असम की सरकार ने बीफ (गोमांस) पर बैन लगा दिया है. इसे लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों की ओर से अलग-अलग प्रतिक्रिया सामने आ रही है. मुस्लिम परस्त संगठन और राजनीतिक दल इसे लेकर असम सरकार पर हमलावर हैं. मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा ने यह कदम क्यों उठाया, यह जानना और समझना जरूरी है.
दरअसल हाल ही में असम के नौगांव जिले के सामगुड़ी विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ था. यह सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती रही है. पिछले 25 सालों से यह सीट कांग्रेस के पास थी. उपचुनाव में पहली बार यहां से बीजेपी ने जीत दर्ज की है. पराजित कांग्रेस उम्मीदवार ने आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा ने मुसलमानों को रिझाने के लिए बीफ पार्टी का आयोजन किया था. इसके जवाब में हेमंत विश्व शर्मा ने कहा कि क्या कांग्रेस अब तक बीफ पार्टी के सहारे ही चुनाव जीतती रही है? अगर ऐसा है तो मैं पूरे प्रदेश में बीफ पर प्रतिबंध लगा देता हूं.
और बीफ पर प्रतिबंध लग गया. बीफ पर प्रतिबंध क्या लगा, पूरे देश में हाय तौबा मच गया. संसद से लेकर सड़क तक शोर हो रहा है. मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा के आदेश से अब असम में रेस्टोरेंट, होटल और सार्वजनिक स्थानों पर ना तो बीफ परोसा जा सकेगा और ना ही बीफ खाया जा सकेगा. दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि असम में गोमांस पर बैन हो गया है. जबकि नेशनल सैंपल सर्वे 2011-12 के अनुसार पूर्वोत्तर प्रदेशों खासकर असम और मेघालय में अधिकतर लोग बीफ का सेवन करते हैं.
पहले तो यह मुद्दा उपचुनाव से जोड़कर देखा जा रहा था. अब यह पूरी तरह राजनीतिक मुद्दा बन चुका है. राजनीतिक विश्लेषक इसे भाजपा के एजेंडे से जोड़कर देख रहे हैं, जिसका लाभ भाजपा को मिला है. मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा ने अपनी पार्टी का एजेंडा सेट करते हुए एक तरह से कांग्रेस को ही इसके लिए जिम्मेवार ठहराया है. लोग कह रहे हैं कि अगर कांग्रेस की ओर से भाजपा को लपेटने का दाव नहीं खेला जाता तो शायद असम में बीफ पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाता.
अब तक असम में बीफ खाने पर कोई मनाही नहीं थी. कोई भी बीफ खा सकता था. हालांकि 2021 में असम कैटल प्रिजर्वेशन एक्ट बना था. इसके अनुसार हिंदू, सिख और जैन बहुल इलाके में बीफ पर प्रतिबंध था. इसके अलावा किसी भी मंदिर के 5 किलोमीटर के दायरे में ना तो बीफ खाया जा सकता था और ना ही बेचा जा सकता था. इस कानून के अनुसार राज्य में बाहर से बीफ का ट्रांसपोर्टेशन भी नहीं किया जा सकता है. इस कानून के अनुसार दोषी व्यक्ति को तीन से आठ साल की जेल हो सकती है. या फिर 3 से 5 लाख रुपए जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
अब राज्य में बीफ पर पूरी तरह प्रतिबंध लग चुका है. एक ऐसे राज्य में जहां अधिकतर लोग बीफ खाते हैं. ऐसे में हो हल्ला तो मचाना ही था. NSS सर्वे 2011 12 के अनुसार पूरे भारत में 8 करोड़ से ज्यादा लोग बीफ खाते हैं. इनमें से पूर्वोत्तर प्रदेशों में बीफ की सर्वाधिक खपत है. जैसे मेघालय, सिक्किम, नागालैंड, अरुणाचल, असम आदि. इसके अलावा लक्षद्वीप,जम्मू एंड कश्मीर, केरल आदि राज्य भी शामिल है, जहां अधिकतर लोग बीफ खाना पसंद करते हैं. अ
असम सरकार के इस फैसले के बाद यह देखना होगा कि यह चिंगारी कहां तक जाती है और इसका अंत क्या होता है. जो भी हो, असम जैसे प्रदेश में बीफ पर बैन लगना पूर्वोत्तर प्रदेशों को प्रभावित कर सकता है. यह भी देखना होगा कि भाजपा को इसका कितना लाभ मिलता है!