September 19, 2025
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NBMCH में दलाल जांच व ऑपरेशन के लिए मरीज से लेते हैं पैसे!

उत्तर बंगाल के एकमात्र चर्चित और वृहद अस्पताल उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक बार फिर से दलाल सक्रिय हो गए हैं. ऐसी चर्चा है कि जटिल बीमारियों के इलाज के लिए दूर दराज के इलाकों से आए मरीजों को विभिन्न तरह के टेस्ट के लिए लाइन में नहीं लगने और ऑपरेशन की डेट जल्द से जल्द निर्धारित करवाने की बात कह कर ये मरीजों से रिश्वत लेते हैं. पिछले दिनों एनबीएमसीएच में घटी एक घटना ने यह जता दिया है कि एक बार फिर से यहां दलाल सक्रिय हो गए हैं.

यहां पिछले दिनों इलाज के लिए एक मरीज को लाया गया था. मरीज को इमरजेंसी थी. मरीज इलाज के लिए दार्जिलिंग से यहां आया था. इसलिए मरीज के परिजन चाहते थे कि मरीज का बेहतर और एक बार में ही इलाज की सारी प्रक्रिया पूरी की जा सके. बार-बार अस्पताल का चक्कर लगाने से उन्हें यही अच्छा लगा कि एक बार में ही दलाल को कुछ दे लेकर काम करा लिया जाए. उन्होंने कथित रूप से अस्पताल के एक ठेका कर्मचारी राज मलिक को ₹30000 दिए. राज मलिक ने उन्हें आश्वासन दिया कि मरीज का ऑपरेशन जल्द हो जाएगा.

लेकिन चर्चा है कि कथित कर्मचारी राज मलिक ने मरीज के परिजनों को धोखे में रखा. वह मरीज का ऑपरेशन कराने में असफल रहा. उसके बाद मरीज के परिजनों ने रिश्वत लेने वाले कर्मचारी के खिलाफ हंगामा किया. दोनों ओर से हाथापाई तक हो गई. इसके बाद वहां पुलिस आई और पुलिस ने राज मलिक और एक अन्य कर्मचारी को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. इस तरह से उक्त कर्मचारी का राजफाश हो गया.

यह घटना सुर्खियों में आने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने राज मलिक को ड्यूटी से निकाल दिया है. इस संबंध में अस्पताल के अतिरिक्त अधीक्षक डॉक्टर नंदन बनर्जी का कहना है कि कथित कर्मचारी राज मलिक एक एजेंसी के माध्यम से यहां कार्यरत था. उसके खिलाफ शिकायत मिलने के बाद अस्पताल प्रशासन ने संबंधित एजेंसी को पत्र लिखकर उसे हटाने का आदेश जारी कर दिया है. बताया जा रहा है कि 1 महीने पहले भी इस कर्मचारी के खिलाफ किसी अन्य मरीज ने शिकायत की थी.

आमतौर पर सरकारी अस्पताल में बीमारियों के इलाज में काफी भागदौड़ करनी पड़ती है और रोग की जटिलता के अनुसार मरीज को विभिन्न तरह के टेस्ट से गुजरना पड़ता है. आखिर में अगर ऑपरेशन की जरूरत है, तब मरीज को ऑपरेशन की सलाह दी जाती है. लेकिन ऑपरेशन का डेट जल्द निर्धारित नहीं होता. अगर ऑपरेशन की तारीख निर्धारित भी हो जाती है तो भी उस निर्धारित तिथि पर मरीज का ऑपरेशन नहीं होता और इस तरह से तारीख पर तारीख आगे बढ़ती जाती है.

बहुत से लोग इन सबसे बचना चाहते हैं और वही लोग दलालों के चक्कर में पड़ जाते हैं. सरकारी अस्पतालों में रोग के अनुसार मरीज को विभिन्न तरह के टेस्ट से गुजरना होता है. मरीज को किसी भी तरह के टेस्ट के लिए देर तक लाइन में लगना पड़ता है. अगर मरीज अस्पताल में भर्ती भी हो जाता है तो उसके विभिन्न टेस्ट और आवश्यकता अनुसार ऑपरेशन आदि के लिए काफी भाग दौड़ करनी पड़ती है. इसमें काफी समय लगता है. दलाल उनकी समस्या का समाधान करते हैं. दलालों की यहां डॉक्टर और कर्मचारियों के साथ सेटिंग रहती है, जो मरीज के परिजन से पैसे लेकर उनका काम आसानी से करने का झांसा देते हैं.

इसके बदले रोग और टेस्ट के अनुसार मरीज के परिजनों से दलाल पैसे की वसूली करते हैं, जो हजारों में होता है. सूत्रों ने बताया कि अगर मरीज के ऑपरेशन की जल्द डेट निर्धारित करवानी हो तो दलाल मरीज के परिजन से 20 से ₹30 हजार वसूल कर लेते हैं. हालांकि यह अलग-अलग केस पर निर्भर करता है. उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक समय दलालों का राज चलता था. लेकिन मरीज के जागरूक होने तथा अस्पताल प्रशासन की सख्ती के बाद यहां दलालों पर नियंत्रण पा लिया गया. लेकिन एक बार फिर से यहां दलाल सक्रिय हो गए हैं. ये दलाल खून जांच, अल्ट्रासाउंड, X Ray से लेकर ऑपरेशन जल्दी कराने तक के लिए मरीज से मोटी रकम वसूलते हैं. हालांकि अस्पताल प्रशासन पर यह आरोप मात्र है.

कुछ मरीजों ने बताया कि अस्पताल प्रशासन की नाकामी के चलते यहां दलाल सभी विभागों में सक्रिय हैं. ये डॉक्टर और कर्मचारियों से मिले होते हैं. ज्यादातर दलाल बाहर के होते हैं. दार्जिलिंग के एक गंभीर मरीज का जल्द ऑपरेशन कराने में असफल रहने पर दलाल राज मलिक और मरीज के परिजनों के बीच हाथापाई की घटना के प्रकाश में आने के बाद अस्पताल प्रशासन सख्त हुआ है.

एनबीएमसीएच के अतिरिक्त अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर नंदन बनर्जी ने यहां इलाज के लिए आने वाले रोगियों से अपील की है कि अगर अस्पताल का कोई कर्मचारी या दलाल आपसे पैसे मांगता है तो इसकी शिकायत अधीक्षक कार्यालय में करें. ऐसी घटनाओं को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. जो भी हो, इसमें कोई शक नहीं है कि एक बार फिर से उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दलालों की घुसपैठ बढ़ गई है. ऐसे में अस्पताल प्रबंधन और प्रशासन को एक बार फिर से दलालों की नकेल कसने की जरूरत है.

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