सिलीगुड़ी में सर्दी खांसी बुखार के बढते मामलों के बीच केमिस्ट की दुकान पर सर्दी खांसी बुखार जैसे इनफ्लुएंजा के विभिन्न कफ सिरप लेने वालों की भीड़ बढ़ती जा रही है. रोगी डॉक्टर को फीस देने के लिए तैयार नहीं है. ना ही वह अस्पताल जा रहे हैं, जहां उनका मुफ्त इलाज हो सके. क्योंकि उनके पास समय नहीं है.ऐसे में घर के पास स्थित केमिस्ट शॉप पर जाकर बच्चों के कफ सिरप ले रहे हैं ताकि जल्द से जल्द उनके बच्चे स्वस्थ हो सके.
अगर कफ सिरप बच्चे की प्रकृति के अनुकूल है तो उसके स्वास्थ्य में सुधार होने लगता है. पर यह भी सत्य है कि सभी प्रकार के कफ सिरप इनफ्लुएंजा पर असर नहीं करते. कभी-कभी केमिस्ट शॉप से लाया गया कफ सिरप बच्चे को नुकसान भी पहुंचा सकता है. आप किसी भी केमिस्ट शॉप में चले जाइए. विभिन्न कंपनियों के कफ सिरप उपलब्ध रहते हैं. अपने उत्पादों को बेचने के लिए कंपनियां केमिस्ट एजेंटों को कमीशन देती है. जिन कंपनियों के उत्पाद कम असरकारक अथवा गुणवत्तापूर्ण नहीं होते, उन कंपनियों के द्वारा दवा की दुकानों अथवा एजेंटों को ज्यादा कमीशन यहां तक कि कभी-कभी 50% कमीशन का ऑफर कंपनियां पेश करती है. अनेक एजेंट अथवा दवा के दुकानदार लालच में आकर घटिया कफ सिरप रोगी को बेचने पर मजबूर हो जाते हैं.
रोगी तो यही समझता है कि केमिस्ट शॉप से जो सिरप घर ले आया है और उसका सेवन कर रहा है, उससे वह ठीक हो जाएगा. पर हर बार ऐसा नहीं होता. कभी-कभी यह रोगी के लिए जानलेवा भी सिद्ध होता है. आपको बताते चलें कि उज़्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत एक कफ सिरप के सेवन से हो गई थी. यह कफ सिरप भारत में निर्मित हुआ था. इस पर काफी हंगामा हुआ. उसके बाद भारत सरकार ने कफ सिरप की जांच कराने का बीड़ा उठाया.
नोएडा की एक चर्चित कंपनी का एक कफ सिरप इन दिनों सुर्खियों में है. उक्त कंपनी के कफ सिरप में डायथिलीन ग्लाइकोल और एथिलीन ग्लाइकोल रसायन मिलाया जा रहा था. यह वह रसायन है जिस पर भारत और दूसरे देशों ने प्रतिबंध लगाया हुआ है. इस रसायन का प्रयोग सिरप को स्ट्रांग और स्वादिष्ट बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. चंडीगढ़ लैब से आई कफ सिरप के सैंपल की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है.
लैब में सिरप की अलग-अलग जांच की गई है. इसमें 22 सैंपल फेल बताए जा रहे हैं. आपको बताते चलें कि डायथिलीन और एथिलीन ग्लाइकोल एक मीठा जहर है. इसे मिलाने से सिरप की कड़वाहट महसूस नहीं होती है और बच्चों को यह स्वादिष्ट भी लगता है. परंतु इस रसायन की ज्यादा मात्रा मिलाने से यह एक मीठा जहर बन जाता है. ऐसे में सिलीगुड़ी वासियों को सावधान रहने की जरूरत है. खासकर ऐसे माता-पिता को जिनके बच्चे सर्दी खांसी या इनफ्लुएंजा से पीड़ित हैं. उन्हें चाहिए कि अपने बच्चों को योग्य डॉक्टर को दिखाएं तथा उनकी सलाह से ही बच्चों को दवाइयां दी जाए!