सिलीगुड़ी बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और सिक्किम की सीमा पर स्थित एक ऐसा शहर है, जहां अपराध करने और अपराधियों को बचकर निकल भागने के पर्याप्त रास्ते हैं. कुछ समय पहले सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव ने भी कहा था कि सिलीगुड़ी में अपराधी अपराध करने के बाद सीमा पार कर जाते है.
यूं तो सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों में सब तरह के अपराध होते हैं. परंतु एक अपराध यहां सबसे ज्यादा होता है, वह है ड्रग्स की तस्करी. ऐसा कोई भी दिन नहीं बीतता जब सिलीगुड़ी के किसी न किसी इलाके से पुलिस ड्रग्स तस्करी के आरोप में किसी न किसी को गिरफ्तार ना करती हो. बरसों से यह धंधा यहां काफी फल फूल रहा है.ड्रग्स और नशे के धंधे में सिलीगुड़ी के अधिकांश परिवार बर्बाद हो रहे हैं. ड्रग्स और नशे के धंधे में युवाओं की जिंदगी तबाह हो रही है.
जिस समय सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस ने say no to drugs अभियान शुरू किया था, तब यह धंधा इतना व्यापक नहीं था जो आज दिख रहा है. पुलिस को विश्वास था कि उनके अभियान का ड्रग्स तस्करों और सिलीगुड़ी के लोगों पर असर पड़ेगा तथा युवाओं की जिंदगी तबाह होने से बच जाएगी.मगर ऐसा नहीं हो सका. गुजरते समय में यहां ड्रग्स का धंधा एक बट वृक्ष का आकार ले चुका है. यही कारण है कि पुलिस के लगातार अभियान के बावजूद drugs आपूर्ति के धंधे पर कोई असर नहीं पड़ रहा है. लाख कोशिश के बावजूद सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस उस चेन को काटने में सफल नहीं रही, जो इस व्यवसाय को बढ़ावा दे रहे हैं.
सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने ड्रग्स के खिलाफ जो अभियान चलाया था, इसका एक मकसद यह भी था कि लोगों में जागरूकता आए. परंतु जागरूकता तो नहीं आई अपितु इस धंधे का स्वरूप भी बदल गया है. पहले इस धंधे में नौजवान लड़के लड़कियों को शामिल किया जाता था. अब ड्रग्स तस्करों ने बुजुर्ग महिलाओं तथा छात्रों को भी अपने जाल में फांसना शुरू कर दिया है. सालबाड़ी की घटना इसका ताजा उदाहरण है. आज सिलीगुड़ी के 44 नंबर वार्ड स्थित विद्याचक्र कॉलोनी से भी पुलिस ने एक महिला और एक पुरुष को गिरफ्तार किया है.सालबाडी से पुलिस ने 2 बुजुर्ग महिलाओं को 5 किलो गांजे के साथ गिरफ्तार किया. बागडोगरा, माटीगाड़ा इलाके में तो यह धंधा इतना व्यापक हो चुका है कि छोटे-छोटे बच्चे भी जानते हैं कि ड्रग्स की सप्लाई कौन करता है और उसे कहां से प्राप्त किया जा सकता है.
सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस ऐसे मामलों में फूंक-फूंक कर कदम रखती है. गुप्तचर सूत्रों तथा शिकायत के आधार पर ही पुलिस कार्रवाई करती है. सिलीगुड़ी के नजदीक माटीगाड़ा व शहर के गुरुंग बस्ती, चंपासाड़ी, मल्लागुड़ी, दार्जिलिंग मोड इत्यादि कुछ अन्य बदनाम इलाकों में ड्रग्स तस्करों का आतंक इतना है कि कोई भी सामान्य नागरिक ड्रग्स तस्करी के खिलाफ अपनी जुबान खोलने की हिम्मत नहीं जुटाता. इसका लाभ उठाकर तस्कर अपने मंसूबे पूरे कर लेते हैं. यही कारण है कि ड्रग्स तस्करी का जाल धीरे-धीरे पूरे शहर को अपनी चपेट में लेता जा रहा है.
आखिर यह धंधा इतना फल फूल क्यों रहा है? जानकार मानते हैं कि इस धंधे में मेहनत कुछ नहीं है. जबकि कमाई भरपूर है. ड्रग्स तस्कर इस धंधे में शामिल कैरियर को अच्छा कमीशन देते हैं और इसके साथ ही उनके पकड़े जाने पर जमानत का खर्चा भी देते हैं. सूत्रों ने बताया कि ड्रग्स तस्करी के धंधे में शहर के कुछ रुतबे वाले लोग शामिल होते हैं. पुलिस को भी पता होता है. पर राजनीतिक दबाव तथा अन्य कारणो से पुलिस इस चेन को काटने की हिम्मत नहीं जुटा पाती. जो लोग पकड़े जाते हैं उनकी जमानत का प्रबंध वही लोग करते हैं. कुछ दिनों में वे जेल से बाहर आकर फिर से अपने धंधे में जुट जाते हैं.
जहां ऐसी स्थिति हो, वहां पुलिस के ‘से नो टू ड्रग्स’ अभियान का कितना असर होगा, इसे आसानी से समझा जा सकता है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो कुछ दिनों में सिलीगुड़ी और आसपास के क्षेत्रो में घर-घर मादक पदार्थ और ड्रग्स की दस्तक होने लगेगी. अतः सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस को निष्पक्ष होकर व बिना किसी दबाव के ड्रग्स के खिलाफ अपना अभियान जोर शोर से चलाने की जरूरत है.