उत्तर बंगाल में चार और पांच अक्टूबर की भारी बारिश ने इस कदर तबाही मचाई कि जान माल की भारी क्षति हुई. लगभग 40 लोगों की जानें गई. अनेक माल मवेशी पानी में बह गए. दार्जिलिंग में 35 स्थानों पर भूस्खलन हुए. इसमें 37 घर नष्ट हो गए. मिरिक में बालासन नदी का पुल टूट गया. सिलीगुड़ी के पोरा झाड़ में महानंदा नदी का बांध टूटा. नागराकाटा और जलपाईगुड़ी के विभिन्न जिलों में व्यापक नुकसान हुआ.
वर्तमान में उत्तर बंगाल के आपदा प्रभावित इलाकों से पानी उतरने लगा है. इससे लोगों को थोड़ा सुकून तो मिला जरूर है, परंतु ऐसे इलाकों में महामारी का खतरा भी बढ़ रहा है. हालांकि प्रशासन और मेडिकल टीमें प्रभावित इलाकों में साफ सफाई से लेकर महामारी रोकने के लिए सभी तरह के कदम उठा रही हैं. पर खतरा कम नहीं हुआ है. पानी कम होने पर विभिन्न इलाकों से जंगली जानवरों के शव भी मिलने लगे हैं.
प्राय: यह देखा गया है कि जब भी कोई आपदा या संकट आता है, तो पीछे से चुपके चुपके महामारी भी दस्तक देने लगती है. दरअसल गंदगी, संक्रमण और प्रतिकूल अवस्था में ही महामारी उत्पन्न होती है. जो मानव के लिए एक मुसीबत बन जाती है. उत्तर बंगाल की आपदा में व्यक्ति, जानवर और विभिन्न पशु पक्षियों के शव मिल रहे हैं, जो पानी में सड़ रहे हैं. हालांकि प्रभावित इलाकों में विभिन्न संस्थाओं और राजनीतिक दलों की ओर से राहत सामग्री जैसे भोजन, पानी आदि का वितरण किया जा रहा है, परंतु यह पर्याप्त नहीं है. लोग नदी का गंदा पानी पीने के लिए मजबूर हैं.
जलपाईगुड़ी के कई प्रभावित इलाकों में तो सड़न, गंदगी और कीचड़ के चलते लोगों का जीवन नारकीय सा हो गया है. पानी से दुर्गंध आ रही है. बामनडांगा में तो हालत ऐसी है कि लोग दुर्गंध में ही रहने को मजबूर हैं. सूत्रों ने बताया कि पानी में कुछ खतरनाक रसायन भी घुल मिल गए हैं, जिनका व्यवहार खतरे से खाली नहीं है. इसके अलावा कई जंगली जानवरों के शव भी सड़ने लगे हैं. गोरूमारा राष्ट्रीय उद्यान के जंगलों से कई वन्य जीव लापता हो गए. अब धीरे-धीरे उनके शव बरामद हो रहे हैं. अब तक यहां से दो गेंडे के शव बरामद हो चुके हैं.
मयनागुड़ी प्रखंड के चुरा भंडार ग्राम पंचायत के विदेशीपाड़ा, छोबार बाड़ी और आमगुड़ी, खाटोरबाड़ी से पांच जंगली भैंसों के शव बरामद हुए हैं. छोटे जानवर जैसे हिरण और जंगली सूअर कितने मारे गए, अब तक इसका कोई अनुमान नहीं है. वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार लाटागुड़ी गोरूमारा में चार हिरन, एक जंगली सूअर, कई जंगली भैंसे और एक गेंडे के शव का पोस्टमार्टम किया जा चुका है. वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि उत्तर बंगाल में आई बाढ़ में व्यापक तौर पर वन्य जीवन की क्षति हुई है. जो बाढ़ के पानी में लापता हो गये. अब उनके शव मिलने लगे हैं.
नागराकाटा में पानी उतरने के बाद जंगली जानवरों के साथ-साथ मानव के भी शव मिलने लगे हैं. वामनडांगा चाय बागान के टोडू डिवीजन से एक व्यक्ति का शव बरामद किया गया है. मृतक का नाम रूमैसा खातून है और उसकी उम्र लगभग 60 साल है. 4 अक्टूबर को खातून पानी में बह गई थी. अब तक 11 शव बरामद किए जा चुके हैं.
बहरहाल समय रहते प्रशासन को प्रभावित इलाकों में स्वच्छता अभियान के साथ ही लोगों को जागरूक करने की भी जरूरत है. अगर इसमें देरी की गई तो परिणाम किसी के लिए भी अच्छा नहीं होगा. बेहतर होगा कि वन विभाग और पर्यावरण प्रेमी संगठन और ज्यादा एक्टिव होकर महामारी के खिलाफ मोर्चा संभाले और प्रशासन को चाहिए कि उनकी मदद करे.