केवल सिलीगुड़ी ही नहीं बल्कि पूरा देश साइबर अपराधियों से छला जा रहा है. केवल अनपढ़ अथवा सामान्य पढ़े लिखे लोग ही नहीं बल्कि बड़े पदों पर बैठे व्यक्ति और प्रशासनिक अधिकारी भी साइबर ठगों के शिकार हो रहे हैं. एक सरकारी आंकड़े के अनुसार 1 जनवरी से लेकर 31 दिसंबर 2023 तक देश भर में साइबर ठगी की कुल 1128 265 शिकायतें दर्ज हुई. जिनमें कुल 748 863.9 लाख रुपए ठगे गए. 92159.56 लख रुपए फ्रिज किए गए. 3 19 799 शिकायतें अभी पेंडिंग में है. इस तरह से यह एक राष्ट्रव्यापी समस्या बन चुकी है.
उधर साइबर ठगी के मामले सिर्फ धमका कर डिजिटल अरेस्ट के जरिए लाखों करोड़ों रुपए खाते में ट्रांसफर करने तक सीमित नहीं रह गया है. बल्कि फोन पर झूठी धमकी देकर लोगों को डरा कर उन्हें मौत के घाट उतारने तक की बात सामने पहुंच गई है. आगरा में एक शिक्षिका की मौत की घटना कुछ ऐसी ही है. पहले लोगों को सिर्फ फोन, एसएमएस, व्हाट्सएप अथवा मेल पर लिंक भेज कर ठगी में फसाया जाता था. लेकिन अब साइबर ठगों ने एक से बढ़कर एक डिजिटल तरीका ढूंढ निकाला है. इसलिए अगर इनसे बचना है तो आपको डिजिटल तरीके से अपनी सुरक्षा करनी होगी.
सिलीगुड़ी में हर दूसरे तीसरे दिन साइबर ठगी के मामले सामने आ रहे हैं. लोगों की जमा पूंजी स्वाहा हो रही है. पीड़ित लोगों से पूछताछ में यह भी पता चला है कि उन्हें साइबर ठगी का तत्काल कोई एहसास ही नहीं हुआ और जब उन्हें इसका एहसास हुआ तब तक उनके खाते से रकम निकल चुकी थी. आखिर गलती कहां होती है, यह समझने की जरूरत है. क्या कारण है कि पुलिस के बार-बार समझाने और प्रचार के बावजूद लोग कहीं ना कहीं चूक कर बैठते हैं जिनके कारण उनकी जिंदगी भर की कमाई लूटी जा रही है.
डिजिटल अरेस्ट वर्तमान में खूब चल रहा है. साइबर ठग इस तकनीक का खूब प्रयोग कर रहे हैं. देश में डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामलों को देखते हुए इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेक्टर ने सार्वजनिक परामर्श जारी कर कहा है कि सीबीआई, पुलिस, कस्टम, ईडी,या कोई अन्य प्रशासनिक व्यक्ति लोगों को वीडियो कॉल के जरिए गिरफ्तार नहीं करते हैं. अतः यह बात ध्यान रखने की जरूरत है कि अगर कोई व्यक्ति खुद को पुलिस या प्रशासनिक व्यक्ति बता कर आपको डिजिटल अरेस्ट की धमकी देता है तो उसकी धमकी में कदापि ना आएं.
केंद्र सरकार भी ऐसे मामलों को रोकने के लिए काफी गंभीर है. सरकार ऐसी प्रणाली विकसित कर रही है जिससे कि इस प्रकार की फर्जी कॉल उपभोक्ताओं तक ना पहुंच सके. आपको शायद यकीन ना हो पर साइबर ठगी या अपराध के लिए इन दिनों रोजाना एक करोड़ से अधिक कॉल विदेश से भी की जा रही है. संचार विभाग ने साइबर अपराध रोकने के लिए डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफार्म लॉन्च किया है. इस प्लेटफार्म पर सभी टेलीकॉम कंपनियों के साथ गृह मंत्रालय, बैंक तथा वित्तीय संस्थाएं, सभी राज्यों एव॔ केंद्रशासित प्रदेशों की पुलिस तथा विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों को एक साथ लाया गया है ताकि साइबर धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग पर रियल टाइम कार्रवाई की जा सके.
आने वाले कुछ समय में संचार विभाग के द्वारा फर्जी दस्तावेज पर मोबाइल कनेक्शन लेने वालों को पकड़ने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके अलावा स्वयं उपभोक्ताओं को भी हर समय अलर्ट रहने की जरूरत है. जानकार मानते हैं कि साइबर अपराध की घटनाएं बढ़ने का एक बड़ा कारण देश में उपयुक्त कानून का ना होना है. मौजूदा कानून साइबर अपराध के मामले में जमानती है, जिससे साइबर अपराधी आसानी से छूट जाते हैं. इसलिए कडा कानून बनाने की जरूरत है. कानून कड़ा करने के साथ ही सर्विस प्रोवाइडर को भी सख्त और जिम्मेदार बनाना होगा, तभी ऐसी घटनाओं पर लगाम लग सकेगी.
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