May 4, 2024
Sevoke Road, Siliguri
Uncategorized

तेरा क्या होगा कालिया! विमल गुरुंग किसका हाथ थामने वाले हैं?

जब नदी में बाढ़ और धरती पर तूफान आता है तो हर किसी को अपना वजूद बचाने की चिंता बढ़ जाती है. इस स्थिति में भागम भाग की स्थिति बनती दिखाई देती है. आपने भी ऐसी कई कहानियां पढ़ी सुनी होगी, जब तूफान आने पर बाघ बकरी एक साथ हो जाते हैं. वहां प्राणियों के बीच एक दूसरे को खाने और बचाने की नहीं, बल्कि तूफान में अपना प्राण बचाने की चिंता और भय ही ज्यादा दिखाई देता है. दार्जिलिंग की राजनीति में भी कुछ ऐसा ही तूफान आने वाला है अथवा इसकी आहट सुनाई दे रही है.

इस समय पहाड़ में मुख्य रूप से तीन बड़े नेता दिख रहे है, जो पहाड़ की राजनीति को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं. इनमें से विनय तमांग, विमल गुरुंग, अनीत थापा और दूसरे संगठन के नेता है. विनय तमांग और विमल गुरुंग कभी दोस्त थे. जब पहाड़ में गोरखालैंड का आंदोलन हुआ था, तब दोनों दोस्तों की दोस्ती पहाड़ में एक मिसाल बनी थी. गोरखालैंड आंदोलन के समय अपने उग्र आचरण के चलते विमल गुरुंग तो फरार हो गए, जबकि विनय तमांग ममता बनर्जी के करीब आते गए. बाद में स्थिति ऐसी कुछ बनी कि विनय तमांग 2021 में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए लेकिन 1 साल के अंदर ही विनय तामांग का TMC से मोह भंग हो गया.

विनय तमांग अब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बन गए हैं. अधीर रंजन चौधरी ने उन्हें कांग्रेस में शामिल किया है. इस समय विनय तमांग कांग्रेस की प्रशंसा करते थकते नहीं. उनकी नजर में कांग्रेस ही एक दल है, जो उन जैसे नेताओं का बड़ा कल्याण कर सकता है. पहाड़ में क्षेत्रीय दल किसी बड़े दल का सहयोग, समर्थन करके ही अपनी राजनीतिक रोटियां सेकते हैं. पहाड़ की यही राजनीति हमेशा से ही देखी गई है. आलोचक तो यह भी कहते हैं कि पहाड़ के विकास का दावा करने वाले बड़े-बड़े नेता दरअसल खुद अपना विकास और नफा नुकसान देखना चाहते हैं.जो बड़ा दल उन्हें यह सब देता है, वह उस दल का सदस्य हो जाते हैं. भाजपा इसका उदाहरण भी है.

विनय तमांग के कांग्रेस ज्वाइन करने के साथ ही विमल गुरुंग की चर्चा शुरू हो गई है. कयासों के बीच ही यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या विमल गुरुंग भी किसी बड़े दल का हाथ थामने वाले हैं? क्या अनित थापा भी किसी दल का दामन थामने जा रहे हैं? पहले विमल गुरुंग की बात करते हैं. विमल गुरुंग मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीब भी रह चुके हैं तो उनसे दूरी भी रखते हैं. लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में विमल गुरुंग भाजपा के काफी करीब थे. क्या अगले लोकसभा चुनाव में भी विमल गुरुंग भाजपा की सवारी करने वाले हैं? क्या अनीत थापा तृणमूल कांग्रेस में कोई महत्वपूर्ण जिम्मेवारी लेने जा रहे हैं? यह सारे सवाल विनय तमांग के कांग्रेस में चले जाने के बाद उठने लगे हैं.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहाड़ की यात्रा पर आने वाली है. चर्चा है कि अनित थापा की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ एक बैठक होने वाली है. अगर कल को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अनित थापा को तृणमूल कांग्रेस का दार्जिलिंग संसदीय सीट से उम्मीदवार घोषित करती हैं तो कोई आश्चर्य नहीं होगा. जहां तक विमल गुरुंग का प्रश्न है, विमल गुरुंग अभी तक या तो गोरखालैंड की मांग की राजनीति कर रहे हैं अथवा उत्तर बंगाल में पृथक राज्य की मांग पर ही उनकी राजनीति की धुरी घूमती है. उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का साथ भी कुछ इसी आशा और विश्वास में दिया था. लेकिन भाजपा ने अभी तक उस संकल्पना को भी पूरा नहीं किया है, जो वह 2019 के लोकसभा चुनाव में पहाड़ को लेकर अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था.

इस समय जरूर विमल गुरुंग भाजपा के खिलाफ आक्रामक बने हुए हैं. जानकार मानते हैं कि जैसे-जैसे 2024 का चुनाव निकट आता जाएगा, विमल गुरुंग की भाजपा के साथ दूरी घटती जाएगी. क्योंकि विमल गुरुंग को पता है कि भाजपा दुनिया का सबसे बड़ा दल है और भाजपा की उपेक्षा करके कोई भी छोटा दल अपना सपना पूरा नहीं कर सकता. जहां तक गोरखालैंड और उत्तर बंगाल में अलग राज्य की स्थापना की मांग है, हालांकि भाजपा के केंद्रीय नेताओं की ओर से इस संबंध में कोई आश्वासन नहीं मिला है, परंतु यह भी सत्य है कि भाजपा उत्तर बंगाल में अलग राज्य की स्थापना के पक्ष में है. पिछले दिनों उत्तर बंगाल में भाजपा के कई नेताओं के मुंह से यह बात सामने भी आई थी.

कूचबिहार में अनंत महाराज के भाजपा में चले जाने से यह भी संकेत साफ है कि भाजपा उत्तर बंगाल में अलग राज्य की स्थापना के खिलाफ भी नहीं है. विमल गुरुंग की पार्टी भारतीय गोरखा जनमुक्ति मोर्चा गोरखालैंड की मांग करती आ रही है. जबकि स्वयं विमल गुरुंग भी यही चाहते हैं. लेकिन इसके साथ-साथ उत्तर बंगाल में सेपरेट स्टेट की राजनीति की धुरी भी बन चुके हैं. विमल गुरुंग कई बार दिल्ली भी जा चुके हैं.आने वाले समय में चर्चा और कयास यह भी लगाया जा रहा है कि विमल गुरुंग एक बार फिर से दिल्ली जा सकते हैं. उन्हें भाजपा के बड़े नेताओं की ओर से आमंत्रण दिया जा सकता है. लेकिन विमल गुरुंग भाजपा का आमंत्रण स्वीकार भी करेंगे? और यदि वह स्वीकार करते हैं तो उनकी शर्त क्या होगी? यह सब कुछ भविष्य के गर्भ में है.

अटकलों का बाजार गर्म है. पहाड़ में राजनीतिक तूफान उठ खड़ा हुआ है और यह जनवरी -फरवरी तक चलता रहेगा. पहाड़ का कौन नेता किस बड़े दल का दामन थामने वाला है, यह भी स्पष्ट हो जाएगा. विनय तमांग ने इसकी शुरुआत कर दी है. इसलिए अगले दो-तीन महीने पहाड़ के नेताओं के इधर से उधर होने के लिए काफी महत्वपूर्ण है. फिलहाल विमल गुरुंग अपनी राजनीति को लेकर चर्चा में है. अब देखना है कि विमल गुरुंग क्या किसी बड़े दल का हाथ थामने वाले हैं अथवा स्वतंत्र होकर अपनी राजनीति करने वाले हैं?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

DMCA.com Protection Status