बिहार जीतने के बाद भारतीय जनता पार्टी का अगला लक्ष्य बंगाल जीतने का है. इसके लिए पार्टी तेजी से रणनीति तैयार कर रही है. पिछले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस बार भाजपा ने यहां से 35 सीटों पर जीत का लक्ष्य रखा है. हालांकि तृणमूल कांग्रेस इसे भाजपा का दिवा स्वप्न देखने जैसी बात बताती है.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने पश्चिम बंगाल की सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करने का फैसला किया है. और सभी सीटों पर जीत का पार्टी की ओर से दावा भी किया जा रहा है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उत्तर बंगाल के दौरे पर हैं. वे पार्टी संगठन, जनता संवाद और सरकार के कल्याणकारी कार्यक्रमों को लेकर जनता के बीच जा रही है. ऐसे में अगर भाजपा बंगाल से 35 सीटों पर जीत दर्ज करने का लक्ष्य रखती है तो कुछ ना कुछ बात तो होगी ही. आखिर ऐसा क्या है कि भाजपा यहां से पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में अधिक से अधिक सीट जीत सकती है.
अब भाजपा की पहली रणनीति का खुलासा हो चुका है. भारतीय जनता पार्टी बंगाल में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए उत्तर बंगाल की किसी सीट से अमित शाह को उम्मीदवार बनाएगी. भाजपा की यह रणनीति कुछ इस तरह से है, जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरंभ में गुजरात के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में बनारस संसदीय सीट से चुनाव लड़ा था. इसका भाजपा को काफी लाभ हुआ. उत्तर प्रदेश में भाजपा की आंधी आई और भाजपा ने वहां से काफी सीटों पर जीत दर्ज की.
अमित शाह भी वैसा ही करने जा रहे हैं. अमित शाह शाह गुजरात के गांधीनगर के साथ-साथ उत्तर बंगाल के आठ जिलों में से किसी एक जिले या किसी एक सीट पर चुनाव लड़ेंगे. भाजपा सूत्रों ने बताया है कि यह पक्का है कि अमित शाह उत्तर बंगाल की किसी एक सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. बंगाल से ज्यादा सीट जीतने के लिए भाजपा की यह रणनीति है. बंगाल में भाजपा के पक्ष में लहर बनाने के लिए पार्टी और भी नई रणनीतियों का जल्द ही खुलासा करने जा रही है. उनमें से एक नई रणनीति बंगाल में CAA लागू करना है. केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने तो यहां तक दावा कर दिया है कि एक हफ्ते में ही बंगाल समेत देश भर में CAA लागू हो जाएगा.
खैर,अब इस बात की चर्चा हो रही है कि आखिर अमित शाह उत्तर बंगाल की 8 सीटों में से किस सीट से चुनाव लड़ेंगे. उत्तर बंगाल की आठ सीटें हैं, अलीपुरद्वार, जलपाईगुड़ी,कूचबिहार, दार्जिलिंग, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर, मालदा और अन्य एक सीट है. सिलीगुड़ी और दार्जिलिंग को उत्तर बंगाल के सेंटर के रूप में जाना जाता है. यानी अगर उत्तर बंगाल राज्य होता है तो सिलीगुड़ी और दार्जिलिंग उत्तर बंगाल की राजधानी हो सकती है. अगर अमित शाह दार्जिलिंग स॔सदीय सीट से अपना नामांकन दाखिल करते हैं तो इसका असर न केवल उत्तर बंगाल बल्कि पूरे बंगाल पर पड़ेगा.
राजनीतिक विश्लेषक और जानकार मानते हैं कि इस बात की ज्यादा संभावना है कि अमित शाह दार्जिलिंग संसदीय सीट से नामांकन दाखिल कर सकते हैं. भाजपा की यह रणनीति विधानसभा चुनाव के बाद एक के बाद एक चुनाव और उपचुनाव में बंगाल में पार्टी की हुई हार को देखते हुए बनायी गयी है. उधर इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तृणमूल कांग्रेस के नेता फिरहाद हकीम ने कहा है कि जिस तरह से वाम मोर्चा बंगाल से साफ हो गया, इस तरह से भाजपा की भी होने वाली है.