March 29, 2024
Sevoke Road, Siliguri
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क्या सिलीगुड़ी समेत पूरे बंगाल में हुक्का बार का वजूद बच जाएगा?

ऐसा लगता है कि सिलीगुड़ी और पूरे राज्य में हुक्का बार मालिकों को कानूनी रास्ता मिल गया है. कोलकाता में हुक्का बार मालिक हाई कोर्ट पहुंच गए हैं और हाई कोर्ट ने हुक्का बार मालिकों के तर्क को अनसुना नहीं किया है. कोर्ट ने कोलकाता नगर निगम और विधान नगर निगम के पुलिस कमिश्नर को जवाब दाखिल करने को कहा है.

यूं तो सिलीगुड़ी के बार और रेस्टोरेंट में हुक्का सर्व करने की अनुमति नहीं है. सूत्र बता रहे हैं कि यहां हुक्का सर्व करने का लाइसेंस किसी के पास भी नहीं है. फिर भी यहां हुक्का सर्व करने की एक आध घटनाएं सामने आ जाती है, जब पुलिस का यहां छापा पड़ता है. लेकिन कोलकाता और बिधाननगर में हुक्का बार बंद करने के आदेश के बाद सिलीगुड़ी में भी बार और रेस्टोरेंट के मालिक फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं.

कोलकाता और बिधाननगर में सरकारी आदेश का पालन करवाने के लिए पुलिस हुक्का बार को बंद करवा रही है. यहां के हुक्का बार के मालिकों ने हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि कोलकाता और बिधाननगर की पुलिस उनके हुक्का बार को जबरन बंद करवा रही है.

हुक्का बार मालिकों के वकीलों ने हाईकर्ट में जिरह करते हुए कहा है कि हुक्का बार खोले जाने का लाइसेंस सेंट्रल टोबैको कंट्रोल एक्ट 2003 के अंतर्गत दिया जाता है. ऐसे में कोई भी राज्य सरकार अलग से आदेश जारी नहीं कर सकती.

हुक्का बार मालिकों के वकीलों ने कानून की बारीकियों को कोर्ट के सामने रखते हुए कहा है कि हुक्का बार में न्यूनतम निकोटिन वाला तंबाकू का इस्तेमाल होता है. वकीलों ने अपने मुवक्किल का पक्ष रखते हुए कहा है कि इस तरह का कोई भी कानून नहीं है, जिससे कि सरकार की पुलिस हुक्का बार के खिलाफ कार्रवाई कर सके! उन्होंने प्रश्न किया है कि क्या सेंट्रल एक्ट को ओवरलैप करते हुए राज्य सरकार कानून बना सकती है?

हुक्का बार मालिकों के वकीलों का तर्क और कानून की बारीकियों के मद्देनजर जस्टिस राजा शेखर म॔था ने विधान नगर निगम और कोलकाता नगर निगम के पुलिस कमिश्नर को मंगलवार तक जवाब देने को कहा है. ऐसा लगता है कि कोर्ट हुक्का बार मालिकों के तर्क को गंभीरता से ले रहा है. क्या कोर्ट मान रहा है कि राज्य सरकार की ओर से सेंट्रल एक्ट का उल्लंघन किया जा रहा है? क्या यह समझा जाए कि हुक्का बार मालिकों के वकीलों का तर्क अपनी जगह जायज है और हाईकोर्ट इसे दरकिनार नहीं कर सकता?

राज्य सरकार के वकील और पुलिस कमिश्नर मंगलवार तक अपना जवाब दाखिल करेंगे. हाई कोर्ट उसी दिन मामले की अगली सुनवाई करेगा. उसके बाद ही यह पता चलेगा कि हुक्का बार मालिकों के केस का रूख किस करवट लेता है. ऐसा लगता है कि हुक्का बार मालिकों का पलड़ा भारी है.

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क्या सिलीगुड़ी समेत पूरे बंगाल में हुक्का बार का वजूद बच जाएगा?

ऐसा लगता है कि सिलीगुड़ी और पूरे राज्य में हुक्का बार मालिकों को कानूनी रास्ता मिल गया है. कोलकाता में हुक्का बार मालिक हाई कोर्ट पहुंच गए हैं और हाई कोर्ट ने हुक्का बार मालिकों के तर्क को अनसुना नहीं किया है. कोर्ट ने कोलकाता नगर निगम और विधान नगर निगम के पुलिस कमिश्नर को जवाब दाखिल करने को कहा है.

यूं तो सिलीगुड़ी के बार और रेस्टोरेंट में हुक्का सर्व करने की अनुमति नहीं है. सूत्र बता रहे हैं कि यहां हुक्का सर्व करने का लाइसेंस किसी के पास भी नहीं है. फिर भी यहां हुक्का सर्व करने की एक आध घटनाएं सामने आ जाती है, जब पुलिस का यहां छापा पड़ता है. लेकिन कोलकाता और बिधाननगर में हुक्का बार बंद करने के आदेश के बाद सिलीगुड़ी में भी बार और रेस्टोरेंट के मालिक फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं.

कोलकाता और बिधाननगर में सरकारी आदेश का पालन करवाने के लिए पुलिस हुक्का बार को बंद करवा रही है. यहां के हुक्का बार के मालिकों ने हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि कोलकाता और बिधाननगर की पुलिस उनके हुक्का बार को जबरन बंद करवा रही है.

हुक्का बार मालिकों के वकीलों ने हाईकर्ट में जिरह करते हुए कहा है कि हुक्का बार खोले जाने का लाइसेंस सेंट्रल टोबैको कंट्रोल एक्ट 2003 के अंतर्गत दिया जाता है. ऐसे में कोई भी राज्य सरकार अलग से आदेश जारी नहीं कर सकती.

हुक्का बार मालिकों के वकीलों ने कानून की बारीकियों को कोर्ट के सामने रखते हुए कहा है कि हुक्का बार में न्यूनतम निकोटिन वाला तंबाकू का इस्तेमाल होता है. वकीलों ने अपने मुवक्किल का पक्ष रखते हुए कहा है कि इस तरह का कोई भी कानून नहीं है, जिससे कि सरकार की पुलिस हुक्का बार के खिलाफ कार्रवाई कर सके! उन्होंने प्रश्न किया है कि क्या सेंट्रल एक्ट को ओवरलैप करते हुए राज्य सरकार कानून बना सकती है?

हुक्का बार मालिकों के वकीलों का तर्क और कानून की बारीकियों के मद्देनजर जस्टिस राजा शेखर म॔था ने विधान नगर निगम और कोलकाता नगर निगम के पुलिस कमिश्नर को मंगलवार तक जवाब देने को कहा है. ऐसा लगता है कि कोर्ट हुक्का बार मालिकों के तर्क को गंभीरता से ले रहा है. क्या कोर्ट मान रहा है कि राज्य सरकार की ओर से सेंट्रल एक्ट का उल्लंघन किया जा रहा है? क्या यह समझा जाए कि हुक्का बार मालिकों के वकीलों का तर्क अपनी जगह जायज है और हाईकोर्ट इसे दरकिनार नहीं कर सकता?

राज्य सरकार के वकील और पुलिस कमिश्नर मंगलवार तक अपना जवाब दाखिल करेंगे. हाई कोर्ट उसी दिन मामले की अगली सुनवाई करेगा. उसके बाद ही यह पता चलेगा कि हुक्का बार मालिकों के केस का रूख किस करवट लेता है. ऐसा लगता है कि हुक्का बार मालिकों का पलड़ा भारी है.

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