एचएमपीबी वायरस से संक्रमण के मामले भारत में लगातार बढ़ रहे हैं. मुंबई में भी एक शिशु संक्रमित पाया गया है. अब तक 9 से 10 मामले सामने आ चुके हैं. संक्रमण के शिकार सभी दूध पीते बच्चे हैं. हालांकि सिलीगुड़ी और उत्तर बंगाल में एचएमपीबी का कोई भी मामला सामने नहीं आया है. फिर भी उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कार्यरत डॉक्टरों की छुट्टियां रद्द कर दी गई है. कम से कम इस महीने मेडिसिन, चेस्ट, फेफड़ों से संबंधित डॉक्टर छुट्टी नहीं ले सकेंगे.
कारण क्या है? वास्तव में सिलीगुड़ी शहर नेपाल, भूटान, बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित है. इन तीनों ही देशों से लोगों का सिलीगुड़ी आना-जाना लगा रहता है. समतल, पहाड़ और दूसरे क्षेत्र के लोग सिलीगुड़ी से सड़क, रेल और वायु मार्ग से कनेक्ट होते हैं. रोज हजारो लोग एनजेपी, सिलीगुड़ी जंक्शन, बागडोगरा हवाई अड्डा या मार्केटिंग, पर्यटन अथवा मेडिकल के लिए सिलीगुड़ी पहुंचते हैं. ऐसे में यहां संक्रमण बढ़ने का खतरा अधिक रहता है. अगर विश्व के किसी हिस्से में किसी गंभीर वायरस का प्रकोप बढ़ता है तो सिलीगुड़ी को सबसे ज्यादा खतरा रहता है. यही कारण है कि सिलीगुड़ी चिंतित है और यहां अस्पतालों में प्रशासनिक स्तर पर स्वास्थ्य सतर्कता बढ़ाई जा रही है.
सिलीगुड़ी और पूरे भारत के लिए एक राहत भरी खबर भी सामने आई है. शोध परिणाम में बताया गया है कि एचएमपीवी वायरस का असर भारत में धीरे-धीरे कम हो जाएगा. फरवरी महीने के बाद यह वायरस भारत से विदा ले सकता है. यह शोध भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद ने मई 2022 से दिसंबर 2024 तक बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के बाल रोग विभाग में किया था.
शोध परिणामों में कहा गया है कि यह वायरस 5 साल से कम उम्र के बच्चों, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले बच्चों तथा गंभीर रोग से पीड़ित व्यक्तियों को आसानी से चपेट में ले लेता है. संक्रमित बच्चों में केवल एक प्रतिशत को ही गंभीर जटिलता का सामना करना पड़ता है. आईसीएमआर के वैज्ञानिकों ने एकक्यूट रेस्पिरेट्री इनफेक्शन और सीवियर एक्यूट रेस्पिरेट्री इनफेक्शन के शिकार पांच साल से कम उम्र के 943 बच्चों पर एक शोध किया. इसमें पाया गया कि 1.38% बच्चों में सांस संबंधित संक्रमण एचएमपीबी वायरस के कारण था. बाकी बच्चों में दूसरे वायरस मिले.
आईसीएमआर के मुख्य शोधकर्ता के अनुसार इसकी सक्रियता ठंड के दौरान अधिक होती है. फरवरी मार्च से इसका प्रभाव कम होने लगता है. यह एक सामान्य वायरस है, जिससे किसी को घबराने की जरूरत नहीं है. विभिन्न अध्ययन और रिपोर्ट्स बताते हैं कि फिलहाल एचएमपीबी संक्रमण बढ़ सकता है. ऐसे में उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल भी पूरी तैयारी के साथ जुट गया है. एनबीएमसीएच के अधीक्षक डॉक्टर संजय मलिक बताते हैं कि मेडिसिन, चेस्ट, पेडियाट्रिक विभाग के डॉक्टर्स को छुट्टी पर नहीं जाने की सलाह दी गई है.
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