बंगाल आबकारी अधिनियम 1909 में जो संशोधन किया गया है, वह ऑन कैटेगरी की शराब की दुकानों में महिलाओं के रोजगार पर लगी रोक को हटाता है. देश के दूसरे राज्यों में महिलाओं को बारों में काम करने का अधिकार पहले से ही प्राप्त है. जैसे दिल्ली, कर्नाटक, महाराष्ट्र, केरल, गोवा इत्यादि. अब इस श्रेणी में बंगाल भी शामिल हो गया है.
पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य की महिलाओं को बीयर और शराब की दुकानों समेत बारों में काम करने और ग्राहकों को शराब परोसने का कानूनी अधिकार दे दिया है. राज्य विधानसभा में इस संबंध में एक विधेयक पारित कर दिया गया है. सरकार ने बंगाल आबकारी अधिनियम 1909 में संशोधन किया है. संशोधन के फलस्वरूप राज्य की महिलाओं को यह अधिकार प्राप्त हुआ है.पुरुषों की तरह राज्य की महिलाएं अब बारों में भी नौकरी प्राप्त कर सकेंगी.
पहले राज्य की महिलाओं को यह अधिकार प्राप्त नहीं था. केवल पुरुषों को ही यह अधिकार प्राप्त था. इसे लेकर राज्य में महिलाओं के एक वर्ग के द्वारा सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया जा रहा था. हालांकि यह भी सच है कि अनधिकृत रूप से कई लड़कियां और महिलाएं बारों में नौकरी करती थी और गैर कानूनी रूप से ग्राहकों को शराब परोसती थी. अब सरकार ने उन्हें यह अधिकार दे दिया है. अगर कोई महिला बार या शराब की दुकान पर काम करना चाहती हैं तो वह कर सकती हैं. पिछले दिनों राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने विधानसभा में यह विधेयक पेश किया था.
यह कानून बन जाने से राज्य की महिलाओं को तो लाभ होगा ही, इसके साथ ही सरकार को भी लाभ होगा. क्योंकि राज्य में अवैध तरीके से शराब बनाने पर रोकथाम लगेगी. इस धंधे में आने वाली महिलाओं को शराब बनाने के लिए गुड़ अथवा दूसरे कच्चे माल की आपूर्ति की निगरानी करने का अधिकार प्राप्त हो चुका है. हालांकि अनेक लोगों का यह भी कहना है कि राज्य सरकार के इस कानून से महिलाओं को बारों में काम करने पर उनकी सुरक्षा का खतरा बढ़ सकता है. उनके साथ आपराधिक घटनाएं बढ़ सकती हैं. परंतु इसका दूसरा पहलू यह है कि बारों में काम करने वाली महिलाओं के साथ अपराध में कमी आएगी.
क्योंकि बारों में काम करने वाली महिलाओं की सूचना पुलिस व जिला प्रशासन के पास उपलब्ध रहेगी. ऐसे में उनकी सुरक्षा के लिए प्रशासनिक कदम उठाए जा सकते है. महिलाओं के साथ अपराध की बात मन में सोचने वाले ग्राहक उन्हें डरा धमका नहीं सकेंगे. महिलाएं अपने साथ हादसे की सूचना पुलिस और प्रशासन को दे सकती हैं और बदमाशी करने वाले ग्राहकों से कानूनी तौर पर निबट भी सकती है.
बंगाल आबकारी अधिनियम 1909 में संशोधन के अनुसार ऑन कैटेगरी की शराब की दुकानों में महिलाओं के रोजगार पर लगी रोक को हटाता है. वास्तव में ऑन कैटेगरी बार ऐसी जगह होती है, जहां पर शराब को वहीं उसी जगह पर पीने की अनुमति होती है और उसे वहीं परोसा जाता है. इसका दूसरा अर्थ है बीयर और बार की दुकान. जहां शराब पीने की अनुमति होती है. जबकि आफ कैटेगरी में शराब की दुकान में शराब पीने की अनुमति नहीं होती है. यहां से शराब खरीद कर ग्राहक अपने घर ले जा सकते हैं.
राज्य सरकार द्वारा महिलाओं को यह अधिकार दिए जाने से क्या उनका सशक्तिकरण होगा, जैसा कि राज्य सरकार दावा कर रही है. या उनके सम्मान और सुरक्षा पर खतरा बढ़ेगा? अथवा महिलाओं के साथ आपराधिक घटनाओं में कमी आएगी? इस बारे में आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
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