सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव एक वरिष्ठ राजनीतिक नेता हैं. उन्हें राजनीति का अच्छा खासा तजुर्बा है. खुद पर उठाई गई उंगली का जवाब देना उन्हें अच्छी तरह आता है. कल सिलीगुड़ी नगर निगम के पूर्व चेयरमैन और पूर्व नगर विकास मंत्री अशोक भट्टाचार्य ने राज्य सरकार द्वारा माटीगाड़ा में महाकाल मंदिर निर्माण करने की घोषणा और इसके लिए जमीन देने को लेकर एक बड़ा सवाल उठाया था और पूछा था कि क्या कोई सरकार पर्यटन की अपनी जमीन को धार्मिक स्थल बनाने के लिए दान कर सकती है? क्या राज्य सरकार को धार्मिक स्थल बनाना चाहिए?
आज अशोक भट्टाचार्य के उठाए गए सवाल और मुद्दों का विस्तार से जवाब देने के लिए गौतम देव ने एक संवाददाता सम्मेलन बुलाया और विस्तार से उनके एक-एक सवाल का उत्तर दिया. गौतम देव ने कहा कि अशोक बाबू कहते हैं कि राज्य सरकार महाकाल मंदिर का निर्माण करना चाहती है. क्या यह राज्य सरकार का विषय है? उन्होंने इसका जवाब देते हुए कहा कि अशोक बाबू क्या इतना नहीं समझते हैं कि महाकाल मंदिर के जरिए कल्चरल और रिलिजियस टूरिज्म डेवलपमेंट होगा! क्या टूरिज्म डेवलपमेंट से उत्तर बंगाल और खासकर सिलीगुड़ी तथा आसपास के लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं होंगे!
गौतम देव ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पश्चिम बंगाल की संस्कृति शिल्प व पर्यटन पर आधारित है. उत्तर बंगाल में चाय और पर्यटन महत्वपूर्ण स्थान रखता है. यहां चाय और पर्यटन के विकास से रोजगार और शिल्प उन्नयन होता है. जब से सत्ता में हमारी सरकार आई है तभी से हम यह सभी उपाय कर रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उत्तर बंगाल का चौतरफा विकास हो. उन्होंने सवाल किया कि अशोक बाबू को किसी पर आरोप लगाने से पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए कि जब उनकी सरकार थी तो उत्तर बंगाल उपेक्षित था.
वाममोर्चा की सरकार ने सिलीगुड़ी समेत उत्तर बंगाल को उसके हाल पर छोड़ रखा था. सिलीगुड़ी में चारों तरफ अतिक्रमण और शून्य विकास के अलावा कुछ नहीं था. लेकिन जब हमारी सरकार आई तो सिलीगुड़ी को अतिक्रमण से मुक्त कराया. कूचबिहार से लेकर दार्जिलिंग तक जल, रास्ता, स्कूल, अस्पताल और संसाधनों का बेहतर विकास किया. लोगों की मूल आवश्यकताओं को पूरा करने का काम किया. वाममोर्चा की सरकार में ईस्टर्न बाईपास की क्या हालत थी! क्या वह जानते नहीं है? हमने ईस्टर्न बाईपास का काया कल्प किया और फोरलेन का विस्तार किया है.
गौतम देव इतना ही पर नहीं रुके. उन्होंने अशोक भट्टाचार्य के उठाए गए एक-एक सवाल का उत्तर दिया. उन्होंने कहा कि अशोक बाबू को क्या यह दिखता नहीं है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बागडोगरा में एयरपोर्ट से लेकर कला व शिल्प से लेकर लघु उद्योग के विस्तार के लिए क्या-क्या नहीं किया! उन्होंने पूछा कि क्या बागडोगरा एयरपोर्ट ऐसा ही था? मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बागडोगरा एयरपोर्ट के विकास के लिए चाय बागान की जमीन प्रदान की और किसानों को पैसे दिए.
आज कावाखाली में 10 एकड़ से ज्यादा जमीन पर कन्वेंशन सेंटर बन रहा है. माटीगाड़ा में 27 एकड़ जमीन पर क्रिकेट स्टेडियम बनेगा. इसके अलावा फाइव स्टार होटल, सिलीगुड़ी नगर निगम का नया हाल, फ्लैट निर्माण और वितरण, पहाड़िया भवन, अतिक्रमण मुक्त सिलीगुड़ी, सड़कों का नवीकरण, नई सड़क का निर्माण, बांग्लार बाड़ी, रास्ता, स्कूल, सामुदायिक भवन, अस्पताल… क्या उन्हें नजर नहीं आता है? क्या यह सब हवा हवाई बातें हैं?
उन्होंने राज्य सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि हमारी सरकार ने सभी वर्ग के लोगों का ख्याल किया है और उनका आर्थिक विकास करने में पीछे कदम नहीं रखा है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की प्रेरणा से 422 फ्लैट तैयार हुए और उनका गरीबों में वितरण किया गया. विधान नगर में पाइनएप्पल का सेंटर बनाना उद्योग के क्षेत्र में उद्यमियों को आर्थिक मजबूती प्रदान कर रहा है. उन्होंने कहा कि जलपाईगुड़ी में बांग्ला बाड़ी बनवाई. कोविड के समय में राज्य सरकार ने क्या क्या किया? यह बताने की जरूरत नहीं है.
उन्होंने कहा कि पहाड़ के लोगों के लिए हमारी सरकार ने पहाड़िया भवन, कानून के क्षेत्र में लोगों को सुविधा प्रदान करने के लिए सर्किट बेंच की स्थापना, फुलबारी में ESI अस्पताल का निर्माण इत्यादि बहुत से कार्य किए हैं. लेकिन अशोक बाबू को यह सब नजर नहीं आता है. गौतम देव ने कहा कि अशोक बाबू केवल सिलीगुड़ी और उत्तर बंगाल के लोगों को भ्रमित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जहां तक एसजेडीए के अधिकार की बात है, तो SJDA राज्य सरकार की एक मनोनीत संस्था है. कोई भी बड़ा प्रोजेक्ट SJDA नहीं कर सकता है. यह राज्य सरकार ही कर सकती है. क्या उन्हें पता नहीं है?
कल अशोक भट्टाचार्य ने SJDA पर आरोप लगाया था कि SJDA एक प्रतीक मात्र है. उसी का जवाब आज गौतम देव दे रहे थे. संवाददाता सम्मेलन में गौतम देव के साथ एसजेडीए के नए चेयरमैन दिलीप दुगगड भी उपस्थित थे.

