वर्ल्ड कप चल रहा है. रविवार को भारत और दक्षिण अफ्रीका का क्रिकेट मैच कोलकाता के ईडन गार्डन में चल रहा था. मैच देखने के लिए सिलीगुड़ी से भी अनेक क्रिकेट प्रेमी कोलकाता गए थे. ईडन गार्डन में मैच देख रहे सिलीगुड़ी के कई युवाओं ने अचानक जोश में आकर सिलीगुड़ी में क्रिकेट स्टेडियम की मांग कर डाली. उनके हाथों में तख्तियां थी, जिस पर लिखा था वी वांट क्रिकेट स्टेडियम इन सिलीगुड़ी…
रविवार को आयोजित भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका के मैच में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 243 रनों से हराया था. क्रिकेट मैच के समय सिलीगुड़ी के युवाओं में जो जोश और जुनून देखा जाता है, इसकी बानगी अन्यत्र मिलना मुश्किल है. अगर भारत ने जीता तो सिलीगुड़ी के क्रिकेट प्रेमी जश्न में डूबने लगते हैं और अगर भारत ने मैच हारा तो टीवी सेट भी टूटने लगते हैं. ऐसी है दीवानगी सिलीगुड़ी के युवाओं की.
सिलीगुड़ी ही नहीं बल्कि पूरे बंगाल में खेल के प्रति लोगों की दीवानगी देखी जाती है. फुटबॉल हो या क्रिकेट, सिलीगुड़ी के युवा भरपूर रोमांच की अनुभूति करते हैं. जब कभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच होता है, तो युवाओं की दीवानगी देखते बनती है. भले ही उनकी जेब में पैसे ना हो, लेकिन क्रिकेट अथवा फुटबॉल का मैच स्टेडियम में देखने के लिए वह कहीं से भी पैसे का इंतजाम कर लेते हैं. इसका रोमांच वर्तमान में देख सकते है. लेकिन अफसोस की बात यह है कि जहां खेल के इतने दीवाने हो, जहां फुटबॉल और क्रिकेट की बात गली-गली में की जाती है, वहां उस शहर में एक भी स्टेडियम नहीं है.
जब क्रिकेट और खेलों का बुखार चढ़ता है तो अक्सर सिलीगुड़ी में स्टेडियम की बात उठने लगती है. सिलीगुड़ी और आसपास के क्षेत्र में खेलों में कुछ कर दिखाने के लिए अनेक युवा लड़के मचल रहे हैं. लेकिन यहां स्टेडियम नहीं होने से उन्हें मन मसोस कर रह जाना पड़ता है. अनेक खेल प्रतिभाएं तो यहां से पलायन ही कर जाती हैं. सिलीगुड़ी और उत्तर बंगाल की कई नामचीन खेल हस्तियां अपने बयानों में सिलीगुड़ी में क्रिकेट स्टेडियम नहीं होने के दुख का इजहार कर चुकी है. आपको याद होगा कि कुछ समय पहले सिलीगुड़ी के वर्ल्ड कप स्टारर रिद्धिमान साहा ने भी सिलीगुड़ी में क्रिकेट स्टेडियम की आवश्यकता पर बल दिया था. उन्होंने कहा था कि आप सोच सकते हैं कि जब एक क्रिकेट खिलाड़ी को अभ्यास के लिए मैदान ना मिले तो उसका क्या हाल होता है…
रिद्धिमान साहा समेत कई खेल हस्तियों ने भी सिलीगुड़ी में क्रिकेट स्टेडियम नहीं होने तथा यहां से खेल प्रतिभाओं के पलायन की बात कही थी. ऐसा नहीं है कि प्रशासन भी इसकी जरूरत महसूस नहीं करता है, लेकिन वित्तीय और राजनीतिक कारणों से अब तक यह परवान नहीं चढ़ सका है. जब जब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल इंडिया में होते हैं, उस समय सिलीगुड़ी में क्रिकेट स्टेडियम की मांग जरूर होती है. या फिर जब कोई क्रिकेट सितारा सिलीगुड़ी आता है तो यहां मीडिया में क्रिकेट स्टेडियम की मांग जरूर होने लगती है. लेकिन बाद में सब कुछ भुला दिया जाता है.
रविवार को कोलकाता के ईडन गार्डन में युवाओं में जोश और जुनून देखा गया. उन्होंने सिलीगुड़ी में क्रिकेट स्टेडियम की मांग करते हुए बैनर और तख्ती के जरिए अपना आक्रोश व्यक्त किया तो मीडिया का ध्यान इस तरफ गया. सिलीगुड़ी के अनेक क्रिकेट प्रेमियों ने वी वांट क्रिकेट स्टेडियम इन सिलीगुड़ी की आवाज बुलंद की. हर बार सिलीगुड़ी में एक स्टेडियम के निर्माण की मांग होती है. पर सच्चाई तो यह है कि फुटबॉल के लिए जाना जाने वाला कंचनजंगा स्टेडियम भी अपना वजूद खोता जा रहा है.
किसी समय फुटबॉल के लिए कंचनजंगा स्टेडियम भारत में प्रसिद्ध था. यहां राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल मैच भी हो चुके हैं. वर्तमान में इसकी उपयोगिता राजनीतिक अथवा सामाजिक कार्यक्रमों के लिए भीड़ जुटाने मात्र ही रह गई है. ऐसे में जब अपने वजूद की पहचान के लिए तरस रहे कंचनजंगा स्टेडियम का कायाकल्प नहीं हो रहा है, तो ऐसे में सिलीगुड़ी में एक नए क्रिकेट स्टेडियम के निर्माण की बात कैसे की जा सकती है! अब तो बस केवल आस ही रखनी चाहिए, कभी ना कभी धुंध छटेगी और एक नई सुबह होगी!