इन दिनों टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी अपने बगावती व्यवहार को लेकर सुर्खियों में है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से उन पर कार्रवाई करने की बात की जा रही है. पिछले दिनों एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ था. कल्याण बनर्जी का सांसद महुआ मोइत्रा और कीर्ति आजाद के साथ झगड़ा हुआ था.
टीएमसी के कई सांसद कल्याण बनर्जी के व्यवहार की आलोचना कर रहे हैं. वे कल्याण बनर्जी की इस्तेमाल की गई भाषा पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. भाजपा नेता अमित मालवीय टीएमसी के झगड़े को सार्वजनिक करने में जुट गए हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अभी संयम से काम लेने का संकेत दिया है. सूत्र बता रहे हैं कि उन्होंने पार्टी नेताओं को भी संयम से काम लेने का निर्देश दिया है.
पिछले दिनों कल्याण बनर्जी तथा महुआ मोइत्रा केंद्रीय चुनाव आयोग के मुख्यालय में झगड़ पड़े थे.वह वहां एक ज्ञापन देने आए थे. यह बात 4 अप्रैल 2025 की है. कल्याण बनर्जी ने कहा था कि सौगत राय और महुआ मोइत्रा दोनों ही रिश्वत के खेल में माहिर हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि नारदा स्टिंग ऑपरेशन में सौगत राय रिश्वत लेते थे. जबकि महुआ मोइत्रा उपहार लेती है. उन्होंने यह भी कहा कि सौगत राय दिवंगत वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रिय रंजन दास मुंशी के करीबी भी रहे हैं. सौगत राय ने कल्याण बनर्जी के व्यवहार की निंदा की है.
सौगत राय ने कहा है कि घटना के समय वह मौजूद नहीं थे. लेकिन बाद में जब मैं वहां पहुंचा तो देखा कि महुआ मोइत्रा रो रही थी और कल्याण बनर्जी के व्यवहार के बारे में टीएमसी के अन्य सांसदों से शिकायत कर रही थी. टीएमसी के सांसदों ने माना है कि कल्याण बनर्जी के व्यवहार को अब बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. वे जल्द ही पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी से संपर्क करेंगे. उनका मानना है कि कल्याण बनर्जी ने एक महिला सांसद से दुर्व्यवहार किया है. इसलिए पार्टी नेतृत्व को अब चुप नहीं रहना चाहिए.
यह भी कहा जा रहा है कि कल्याण बनर्जी ने पार्टी सांसद कीर्ति आजाद से भी झगड़ा किया था. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि टीएमसी में यह झगड़ा आने वाले समय में और ज्यादा बढ़ सकता है. लेकिन ममता बनर्जी फिलहाल राज्य में शिक्षक भर्ती घोटाले तथा अन्य मुद्दों पर लड़ रही है और अपनी पार्टी की छवि ठीक करने की चेष्टा कर रही है. ऐसे में पार्टी की अनुशासन समिति की बैठक फिलहाल नहीं हो सकती है.
2026 में विधानसभा का चुनाव है. ममता बनर्जी इस बात को लेकर ज्यादा चिंतित दिखाई दे रही है कि पार्टी में गुटबाजी अथवा असंतोष कही उनके उनके खेल को बिगाड़ ना दे और बीजेपी को लाभ उठाने का अवसर प्रदान न करे. वैसे हाल ही में रामनवमी महोत्सव के दौरान राज्य में कहीं भी कोई अप्रिय घटना न होने से बीजेपी के गेम को वह पलट चुकी है. लेकिन अभी चुनौतियां कई हैं, जिनसे ममता बनर्जी को निपटना होगा. इनमें पार्टी में असंतोष, पार्टी नेताओं का झगड़ा, बंगाली अस्मिता और संगठन के स्तर पर उनकी तैयारी बाकी है.
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