आज सिलीगुड़ी से लेकर कोलकाता और पूरे बंगाल में लोगों के चेहरे उस समय हर्षित और आनंदित हो उठे, जब दीघा में अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर जगन्नाथ धाम का धार्मिक अनुष्ठान के साथ लोकार्पण हो गया. पूरा बंगाल इस ऐतिहासिक क्षण का गवाह बना. सिलीगुड़ी में दीघा के कार्यक्रम का लाइव प्रसारण देखने के लिए जगह-जगह एलईडी स्क्रीन लगाए गए थे. सिलीगुड़ी के इस्कॉन मंदिर में दीघा के जगन्नाथ मंदिर का सीधा प्रसारण किया गया.
सिलीगुड़ी जिला प्रशासन के सौजन्य से इस्कॉन परिसर में लगाए गए एलईडी स्क्रीन पर इस दिव्य कार्यक्रम का सीधा प्रसारण देखने के लिए शहर की मशहूर हस्तियां उपस्थित थीं. इस कार्यक्रम में सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव, डिप्टी मेयर रंजन सरकार, दार्जिलिंग जिले की जिला मजिस्ट्रेट प्रीति गोयल, सिलीगुड़ी के पुलिस कमिश्नर सी सुधाकर, जिला पुलिस अधीक्षक, सिलीगुड़ी के एसडीओ, अन्य प्रशासनिक अधिकारी, तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्षा पापिया घोष और शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे.
उधर पार्टी स्तर पर भी टीएमसी ने इस अवसर पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया था. दार्जिलिंग जिला TMC अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की ओर से सफदर हाशमी चौक पर लगाए गए एलईडी स्क्रीन पर इस कार्यक्रम को दिखाया गया. कार्यक्रम में दार्जिलिंग जिला तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष आलोक चक्रवर्ती, अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष मंजूर आलम अंसारी समेत अन्य टीएमसी नेता मौजूद थे. कार्यक्रम में मौजूद नेताओं ने कहा कि धार्मिक सहिष्णुता और एकता का संदेश फैलाने के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया.
मेयर गौतम देव ने प्रसन्नतापूर्वक कहा कि यह एक ऐतिहासिक अवसर है. हम सभी इस गौरवमयी उपलब्धि पर काफी खुश हैं. उन्होंने कहा कि लोग काफी संख्या में दीघा जाएंगे और भगवान जगन्नाथ धाम का दर्शन करेंगे. वह खुद भी जगन्नाथ धाम जाएंगे. मेयर गौतम देव ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पहल की काफी सराहना की. उन्होंने कहा कि यह धाम राज्य के धार्मिक तथा पर्यटन मानचित्र पर एक नया आयाम खोलेगा.
जगन्नाथ धाम के निर्माण में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पहल और प्रयास की सराहना की जा रही है. मंदिर निर्माण में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. वह एक दिन पहले ही दीघा पहुंच गई थी. उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में भाग लिया था. मुख्यमंत्री ने कहा कि उड़ीसा हर कोई नहीं जा सकता. इसलिए बंगाल में भी ऐसा मंदिर जरूरी था.उन्होंने घोषणा की है कि हर साल दीघा में भव्य रथ यात्रा आयोजित की जाएगी.यह आयोजन पुरी की परंपरा को बंगाल की धरती पर जीवंत करेगा.
पुरी का जगन्नाथ धाम विश्व भर में प्रसिद्ध है. जगन्नाथ धाम में श्रद्धालुओं और तीर्थ यात्रियों की हमेशा भीड़ रहती है. यहां दूर-दूर से तीर्थ यात्री आते हैं. अत्यंत भीड़ के कारण कभी-कभी तीर्थ यात्रियों को धाम के दर्शन के लिए काफी इंतजार करना पड़ता है. लेकिन अब अब पुरी की धाम परंपरा को बंगाल की धरती ने जीवन्त कर दिया है. पुरी जगन्नाथ धाम की तरह ही दीघा में जगन्नाथ धाम श्रद्धालुओं के लिए खुल गया है. बंगाल के लोग अब अपने ही प्रदेश में जगन्नाथ धाम का दर्शन कर सकेंगे. यहां श्रद्धालुओं को ऐसा ही एहसास होगा जैसे वह पुरी में जगन्नाथ धाम को देखते हैं.
चलिए जगन्नाथ धाम की कुछ विशेषताओं को जानते हैं. जगन्नाथ धाम 213 फीट ऊंचा और 20 एकड़ में फैला है. इस मंदिर की शिल्प कला पुरी के मंदिर की तर्ज पर ही है. मंदिर निर्माण के लिए राजस्थान से बलुआ पत्थर लाया गया था. यह मंदिर बंगाल की सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध कर रहा है. मंदिर की मुख्य विशेषताओं में गर्भ गृह, जगमोहन, नट मंदिर, भोग मंडप कुल चार पारंपरिक मंडप हैं. कलिंग शैली की नकाशी की गई है. इसके अलावा शिखर पर नील चक्र, चारों ओर श॔ख और चक्र से सजावट की गई है. हर दरवाजे के पास सीढियां और छतरियां भी देखी जा सकती हैं.
जब जगन्नाथ मंदिर का लोकार्पण हो रहा था, दीघा की सड़कों पर रंग-बिरंगे लेजर शो और डायनामिक लाइटिंग शो का ऐसा नजारा प्रस्तुत किया गया कि पूरे शहर में एक दिव्यता की धारा बह रही थी. चारों तरफ नीली और सफेद रोशनी का अद्भुत मंजर था. महायज्ञ में लगभग 100 क्विंटल आम और बेल की लकड़ी तथा दो क्विंटल घी का उपयोग हुआ. इसकी दिव्य खुशबू पूरे शहर में लोगों ने अनुभव किया. जगन्नाथ मंदिर के निर्माण में देश के विभिन्न तीर्थ स्थलों से पवित्र जल का उपयोग किया गया है. मंदिर का निर्माण हिडको ने किया है. इसका पूरा प्रबंध इस्कॉन को सौपा जाएगा. मंदिर निर्माण पर लगभग 250 करोड रुपए खर्च किए गए हैं.