आपने एक कहावत तो सुनी ही होगी. एक मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए दूसरी मुसीबत को कुछ लोग गले लगा लेते हैं. उन्हें ना तो माया मिलती है और ना ही चैन सुख. दार्जिलिंग के रहने वाले अनिल राई ( काल्पनिक ) की कहानी कुछ ऐसी है, जिसे जानकर काफी दुख होता है. बताते हैं कि उनकी मां को कैंसर हो गया था. मां के इलाज में काफी पैसे की जरूरत थी. जो घर में रहकर नहीं हो सकता था. मैं पढ़ा लिखा तो था ही. अच्छा अंग्रेजी और हिंदी बोल लेता था. मैंने विदेश में जाकर खूब पैसे कमाने का फैसला किया और स्थानीय एक कंसलटेंसी एजेंसी से संपर्क किया. कंसलटेंसी एजेंसी ने विदेशों में अच्छी नौकरी दिलाने के ऐवज में मुझसे ₹200000 की मांग की. मैं तैयार हो गया. घर में रखे कुछ गहने और रिश्तेदारों से पैसे लेकर कंसलटेंसी एजेंसी की मांग पूरी कर दी. इसके बाद एजेंसी ने मुझे कंबोडिया भेज दिया.
मुझे बताया गया कि प्रति महीने भारतीय करेंसी के हिसाब से डेढ़ लाख रुपए मिलेंगे. मैं बहुत खुश था. लेकिन जब मैं कंबोडिया पहुंचा तो शुरू के 3 महीने तो अच्छे बीते. लेकिन इसके बाद मुझे नौकरी से निकाल दिया गया. उसके बाद मैंने अन्य जगहों में नौकरी की तलाश की. लेकिन कहीं भी नौकरी नहीं मिली. धीरे-धीरे मेरे सारे पैसे खत्म हो गए. हालात इस मोड़ पर ले आए कि भारत लौटने के लिए मेरे पास किराए के पैसे तक नहीं थे. देवेंद्र को तो इतना बड़ा झटका मिला था कि कंबोडिया जाने पर उसे पता चला कि एक कंपनी के हाथों उसे बेच दिया गया है और अब वह उक्त कंपनी का गुलाम है. दार्जिलिंग और सिक्किम के ऐसे कई लुटे पिटे नौजवानों की बेहद दर्दनाक कहानियां हैं, जिन्होंने अच्छी नौकरी के प्रलोभन में अपनी जिंदगी बर्बाद कर ली है.
दूर के ढोल सुहावने होते हैं. पहाड़ दिखने में काफी खूबसूरत लगता है. नैसर्गिक दृश्य, आबोहवा और कल्चर पहाड़ को काफी विशिष्ट बनाते हैं. खासकर गर्मियों में सैलानी पहाड़ों पर मन बहलाव के लिए आते हैं. सर्दियों में पहाड़ बर्फ से ढका रहता है. वातावरण किसी की मृत्यु पर मातम मनाने जैसा होता है.
लेकिन गर्मियों तथा अन्य मौसम में यहां की हलचल बढ़ जाती है. एक तरफ तो पहाड़ में आकर्षण के चलते पर्यटक दूर-दूर से पहाड़ की वादियों में सैर करने के लिए आते हैं, तो दूसरी तरफ एक कटु सच्चाई यह भी है कि पहाड़ के नौजवान अच्छी नौकरी और ऐशो आराम की जिंदगी जीने के लिए पहाड़ों से पलायन कर रहे हैं. और इससे भी बड़ी मुसीबत में फंस रहे हैं. रातों-रात अमीर बनने के चक्कर में कुछ युवा फर्जी कंसलटेंसी एजेंसी की भेंट चढ़ जाते हैं. अनेक लड़के लड़कियां दिल्ली, मुंबई और देश के बड़े महानगरों में पलायन कर जाते हैं. दार्जिलिंग और सिक्किम में पिछले कुछ वर्षों में नौजवानों के पलायन की गति बढ़ी है. आखिर इसका कारण क्या है.
दरअसल दार्जिलिंग और सिक्किम के पहाड़ी इलाकों में रोजी-रोटी का संकट है. यहां उद्योग धंधे नहीं है. शिक्षा के क्षेत्र में भी पर्याप्त विकास नहीं हुआ है. ऐसे में कभी अध्ययन के लिए तो कभी रोजी रोजगार के लिए यहां के नौजवान दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई जैसे बड़े शहरों में पलायन कर जाते हैं. जबकि कई ऐसे नौजवान भी होते हैं, जो रातों-रात अमीर बनने का सपना पाले एजेंटों के मायाजाल का शिकार हो जाते हैं. फर्जी एजेंट उन्हें सब्जबाग दिखाकर उनसे रुपए ऐंठते हैं और बड़ी-बड़ी बातें कह कर उन्हें सात समुंदर पार भेज देते हैं. जहां कुछ ही दिनों में उन्हें जमीनी हकीकत से सामना करना पड़ जाता है.
दार्जिलिंग के मशहूर वकील वीरेंद्र रसाइली की संस्था माटो को माया ने कंबोडिया से तीन ऐसे दार्जिलिंग के नौजवानों को बर्बाद होने से बचाया, जिन्हें एक फर्जी कंसलटेंसी एजेंसी ने विदेश में बेच दिया था. उनमें मां का कैंसर का इलाज करने के लिए दौलत कमाने का सपना लेकर विदेश गया एक पुत्र भी शामिल था. यूं तो बेरोजगारी सिर्फ दार्जिलिंग में ही नहीं है. बल्कि यह पूरे देश और विश्व की एक ज्वलंत समस्या है. सीएमआईएफ के एक आंकड़े के अनुसार देश में बेरोजगारी की दर तेजी से बढ़ रही है. जनवरी 2024 में जहां देश में बेरोजगारी की दर 6.8% थी, फरवरी 2024 में बढ़कर 8% तक पहुंच गई. सरकारी संस्था के अधीन काम करने वाले एनएसओ ने एक सर्वे किया है. इसके अनुसार अक्टूबर से लेकर दिसंबर 2023 तक देश में 20 से लेकर 24 साल तक की उम्र के युवाओं की बेरोजगारी दर 44.49% थी.जबकि 25 से लेकर 29 साल तक की उम्र के नौजवानों की बेरोजगारी दर 14.33% पाई गई.
एक बात स्पष्ट है कि जितनी तेजी से पलायन हो रहा है, यह पहाड़ के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है. लेकिन नौजवानों के पास भी मजबूरी है. कोई भी युवा नहीं चाहता कि वह अपने घर परिवार से दूर रहकर कमाई करे. इसका उदाहरण दार्जिलिंग पहाड़ में आयोजित टेट परीक्षा के दौरान ही मिल गया, जहां देश विदेश के बड़े-बड़े शहरों में रोजी-रोटी कमाने गये दार्जिलिंग के नौजवान लड़के लड़कियां परीक्षा देने के लिए दार्जिलिंग आए थे. अब इस परीक्षा में भी भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं. चर्चा तो यह भी है कि सीबीआई इसकी जांच करेगी. विक्रम छेत्री ( काल्पनिक )सवाल करते हैं कि जब GTA ही पहाड़ के नौजवानों के साथ छल कर रहा है तो ऐसे में पहाड़ का भविष्य क्या होगा?
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