March 29, 2024
Sevoke Road, Siliguri
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मेयर से चेयरमैन, चेयरमैन से पुनः मेयर! ऐसा भी होता है!

कुछ घटनाएं ऐसी होती है जो भुलाए नहीं भूलती. यह विचित्र घटना होती है जो हमेशा मस्तिक पटल पर अंकित होकर रह जाती है. यूं तो भारत देश में अजीबोगरीब घटनाएं घटती रहती हैं. वह चाहे राजनीति हो या सामाजिक क्षेत्र या फिर प्रशासनिक तंत्र, सब जगह अजीबोगरीब घटनाएं घटती रहती है!

कुछ घटनाएं ऐतिहासिक हो जाती है. जबकि कुछ घटनाएं आरंभ में लौकिक और बाद में अलौकिक बन जाती है.राजनीति के क्षेत्र में कम से कम लौकिक और अलौकिक घटनाएं जरूर देखी जा सकती है. जैसा कि सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव के साथ घटना घटी है. गौतम देव एक दिन में ही एसजेडीए के चेयरमैन हो गए और फिर से सिलीगुड़ी नगर निगम के प्रभारी हो गए जो वह वर्तमान में हैं.

एक ऐसी घटना जिसके बारे में खुद उस व्यक्ति को हैरानी होती है, जिसे बता दिया जाता है कि उसका प्रमोशन किया जा रहा है, और प्रमोशन भी हो जाता है. लेकिन तभी ऐन टाइम पर उसे फिर से उसी हाल में पहुंचा दिया जाता है. जहां वह पहले से ही था. हालांकि राजनीति में इस तरह की घटनाएं पहले भी सुनी गई है.परंतु कम से कम सिलीगुड़ी शहर में यह अपनी तरह की पहली घटना है.

सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव ने खुद प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने उन्हें एसजेडीए का चेयरमैन नियुक्त किया है. तब उनके चेहरे पर कितनी खुशी और जोश दिख रहा था. जबकि इस पोस्ट पर सौरभ चक्रवर्ती पहले से ही प्रभुत्व जमाए हुए हैं. सौरभ चक्रवर्ती को भी पता नहीं होता. इस तरह से ना तो गौतम देव और ना ही सौरव चक्रवर्ती को पता होता है. दोनों ही चकित रह जाते हैं.

कम से कम मेयर गौतम देव तो बिल्कुल ही चकरा जाते हैं. क्योंकि वह पहले से ही सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर हैं. अधिकांश पार्टियां एक पद और एक व्यक्ति के सिद्धांत पर कार्य करती है. तृणमूल कांग्रेस में भी यही रणनीति है. इसलिए चकराने का कारण स्वाभाविक ही है. और यही कारण है कि उन्होंने बाकायदा संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया.

गौतम देव को दो दो बार संवाददाता सम्मेलन कर अपनी बात मीडिया के सामने रखनी पड़ी. लेकिन जब दूसरी बार उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया तो उनकी आवाज में वह खनक नहीं थी. लेकिन इन सब में सबसे बड़ा आश्चर्य तो उस नोटिफिकेशन को लेकर है, जिसके आधार पर उन्हें मेयर और चेयरमैन बनाया गया और फिर चेयरमैन से वापस मेयर.

यह कैसा मजाक है! आखिर हाईकमान से यह भूल कैसे हो गई? यह भी चिंता की बात है. कम से कम प्रिंटिंग मिस्टेक तो इसे नहीं माना जा सकता. अर्बन विभाग के अधिकारी इस तरह की भूल अथवा किसी रणनीति के तहत इस तरह की सुर्खियां बटोर रहे हैं. फिलहाल यह चर्चा सिलीगुड़ी शहर में खूब बटोरी जा रही है.

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