सिलीगुड़ी, उत्तर बंगाल समेत पूरे प्रदेश में बच्चों की कम उपस्थिति वाले सरकारी स्कूलों को बंद करने की चर्चा शुरू हो गई है. हालांकि राज्य शिक्षा विभाग ने जिन स्कूलों में 30 से कम विद्यार्थी हैं, उन स्कूलों की तालिका मांगी है, जिसमें स्कूलों को बंद करने संबंधित कोई बात नहीं की गई है. परंतु इसे लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है. राजनीतिक दल इस पर रोटियां सेंकने में जुट गए हैं. सच्चाई क्या है, अभी तक यह पता नहीं चल सका है.
आपको बताते चलें कि पश्चिम बंगाल राज्य के 8000 से अधिक ऐसे स्कूल हैं जहां विद्यार्थियों की संख्या 30 से भी कम है. इनमें दार्जिलिंग जिले में 519, कालिमपोंग जिले में दो, मिरिक में एक, कर्सियांग में दो, सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों में 85, सिलीगुड़ी नगर निगम इलाके में 9, नक्सलबाड़ी में 23 ,बिधाननगर क्षेत्र में 19, माटीगाड़ा में 13 और खोरी बाड़ी क्षेत्र में 18 स्कूल शामिल है.
वही अलीपुरद्वार जिले में 165, उत्तर दिनाजपुर जिले में 70, दक्षिण दिनाजपुर जिले में 223, जलपाईगुड़ी में 217 ,मालदा जिले में 137 और कूचबिहार जिले में 421 स्कूल ऐसे हैं, जहां विद्यार्थियों की संख्या बहुत ही कम है. ऐसे सभी स्कूलों की शिक्षा विभाग ने तालिका मांगी है.उसके बाद ही यह सवाल और भ्रांतियां तेज हो गई है कि क्या सरकार इन स्कूलों को बंद करने जा रही है?
राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा ने दावा किया है कि सरकार इन स्कूलों को बंद करने जा रही है. भाजपा सांसद राजू बिष्ट ने दावा किया है कि दार्जिलिंग जिले में 519 स्कूल बंद हो सकते हैं. उन्होंने तृणमूल कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया है कि , शिक्षा में भ्रष्टाचार, कट मनी और भाई भतीजावाद का ही यह परिणाम है कि सरकार वित्तीय संकट का सामना कर रही है. उन्होंने कहा है कि तृणमूल कांग्रेस की सरकार ने अयोग्य शिक्षकों से स्कूलों और कॉलेजों को भर दिया है और इन सभी ने मिलकर राज्य में शिक्षा प्रणाली को ध्वस्त कर दिया है.
सच्चाई चाहे जो भी हो,हो सकता है कि सरकार ऐसे स्कूलों को बंद ना करे, परंतु इसे लेकर फैलाई जा रही नकारात्मक खबरों ने अभिभावकों को चिंता में जरूर डाल दिया है. इसके साथ ही बच्चे भी चिंतित और परेशान हैं. अगर स्कूल बंद होता है तो उनकी पढ़ाई लिखाई कैसे होगी, यह चिंता बढ़ती जा रही है.
खासकर ऐसे अभिभावक सबसे ज्यादा परेशान हैं, जिनके बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं और वहां निजी विद्यालय भी उपलब्ध नहीं है. अलीपुरद्वार जिले में 162 स्कूलों की तालिका मांगी गई है, जहां बहुत कम बच्चे पढ़ते हैं. कई कई स्कूल तो ऐसे भी हैं, जहां दहाई बच्चे भी उपलब्ध नहीं है.फिर भी स्कूल चल रहा है. ऐसे स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों तथा अभिभावकों की शंका तथा अनिश्चितता बढ़ती जा रही है.
सिलीगुड़ी, जलपाईगुड़ी, कूचबिहार ,अलीपुरद्वार के विभिन्न जिलों और प्रखंडों में अभिभावकों और बच्चों में उदासी तथा चिंता देखी जा रही है. बक्सा पहाड़ के इलाकों में अभिभावकों और बच्चों में मायूसी छाई है. यह पहाड़ी इलाका है जहां अधिकतर लोग गरीब हैं. उनके बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं.अगर स्कूल बंद होते हैं तो उन बच्चों की पढ़ाई रुक जाएगी. दूसरी ओर देखा जाए तो जिन स्कूलों में 30 से भी कम बच्चे हैं, ऐसे स्कूलों को यूं ही चलते देना भी राज्य सरकार के वित्तीय बोझ को बढ़ा सकता है. या तो सरकार ऐसे स्कूलों को फिर से आबाद करने अथवा विकसित करने के उपाय करे या फिर बच्चों को दूसरे स्कूल में शिफ्ट करके विद्यालय भवन का उपयोग किसी अन्य कार्य में किया जाए.
वर्तमान में सिलीगुड़ी समेत पूरे बंगाल में शिक्षकों, अभिभावकों और बच्चों में मायूसी छाई है. छात्र और अभिभावक वैकल्पिक व्यवस्था की तलाश में जुट गए हैं. अगर सरकारी स्कूल बंद होते हैं तो सबसे ज्यादा समस्या ऐसे अभिभावकों के समक्ष आएगी जो अपने बच्चों को निजी विद्यालयों में पढ़ाने में सक्षम नहीं है. ऐसे में उन बच्चों का भविष्य अंधकार में हो सकता है.