषण गर्मी पड़ रही है, ऐसे में मानव जगत खुद ही परेशान है. लेकिन मानव अपनी परेशानी का बयान कर सकता है. परंतु पशु पक्षी नहीं. पशु पक्षियों की परेशानी को सभी लोग भांप नहीं सकते हैं. पशु पक्षी प्रेमी संगठन और पक्षियों से प्रेम रखने वाले लोग उनकी पीड़ा को समझते हैं और यही कारण है कि पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए अपने-अपने घर की छतों और मुंडे पर रोज सुबह बर्तनों में पानी भर कर रख देते हैं.
सिलीगुड़ी के पशु प्रेमी संगठनों ने लोगों से अपील की है कि वह पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए आगे आए और उनके लिए बर्तनों में पानी भरकर रखें. जहां पेड़ पौधे हैं, वहां इन बर्तनों को पेड़ की डाली से बांधकर लटकाया जा सकता है. मानव जीवन और स्वास्थ्य के लिए हमारे गिर्द पशु पक्षियों का रहना जरूरी है. पशु पक्षी पर्यावरण में मदद करते हैं और पारिस्थितिक संतुलन के लिए योगदान देते हैं. उम्मीद की जा रही है कि अधिक से अधिक संख्या में लोग जल की तलाश में भटक रहे इन पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था करेंगे.
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