March 23, 2025
Sevoke Road, Siliguri
उत्तर बंगाल लाइफस्टाइल सिलीगुड़ी

क्या सिलीगुड़ी का डंपिंग ग्राउंड ग्रीन फील्ड में तब्दील हो पाएगा?

सिलीगुड़ी का डंपिंग ग्राउंड इस समय सिलीगुड़ी के लोगों का सर दर्द बन चुका है. यहां लगभग रोज ही धुआं उठता है और शहर में फैल कर वातावरण को प्रदूषित करता है. कई लोगों को जहरीले धुएं के कारण सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है. वर्तमान में डंपिंग ग्राउंड से हो रही समस्या से प्रशासन भी अछूता नहीं है. सिलीगुड़ी नगर निगम के स्तर पर तेजी से प्रयास हो रहा है.

मेयर गौतम देव ने एक बार कहा था कि डंपिंग ग्राउंड को ग्रीन फील्ड में तब्दील करने का काम किया जाएगा. लेकिन शायद यह इतना आसान नहीं है. हमारे पास जो संसाधन है, उससे यह उम्मीद नहीं की जा सकती है. ना ही रीसाइकलिंग की संपूर्ण व्यवस्था है. सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट भी सही परिणाम लाने में पीछे रही है. डंपिंग ग्राउंड को ग्रीन फील्ड में तब्दील करने के लिए जो बजट चाहिए, फिलहाल निगम के पास उपलब्ध नहीं है.

इस्टर्न बाईपास में कचरों का पहाड़ खड़ा हो रहा है. क्योंकि यहां कचरा कम नहीं है. पूरे शहर का कचरा यहां आता है जो सैकडो टन में होता है. कचरे के निस्तारण के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट गोदाम भी है. मेयर गौतम देव ने काफी पैसे खर्च करके और बड़ी उम्मीद के साथ इसका उद्घाटन भी किया था. गौतम देव ने तब कहा था कि इन यूनिटों से कचरे के बेहतर प्रबंधन में सहयोग मिलेगा और धीरे-धीरे डंपिंग ग्राउंड ग्रीन फील्ड में तब्दील हो जाएगा. मगर हुआ नहीं. सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट हालांकि एक अच्छी पहल थी. परंतु यह कारगर साबित नहीं हो रही है.

विशेषज्ञों के अनुसार सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की अपनी एक सीमा होती है. इससे सिलीगुड़ी का संपूर्ण कचरा साफ नहीं होगा. सूत्र भी बता रहे हैं कि केवल 30% कचरो का निपटारा हो रहा है. जबकि 70% कचरों का निपटारा नहीं होता. यह सच है कि बायो माइनिंग और जैव खाद बनाने की प्रक्रिया चल रही है. लेकिन अभी इस दिशा में कोई ठोस काम नहीं किया गया है कि कचरे का स्रोत कैसे कम होगा. रीसाइक्लिंग की व्यवस्था भी अच्छी नहीं कही जा सकती है. कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि समस्या पहले जैसी थी, आज भी कमोवेश वही है.

जानकार मानते हैं कि डंपिंग ग्राउंड में जो कचरे आते हैं, उनमें प्लास्टिक कचरे बहुत ज्यादा होते हैं. प्लास्टिक कचरो में आग लगने से धुआ भी जहरीला होता है.और जहां-जहां यह धुआं फैलेगा, लोगों की स्वास्थ्य संबंधी कठिनाइयां भी बढ़ती जाएंगी और ऐसा ही हो रहा है. ईस्टर्न बाईपास में कचरो के पहाड़ में आग लगाई जाती है ताकि कचरा कम हो सके. परंतु इसका उल्टा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. यह बात स्वयं कचरा साफ सफाई विभाग के मेयर परिषद सदस्य मानिक देव भी स्वीकार करते हैं. उन्होंने कहा, यह समस्या केवल सिलीगुड़ी में ही नहीं है बल्कि पूरे बंगाल की समस्या है. सभी जगह डंपिंग ग्राउंड से लगातार धुआं उठ रहा है.

मगर बहुत जल्द इस समस्या पर काबू पा लिया जाएगा. इस दिशा में प्रयास शुरू हो गए हैं. उन्होंने कहा कि कचरे के ढेर को कम कर दिया गया है. अब यहां से गुजरने वाले लोग नाक पर रुमाल नहीं रखते. यहां रेस्टोरेंट भी खुल गया है. सड़क भी अच्छी है और लाइट की भी अच्छी व्यवस्था की गई है. आज सिलीगुड़ी नगर निगम के प्रयास से स्थिति में सुधार देखा जा रहा है. पर यह सुधार कितना है, यह तो आप ही कमेंट करके बताएंगे.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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