एक स्कूल में दसवीं कक्षा में पढ़ने वाले वाले दो बच्चों में किसी बात को लेकर विवाद हो गया. उस समय कक्षा चल रही थी. जबकि बच्चे आपस में लड़ रहे थे. विवाद देखते देखते मारपीट में तब्दील हो गई. एक छात्र ने गुस्से में दूसरे छात्र की छाती में जोर से मुक्का मार दिया. जिससे छात्र की मौत हो गई…
आमतौर पर एक अभिभावक की इच्छा होती है कि उसका बच्चा एक ऐसे स्कूल में शिक्षा प्राप्त करे, जहां अनुशासन, पढ़ाई का उपयुक्त तथा शांत वातावरण और अच्छी शिक्षा व्यवस्था हो. सिलीगुड़ी के कुछ ही स्कूलों में अच्छी शिक्षा, बच्चों में अनुशासन और व्यवस्थित वातावरण रहता है. अन्यथा बहुत से निजी स्कूलों में पढ़ाई और अनुशासन से ज्यादा इस बात का ध्यान रखा जाता है कि अभिभावकों के द्वारा बच्चों की फीस समय से जमा की जाती है या नहीं.
जहां तक सरकारी स्कूलों की बात है, सरकारी स्कूलों में ना तो पर्याप्त शिक्षक हैं और ना ही वहां शिक्षा का उत्तम प्रबंध है. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अपनी ही दुनिया में मस्त रहते हैं. यहां ना तो अनुशासन है और ना ही किसी तरह का शिक्षकों का बच्चों में भय रहता है. ऐसे में कुछ शरारती बच्चे आपस में ही मारपीट करने लगते हैं. शिक्षक देखते रहते हैं. ज्यादा से ज्यादा प्रिंसिपल तक शिकायत के अलावा कुछ नहीं होता है. बेचारे प्रिंसिपल भी दोनों पक्षों को बुलाकर आपस में सुलह करा देते हैं. लेकिन इस बात की कभी आवश्यकता महसूस नहीं की जाती कि कम से कम स्कूल का शैक्षिक वातावरण और बच्चों में अनुशासन का विकास किया जाए.
लेकिन अब समय आ गया है कि स्कूल प्रबंधन को स्कूल में शैक्षिक वातावरण के साथ-साथ बच्चों में अनुशासन को बढ़ाया जाए. यह घटना हुगली के एक स्कूल की है, जिसने अभिभावकों में चिंता बढाई है. स्कूल का नाम आर्य विद्यापीठ है. इसी स्कूल में दोनों छात्र पढ़ते थे. किसी बात को लेकर दोनों के बीच कहासुनी हो गई ,जो देखते ही देखते मौत में तब्दील हो गई. आश्चर्य की बात तो यह है कि उस समय क्लास चल रही थी. जबकि दोनों बच्चे आपस में झगड रहे थे. अभिनव नामक एक छात्र ने दूसरे छात्र की छाती पर जोरदार प्रहार किया. मुक्का लगते ही छात्र बेहोश हो गया.
छात्र के बेहोश होने के बाद स्कूल प्रशासन हरकत में आया और आनन फानन में बेहोश छात्र को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया. डॉक्टर ने जांच के बाद छात्र को मृत घोषित कर दिया. यह घटना एक तरफ जहां छात्रों में शिक्षा के प्रति अरुचि और भय का वातावरण पैदा करता है, तो दूसरी तरफ अभिभावकों में निराशा और चिंता. सिलीगुड़ी में दर्जनों निजी और सरकारी स्कूल चल रहे हैं. वहां बच्चे पढ़ते भी हैं. लेकिन एक आम अभिभावक किसी निजी स्कूल में ही महंगी फीस देकर अपने बच्चों को पढ़ाना चाहता है इसलिए कि उनका बच्चा विद्यालय में सुरक्षित रहे.
हुगली के इस स्कूल की हृदय विदारक घटना ने सिलीगुड़ी के स्कूलों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है. अगर स्कूल छात्र के अभिभावकों से महंगी फीस लेते हैं तो उन्हें यह सुनिश्चित करना आवश्यक होता है कि बच्चे भी स्कूल में सुरक्षित रहें. इसके लिए जरूरी है कि विद्यालय में बच्चों के बीच अनुशासन रहे. स्कूल प्रबंधन शिक्षा के साथ-साथ बच्चों के अनुशासन पर जोर दे, तभी इस तरह की घटनाओं से बचा जा सकता है.
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