2003 में जब ममता बनर्जी विपक्ष में थी, तब राज्य में वाममोर्चा का शासन था. ममता बनर्जी तब एनडीए का हिस्सा थी. एक सभा में ममता बनर्जी ने कहा था कि अगर राज्य में आर एस एस उसका सहयोग करे, तो उनकी पार्टी लाल आतंक से लड़ने में कामयाब हो जाएगी. इस अवसर पर आर एस एस के एक नेता ने ममता बनर्जी को बंगाल की दुर्गा कहा था…
2011 में ममता बनर्जी ने राज्य में 34 साल से शासन कर रहे वामपंथियों का सफाया कर दिया और तब से वह सत्ता में हैं. आज स्थिति बदल चुकी है. आज राज्य में ममता बनर्जी को पंचायत चुनाव में हराने के लिए सत्ता से हटाने के लिए भाजपा विपक्षी पार्टियों का स्थानीय स्तर पर गठजोड़ की संभावना पर विचार कर रही है.
पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव की घोषणा कोर्ट के आदेश के बाद ही होगी. जब तक कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता, तब तक चुनाव आयोग अधिसूचना जारी नहीं कर सकता. इस बीच पंचायत चुनाव की तैयारी विभिन्न दलों की ओर से शुरू हो चुकी है.
तृणमूल कांग्रेस पंचायत चुनाव को क्लीन स्वीप करने के लिए पूरी तरह तैयार है. मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा पंचायत चुनाव में हिंसा की आशंका व्यक्त कर रही है और इसीलिए राज्य में पंचायत चुनाव केंद्रीय बलों की उपस्थिति में कराने की मांग को लेकर हाई कोर्ट गई है. इस पर हाईकोर्ट फैसला सुनाने वाला है. शायद 9 मार्च को फैसला आ जाए.
अगर हाई कोर्ट का फैसला भाजपा के पक्ष में आता है तो भाजपा अपनी रणनीति में बदलाव कर सकती है. लेकिन अगर हाई कोर्ट का फैसला टीएमसी के पक्ष में जाता है, तो ऐसी स्थिति में यह चर्चा चल रही है कि भाजपा पंचायत चुनाव में टीएमसी का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए वामपंथी और कांग्रेस के साथ हाथ मिला सकती है.
इसका संकेत भी मिलने लगा है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार कहीं ना कहीं टीएमसी को हराने के लिए वाम मोर्चा और कांग्रेस से सहयोग लेने को बुरा नहीं मानते. उधर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी भी संकेत दे चुके हैं कि भले ही भाजपा और कांग्रेस के बीच काफी दूरियां हैं, परंतु कभी-कभी स्थानीय स्तर पर किसी बड़े उद्देश्य के लिए दोनों पार्टियों को हाथ मिलाना पड़ता है.
दरअसल इस बार पंचायत चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को हराने के लिए वाममोर्चा, कांग्रेस और भाजपा किसी भी हद तक जा सकते हैं. सूत्र यह भी बता रहे हैं कि उनका गठबंधन भी हो सकता है. हालांकि कल क्या फैसला होगा, यह तो कोई नहीं जानता. परंतु वर्तमान में भाजपा समेत तमाम विपक्षी पार्टियों का एकमात्र निशाना तृणमूल कांग्रेस है, जिसे पंचायत चुनाव में हराने की बात हो रही है.
राज्य में पंचायत चुनाव अप्रैल में होंगे. इस बात की संभावना ज्यादा है. तृणमूल कांग्रेस 2024 में अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना चाहती है. इसलिए उसके लिए पंचायत चुनाव में भारी जीत दर्ज करना जरूरी है. वैसे भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कह चुकी है कि 2024 का चुनाव वह अकेले दम पर लड़ेगी और भाजपा का मुकाबला करेगी. ऐसे में अगर पंचायत चुनाव में टीएमसी का प्रदर्शन फीका रहता है तो ममता बनर्जी की आगे की राह काफी कठिन सिद्ध हो सकती है.