ऐसे बहुत मौके आते हैं जब किसी अकेली महिला को ट्रेन में यात्रा करनी पड़ जाती है. ऐसे में अपनी सुरक्षा को लेकर महिलाएं चिंतित रहती हैं. पूर्व में इस तरह की अनेक घटनाएं घट चुकी है, जब महिलाओं के साथ छेड़छाड़ अथवा अन्य प्रकार की घटनाएं घटित हुई है. हालांकि महिलाओं में आई जागरूकता के कारण स्थिति में थोड़ा सुधार जरूर हुआ है. मगर आज भी महिला सुरक्षा को लेकर महिलाओं की चिंता बनी रहती है.
भारतीय रेलवे ने रेल में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई पहल की है. परंतु उन सब के बावजूद आज भी रेल में यात्रा के क्रम में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं अखबारों तथा न्यूज़ चैनल्स की सुर्खियां बन जाती है. अब एक बार फिर से भारतीय रेलवे ने महिला सुरक्षा को और सख्त बनाते हुए एक सिस्टम विकसित किया है. यह सिस्टम है आपातकालीन बटन. सूत्र बता रहे हैं कि यह आपातकालीन बटन हर उस रेलगाड़ी में लगाया जाएगा जिन रेलगाड़ियों में महिलाएं अधिकतर आवागमन करती हैं. इनमें कामकाजी महिलाएं भी शामिल है.
जैसे ही महिला आपातकालीन स्थिति में आपातकालीन बटन दबाएगी, तुरंत ही गार्ड के केबिन, लोको पायलट और कंट्रोल रूम से उसका संपर्क हो सकेगा. उसके बाद महिला को तत्काल सहायता मिल जाएगी. उत्तर रेलवे की ओर से आपातकालीन बटन लगाने का सिस्टम शुरू हो चुका है. ईएमयू तथा मेमू ट्रेनों में बटन लगाए जा रहे हैं. इन ट्रेनों में कामकाजी महिलाओं की भीड़ देखी जाती है.
दिल्ली से गाजियाबाद, पलवल ,बहादुरगढ़, शामली की ओर जाने वाली लोकल ट्रेनों में यह सुविधा शुरू हो गई है. एक अलार्म चेन होता है. जैसे ही महिला चेन खींचती है, बती जल उठेगी और बजर बज उठेगा. महिला को आपातकालीन सहायता मिल जाएगी.दूसरे रेल मंडलों में भी आपातकालीन बटन शुरू किया जा सकता है. दिल्ली रेलवे बोर्ड ने तो निविदा प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. उम्मीद की जा रही है कि दूसरे रेलवे बोर्ड भी जल्द ही इस ओर पहल कर देंगे.
वर्तमान में कई रेलगाड़ियों में महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए आरपीएफ के साथ-साथ बहुत सारे एप्प भी हैं. परंतु उनका उचित लाभ महिलाओं को नहीं मिल रहा है. खासकर महिला यात्रियों को. आज भी महिलाओं को ट्रेन में यात्रा करते समय डर लगता है. खासकर महिलाएं जब अकेली सफर कर रही हो तो उसके साथ छेड़छाड़ जैसी घटनाएं घटने का अंदेशा रहता है. ट्रेन में यात्रा करते समय मदद नहीं मिलने के कारण महिलाएं बेवस हो जाती है लेकिन अब उन्हें ऐसी विषम स्थिति का सामना शायद ना करना पड़े! जानकार मानते हैं कि रेलवे के इस कदम से महिला यात्रियों का आत्मविश्वास बढ़ेगा तथा उनकी यात्रा सहज- सरल हो सकेगी.