जलपाईगुड़ी: जलपाईगुड़ी का व्यापार चौपट होने के कगार पर पहुंच गया है. व्यापारी पशोपेश में हैं. क्या करें, क्या नहीं. वे सदमे में भी हैं. अपने धंधे को लेकर उनके पास कोई विकल्प भी नहीं बचा है. कहां जाएं, किससे फरियाद करें? हालांकि जलपाईगुड़ी के भाजपा सांसद डॉ जयंत राय ने उन्हें आश्वासन दिया है. सांसद ने कहा है कि रेलवे की ओर से बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कितनी जमीन चाहिए, इसका सर्वेक्षण कराया जाएगा. उसके बाद व्यापारियों से चर्चा की जाएगी. मैं दिल्ली जा रहा हूं.वहां व्यापारियों की बात रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष रखूंगा.
आशंका तो थी. लेकिन एकदम से ऐसा फरमान आएगा, यह तो व्यापारियों ने सोचा भी नहीं था. व्यापारियों की मुसीबत बढ़ाने वाला और उन्हें इस हाल में पहुंचाने वाला रेलवे है, जिसने जलपाईगुड़ी स्टेशन बाजार के व्यापारियों को 15 दिनों के अंदर जमीन खाली करने का नोटिस दिया है. व्यापारियों की चिंता को कम करने की कोशिश में सांसद जयंत राय ने कहा है कि वह दिल्ली जाकर रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों से बात करेंगे. लेकिन व्यापारी काफी डरे हुए हैं. अगर उन्हें दुकान खाली करनी पड़ी तो वे क्या करेंगे.
अगर आप जलपाईगुड़ी स्टेशन जाते हैं, तो स्टेशन के बाहर निकलते ही व्यापारियों की अनेक दुकानें मिल जाएंगी. वर्ष 1968 से ही व्यापारियों ने स्टेशन बाजार की रेलवे भूमि पर किराने का सामान, मिठाई, सब्जियां, मछली, मांस आदि की दुकाने लगानी शुरू कर दी थी.तब से उनकी दुकान चल रही है. अब इन दुकानों को हटाने की रेलवे की तरफ से तैयारी चल रही है. दरअसल जलपाईगुड़ी स्टेशन को मॉडल स्टेशन बनाने की योजना है.
जलपाईगुड़ी स्टेशन के कायाकल्प का जो ब्लूप्रिंट तैयार किया गया है, उसमें स्टेशन बाजार से सर्किट बेंच, गुमटी नंबर दो और नंबर तीन, हाई स्कूल, रेल लाइन के सामने जलाशय से सटे सभी भूमियों का रेलवे ने सीमांकन कर लिया है. जल्द ही यहां अमृत परियोजना के तहत काम होना है. इसके लिए ही रेलवे यहां से बसे बसाए व्यापारियों को जमीन खाली करने का नोटिस 29 दिसंबर को दे चुका था. लेकिन सांसद जयंत राय की कटिहार मंडल के डीआरएम के साथ वार्ता के बाद कुछ समय के लिए मामला जरूर ठंड पड़ गया था.
अब अचानक ही रेलवे का फरमान आ गया है. इसके साथ ही स्टेशन बाजार के व्यापारी मुसीबत में आ चुके हैं. व्यापारी चकित इसलिए भी है कि कटिहार मंडल के डीआरएम ने स्टेशन बाजार की जमीन पर संयुक्त सर्वेक्षण कराने की बात कही थी. वह तो हुआ नहीं.ऊपर से रेलवे का फरमान आ गया. अब व्यापारियों को हर हाल में रेलवे की जमीन खाली करनी होगी. अगर रेलवे के द्वारा कार्रवाई की जाती है तो कम से कम 600 व्यापारी सड़कों पर आ जाएंगे और इसका काफी बड़ा असर पूरे शहर और बस्ती क्षेत्र में पड़ेगा. यहां के व्यापारी हल्दीबारी, कादोबाडी, मंडल घाट और अन्य जगहों पर व्यापार करते हैं.
व्यापारियों ने बताया कि जब वह सुबह सवेरे अपनी दुकान पर पहुंचे तो दुकान के बाहर नोटिस चिपकाए मिला. इस नोटिस में कटिहार डिवीजन अधिकारी की ओर से कहा गया है कि आप अवैध कब्जा कर रहे हैं. आपको क्यों नहीं बेदखल कर दिया जाए?आपको पहले भी नोटिस दिया जा चुका है. लेकिन इसके बावजूद आपने रेलवे की जमीन खाली नहीं की. अब इस नोटिस के जारी होने की तारीख से 15 दिनों के अंदर जमीन खाली करनी होगी… जलपाईगुड़ी स्टेशन बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव जोगिंदर दास का कहना है कि हम जलपाईगुड़ी स्टेशन के विकास की उपेक्षा नहीं करते. हम खुद चाहते हैं कि यहां स्टेशन का भव्य विकास हो. लेकिन जमीन खाली करने के बाद हम कहां जाएंगे? यह भी रेलवे को सोचना होगा. अगर हमें अन्यत्र जमीन उपलब्ध करा दी जाती है तो हमें यहां की जमीन खाली करने में कोई एतराज नहीं है.
जोगिंदर दास ने कटिहार के डीआरएम और सांसद जयंत राय से भी बात की है और उन्होंने उनके समक्ष फरियाद भी की है. हालांकि डीआरएम ने व्यापारियों को आश्वासन जरूर दिया है कि कोई भी कदम उठाने से पहले रेलवे व्यापारियों के हित का भी ध्यान रखेगा. यही बात सांसद जयंत राय ने भी कही है. उन्होंने व्यापारियों को आश्वस्त किया है कि उन्हें रेलवे की जमीन से बेदखल नहीं किया जाएगा. लेकिन यह पहले की बात है और उसका अब कोई महत्व नहीं रह गया है. हालांकि भाजपा यहां के व्यापारियों के साथ खड़ी है और भाजपा को लगता है कि कम से काम फिलहाल व्यापारियों की चिंता को दूर कर लिया जाएगा.
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