किसी भी राजनीतिक दल में कुछ नेता पावर का नाजायज फायदा उठाते हैं. चाहे वह तृणमूल कांग्रेस हो या भारतीय जनता पार्टी अथवा कांग्रेस या कोई भी राजनीतिक दल के नेता यह समझने लगते हैं कि वे कानून से बड़े हैं. कभी-कभी ऐसा लगता है कि वे सचमुच कानून से बड़े हो गए हैं. इस तरह के कई उदाहरण हैं. लेकिन ताजा मामला जो सुर्खियों में है, वह है अणुव्रत मंडल से जुड़ा मामला जिसमें उन्होंने बोलपुर थाने के प्रभारी आईसी लिटन हालदार को अपशब्द कहे थे और उनकी पत्नी, मां तथा घर की अन्य महिलाओं के साथ दुष्कर्म की धमकी दी थी. इसी मामले में उनके खिलाफ बोलपुर पुलिस ने मामला दर्ज किया था.
स्वयं अणुव्रत मंडल पूछताछ में पुलिस का सहयोग करने बोलपुर के शांतिनिकेतन स्थित एसडीपीओ कार्यालय में पहुंचे तो उनका रुतबा पहले जैसा ही था. लगभग 2 घंटे की पूछताछ के बाद जब वह एसडीपीओ कार्यालय से बाहर निकले तो उनके चेहरे पर किसी तरह का तनाव नहीं था और वह मंद मंद मुस्कुरा रहे थे. जैसे यह बताना चाहते हो कि उनके पास पावर है. उनके पास पार्टी है. इसलिए कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता. हालांकि बोलपुर पुलिस ने अणुव्रत मंडल के खिलाफ दो गैर जमानती धाराएं भी लगाई थीं. लेकिन इसके बावजूद उन्हें केवल पूछताछ करके छोड़ दिया गया.
मजे की बात तो यह है कि अणुव्रत मंडल ने जिस पुलिस अधिकारी के खिलाफ अपशब्द कहे थे तथा उनके घर की महिलाओं से दुष्कर्म की धमकी दी थी, उसी शिकायतकर्ता पुलिस अधिकारी के खिलाफ विभागीय जांच शुरू हो चुकी है. जरूर लिटन हालदार को समझ में आ गया होगा कि कानून से बड़ा पावर है. कहीं ना कहीं वह पछता भी रहे होंगे कि एक नेता से पंगा लेकर उन्होंने खुद अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारी है. हमारे भारत में इस तरह की स्थिति का सामना कई बार पुलिस अधिकारियों को करना पड़ता है.
कानून के अनुसार लिटन हालदार के खिलाफ इसलिए मामला दर्ज किया गया है, क्योंकि उन्होंने बिना अनुमति के किसी की बातचीत को रिकॉर्ड किया था. यह एक कानूनन अपराध माना जाता है. आपको याद होगा कि कुछ दिन पहले मुर्शिदाबाद के नए एसपी ने भी अणुव्रत मंडल को लेकर कमेंट किया था और कहा था कि वह किसी नेता की सिफारिश से यहां तक नहीं पहुंचे हैं. जब तक सरकार चाहेगी,वह यहां के लोगों की सेवा करते रहेंगे.
लिटन हालदार तो यही समझ रहे थे कि उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ और बाहुबली नेता की बातचीत को रिकॉर्ड करके उनकी पोल खोल दी है और स्वयं को एक ईमानदार नेता के रूप में पेश किया है. परंतु हुआ ठीक इसके उल्टा और जो हुआ उसकी कल्पना तक लिटन हालदर ने नहीं की थी. अणुव्रत मंडल को कानून दंडित करेगा या नहीं करेगा, यह तो पता नहीं. परंतु शिकायतकर्ता लिटन हालदार के खिलाफ ही विभागीय जांच शुरू हो चुकी है. पुलिस ने उनका फोन भी जब्त कर लिया है. क्या मुर्शिदाबाद के नए एसपी के साथ भी यही हश्र होने वाला है?
सूत्र बताते हैं कि अणुव्रत मंडल का पूरा इतिहास ही दागदार रहा है. वह जेल भी जा चुके हैं. लेकिन इसके बावजूद उनके प्रभाव में कोई कमी नहीं आई है. वह पहले की तरह ही रुतबा रखते हैं. ऐसे नेताओं को पार्टी से हटाना अथवा उनका कद कम करना पार्टी के लिए भी आसान नहीं होता है. लोकतंत्र में जीतने वाला नेता ही पार्टी का चेहरा होता है. यह मायने नहीं रखता कि नेता दागदार है या स्वच्छ छवि का. यह केवल टीएमसी में ही नहीं है, बल्कि सभी राजनीतिक दलों में देखा जाता है.
ऐसे में पुलिस की कार्य शैली पर सवाल उठाए जाते हैं. भाजपा यह आरोप लगाती है कि बंगाल पुलिस सत्तारूढ टीएमसी के लिए काम करती है. जहां इस तरह की स्थिति हो, वहां नौकरी बचाने के लिए पुलिस को तो समझौते करने ही पड़ते हैं. अगर पुलिस स्वतंत्र रूप से काम करे, कानून के अनुसार अपनी जिम्मेदारी और कर्तव्यों का पालन करे, दोषी को गिरफ्तार करे और सजा दिलाए तो निश्चित रूप से पुलिस की छवि निखर उठेगी. इससे लोकतंत्र मजबूत होगा. जब तक पुलिस को स्वतंत्र रूप से काम करने की छूट नहीं मिलेगी, तब तक ना तो कानून का राज स्थापित होगा और ना ही अपराधी को दंड मिलेगा!
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