एक व्यक्ति ने रात में सपना देखा. उसके सामने भगवान खड़े मंद मंद मुस्कुरा रहे थे. भक्त से कहा कि वर मांग लो. भक्त ने कहा, प्रभु मैं अपने शहर के लिए वर मांगना चाहता हूं… मेरा शहर ऐसा हो जहां घर से कार निकाल कर पत्नी के साथ शहर घूमने जाऊं तो कहीं भी मुझे ट्रैफिक का सामना नहीं करना पड़े. नदी में स्नान करने जाऊं तो नदी का पानी निर्मल मिले. नदी के दोनों तट पर चमचमाती सडकें देखकर पड़ोसी शहरों के दिल पर सांप लोटने लगे. मेरे शहर में खूबसूरत पार्क हो, जहां मैं अपनी पत्नी के साथ कुछ देर तक बैठ सकूं. शहर में अमन चैन हो. कोई बीमार ना हो और बीमार होने पर इलाज की समुचित व्यवस्था हो. प्रभु, मेरे शहर को ऐसा बना दीजिए कि कोई भी व्यक्ति प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करे… और उस व्यक्ति ने अपने भगवान से अपनी कल्पना के अनुसार शहर की संरचना की मांग की. भगवान ने कहा कि ऐसा ही होगा और उसके बाद भगवान अंतर्ध्यान हो गए. व्यक्ति की नींद खुल गई…
सिलीगुड़ी नगर निगम के बजट को देखकर ये पंक्तियां जेहन में तैरने लगती हैं. किसी भी एक आम व्यक्ति की कुछ इसी तरह की कल्पना होती है. सिलीगुड़ी नगर निगम के बजट में कुछ इसी तरह की तस्वीर सिलीगुड़ी को लेकर उभर कर आती है. बरसों से महानंदा नदी प्रदूषण की शिकार रही है. इसके अलावा सिलीगुड़ी में सड़कों की हालत भी अच्छी नहीं है. एक तो संकीर्ण सडकें, ऊपर से ट्रैफिक जाम जैसे सिलीगुड़ी की तकदीर बन चुकी है. यहां पार्कों का भी कमोबेश ऐसा ही हाल है. स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भी कुछ ज्यादा सुधार नहीं देखा जा रहा है. काफी समय से इस बात की चर्चा हो रही है कि महानंदा और अन्य सहायक नदियों को इस लायक बनाया जाए ताकि शहर की सुंदरता में चार चांद लग सके.
महानंदा नदी के किनारे सौंदर्यीकरण और सड़कों के निर्माण की बात काफी समय से हो रही है. कुछ लोग इसे दिवा स्वप्न की तरह देखते हैं.परंतु सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव इस दिवा स्वप्न को साकार करने को जैसे ठान चुके हैं. उनके बजट में यह ऐलान किया गया है कि महानंदा नदी के किनारे दोनों तरफ चमचमाती सड़कें बनाई जाएंगी. इसके अलावा महानंदा नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए सभी तरह के उपाय किए जाएंगे. नदी में कूड़ा कचरा बहाने से रोकने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा. इसके अलावा नदी प्रदूषण को रोकने, प्लास्टिक कैरी बैग तथा थर्मोकोल के प्रचलन को बंद करने का भी निगम बोर्ड ने फैसला किया है. इसके लिए टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा.
सिलीगुड़ी नगर निगम के बजट में और भी बड़ी-बड़ी घोषणाएं की गई है. सिलीगुड़ी नगर निगम क्षेत्र में जल संकट की समस्या वर्षों से है.गर्मियों में लोग पानी के संकट से हमेशा दो-चार होते रहे हैं. गौतम देव ने अपने बजट में इसके समाधान का उपाय भी पेश किया है. उन्होंने कहा कि अटल मिशन फॉर रिजूवनेशन एंड अर्बन ट्रांसफारमेशन 2-0 योजना के तहत मेगा पेयजल परियोजना पर कार्य शुरू किया गया है. जल्द ही दूसरे चरण के लिए भी टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी. यानी सिलीगुड़ी के लोगों को जल्द ही पेयजल संकट से निजात मिलने वाली है. पेयजल संकट के समाधान के अलावा बजट में ट्रैफिक सुधार के लिए उपयुक्त कदम उठाने पर जोर दिया गया है. इसके अलावा पार्किग समस्या के समाधान, खेलकूद के विकास, कंचनजंगा स्टेडियम का विकास इत्यादि का भी उन्होंने बजट में प्रावधान जोड़ा है.
यह सब तो खैर चलता रहता है.लेकिन महानंदा नदी को निर्मल बनाने और महानंदा नदी के तट पर दोनों तरफ सड़के बनाने का उनका फैसला वाकई सिलीगुड़ी वासियों के लिए सुनने में एक दिवा स्वप्न की तरह ही लगता है. क्योंकि जब बजट में 10 करोड़ से भी ज्यादा का घाटा पेश किया गया है, ऐसी स्थिति में महानंदा नदी के किनारे चमचमाती सड़कें बनाना, महानंदा के पानी को निर्मल बनाना समेत निगम के द्वारा विभिन्न योजनाओं को भविष्य में शुरू करने की बात कहीं ना कहीं संदेह के घेरे में रखती है. जब बचत ही घाटे का हो तो नए विकास के लिए पैसे कहां से आएंगे, यह सवाल तो बनता ही है. शायद इसीलिए विपक्ष ने इसे आधारहीन बजट कहा है और इसका मजाक भी उड़ाया है.
लेकिन गौतम देव को खुद पर भरोसा है. इसके लिए उनके पास पर्याप्त फंड भी है. जिसके जरिए वे अपनी घोषणाओं को जमीन पर उतार सकते हैं. आप कहेंगे कि क्या उनके पास जादुई चिराग है. यह शक्ति है टैक्स उगाही की. सिलीगुड़ी नगर निगम शहर के लोगों से टैक्स वसूली कर रहा है, जिसका परिमाण लगातार बढ़ रहा है. इस टैक्स के भंडार से ही सिलीगुड़ी शहर का सौंदर्यीकरण किया जाएगा. और एक आम शहरी के सपने को साकार किया जाएगा.
सिलीगुड़ी शहर शुरू से ही ट्रैफिक जाम का सामना करता रहा है. इसके स्थाई समाधान के लिए अब तक कोई कारगर प्रयास नहीं किया गया. ऐसे शहर में जहां टोटो की भरमार हो, उनके लिए कोई गाइडलाइंस नहीं हो, बिना स्टैंड के ही गाड़ियां कहीं भी रुक जाए, उस शहर में 2 सालों के अंदर ट्रैफिक से मुक्ति दिलाने की बात कदाचित थोड़ी अटपटी लगती है. आपको याद होगा कि शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए क्या से क्या उपाय नहीं किए गए. लेकिन कुछ नहीं हो सका.परंतु मेयर गौतम देव को लगता है कि 2 साल के अंदर ही वे सिलीगुड़ी शहर को ट्रैफिक जाम से मुक्त कर देंगे. मजे की बात तो यह है कि शहर के लोगों पर कोई नया टैक्स भी नहीं लगाया गया है.
इन सबके बावजूद मेयर गौतम देव को नगर निगम टैक्स और नॉन टैक्स दोनों मिलाकर सत्र 2023 24 के पहले 9 महीने में वसूले गए 45 करोड़ 64 लाख 64 हजार पर भरोसा है. उन्हें लगता है कि जिस तरह से निगम को टैक्स मिल रहा है, 31 मार्च 2024 तक यह आंकड़ा 64 करोड़ 65 लाख 68 हजार तक पहुंच जाएगा. उन्होंने 2024 25 में सभी टैक्स वसूली का लक्ष्य 79 करोड़, 58 लाख 60 हजार रुपए रखा है, जिससे वे अपनी योजनाओं को मूर्त रूप दे सकेंगे. बहरहाल यह देखना होगा कि मेयर गौतम देव का यह बजट चुनाव को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है या फिर वाकई में मेयर अपनी घोषणाओं को जमीन पर उतारना चाहते हैं.
(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)