सिलीगुड़ी के विधान रोड पर स्थित है गोष्ठो पाल स्मारक, जो कंचनजंघा स्टेडियम के कोने पर स्थित विकास घोष स्विमिंग पूल के निकट स्थित है. यहां मोटे अक्षरों में …आई लव सिलीगुड़ी’ भी लिखा हुआ है. रात के समय इसकी छटा देखते ही बनती है.
विधान मार्केट चौराहे पर स्थित महान फुटबॉल खिलाड़ी गोष्ठो पाल की प्रतिमा रात के समय रोशनी में निखर उठती है. इस रास्ते से आने जाने वाले लोगों की दृष्टि अनायास ही प्रतिमा की ओर चली जाती है. फव्वारों के बीच में महान फुटबॉल खिलाड़ी के स्मारक की छटा राहगीरों को मंत्रमुग्ध कर देती है.
विकास घोष मेमोरियल स्विमिंग पूल की सबसे बड़ी खासियत ‘आई लव सिलीगुड़ी’ का लुक भी है. शाम के समय जब सड़कों और स्विमिंग पुल की बतियां जल उठती हैं, तब गोष्ठो पाल स्मारक के गिर्द फव्वारे शुरू हो जाते हैं.उनसे निकलने वाली जल की बूंदे महान फुटबॉलर की प्रतिमा के गिर्द अठखेलियां खाती हुई मनमोहक छवि प्रस्तुत करती हैं.
विधान मार्केट हमेशा चहल पहल से युक्त रहता है. यहां विशाल मार्केट है. जहां खरीददारी के लिए सिलीगुड़ी के अलावा दूर-दूर से लोग आते हैं. Dooars और पहाड़ के लोग भी इस मंजर को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं.
यूं तो सिलीगुड़ी में अनेक महापुरुषों के स्मारक और प्रतिमा स्थल हैं. उनकी साज-सज्जा और प्रकाश व्यवस्था भी अद्भुत है. पर घोस्टो पाल स्मारक की छटा और व्यवस्था देखते बनती है. सिलीगुड़ी और पूरा बंगाल फुटबॉल के लिए जाना जाता है. यहां फुटबॉल के कद्रदान अत्यधिक हैं. फुटबॉल प्रेमियों के स्वाभिमान की रक्षा के लिए घोस्टो बिहारी पाल की प्रतिमा की प्रकाश व्यवस्था और फव्वारों की उपस्थिति कहीं ना कहीं फुटबॉल के खेल की लोकप्रियता को दर्शाती है. नजदीक में ही कंचनजंघा स्टेडियम है. इस तरह से खेल से जुड़ी गतिविधियों की उपस्थिति में फुटबॉल के महान खिलाड़ी की प्रतिमा तथा उनकी साज सज्जा खास बनाती है.
आपको बताते चलें कि गोस्टो बिहारी पाल एक महान भारतीय फुटबॉलर थे. 1920 तथा 1930 के दशक में उनका भारत में ही बल्कि विदेशों तक में जलवा बरकरार था. वह भारतीय नेशनल टीम के पहले कप्तान थे, जिनकी कप्तानी में भारत ने फुटबॉल के क्षेत्र में विशिष्ट पहचान बनाई थी.
20 अगस्त 1896 को बांग्लादेश में जन्मे गोस्टो बिहारी पाल से ही फुटबॉल को जाना गया. उस समय बांग्लादेश तत्कालीन ब्रिटिश इंडिया के बंगाल रेजिडेंसी का हिस्सा था. गोस्टो बिहारी पाल ज्यादातर मोहन बागान की ओर से खेलते थे. क्लब की ओर से उन्हें बेस्ट प्लेयर का खिताब दिया गया था. घोस्टो पाल एक महान क्षेत्र रक्षक खिलाड़ी थे. 8 अप्रैल 1976 को कोलकाता में उनका देहांत हो गया था. उनकी स्मृति में ही यहां प्रतिमा लगाई गई है जो सिलीगुड़ी के फुटबॉल प्रेमियों को हमेशा गौरवान्वित करती रहती है.