मुंबई पुलिस और क्राइम ब्रांच ने मुंबई के घाटकोपर से 13 अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ शुरू कर दी है. क्राइम ब्रांच ने 7 और व्यक्तियों को हिरासत में लिया है, जो अवैध रूप से भारत में रह रहे थे. इनसे पूछताछ के बाद मुंबई पुलिस और क्राइम ब्रांच ने कुछ महत्वपूर्ण सुराग का पता लगाया है.
मुंबई के लोकप्रिय मिड डे अखबार में प्रकाशित एक समाचार के अनुसार बांग्लादेशियों को भारत में लाने के लिए एक नेटवर्क काम कर रहा है. इसके तहत एजेंट बांग्लादेशियों को भारत में लाने के लिए एक रेट चार्ट निर्धारित करते हैं. रेट चार्ट में मार्ग और संबंधित जोखिमों के आधार पर अलग-अलग रेट तय किए जाते हैं. पहाड़ों का मार्ग काफी जोखिमपूर्ण है. प्रत्येक बांग्लादेशी को इस मार्ग से भारत में प्रवेश करने के लिए 7 से 8 हजार एजेंटों को भुगतान करना होता है.
भारत में घुसपैठ अथवा अवैध प्रवेश के लिए तीन मार्ग विकल्प हैं. यह है जल मार्ग, स्थल मार्ग और पर्वतीय मार्ग. इनमें से जल मार्ग सबसे सस्ता विकल्प है. जल मार्ग से भारत में अवैध रूप से प्रवेश करने के लिए प्रत्येक बांग्लादेशी से ₹2000 से लेकर ₹4000 तक लिये जाते है. कुछ समय पहले तक बांग्लादेश से नागरिक जल मार्ग के जरिए भारत आते थे. परंतु रास्ते में मगरमच्छ और बंगाल टाइगर के कारण खतरे बढ़ गए.
एक अधिकारी ने बताया कि जल मार्ग से सीमा पार करने की कोशिश करते समय कुछ बांग्लादेशी लोगों पर जंगली जानवरों ने हमला कर दिया. उसके बाद बांग्लादेशी नागरिकों ने इस रास्ते का उपयोग करना बंद कर दिया. बांग्लादेशियों के लिए भारत में अवैध रूप से प्रवेश के लिए समतल मार्ग अथवा स्थल मार्ग सबसे उपयुक्त और सुरक्षित माना जाता है. आमतौर पर बांग्लादेशी इसी मार्ग का उपयोग करके अवैध रूप से भारत में प्रवेश करते हैं.
लेकिन इस मार्ग से होकर भारत में शरण लेना काफी महंगा पड़ता है. इसके लिए बांग्लादेशी नागरिकों को एजेंटों को ₹12000 से लेकर ₹15000 तक का भुगतान करना पड़ता है. प्रकाशित खबरों के अनुसार यह एजेंट आमतौर पर बांग्लादेश राइफल के सदस्यों से मिले होते हैं. उनके सहयोग से ही उन्हें भारत में अवैध रूप से प्रवेश कराया जाता है.
बांग्लादेशी नागरिकों को आमतौर पर पश्चिम बंगाल के मालदा, 24 परगना, मुर्शिदाबाद, उत्तर दिनाजपुर और चपई नवाबगंज जैसे क्षेत्रों से भारत में प्रवेश कराया जाता है. भारत में अवैध प्रवेश के बाद बांग्लादेशी नागरिक एजेंट्स की मदद से ₹2000 भुगतान कर फर्जी आधार कार्ड प्राप्त कर लेते हैं. आधार कार्ड बनने के बाद यह बांग्लादेशी नागरिक भारत में किसी भी शहर में बस सकते हैं. भारत में निवास करने वाला प्रत्येक बांग्लादेशी नागरिक अपने लिए रोजगार अथवा नौकरी तलाश करता है. इस काम में एजेंट उनकी मदद करते हैं.
एजेंट उनके लिए नौकरी ढूंढते हैं. इस पर एजेंट्स का कमीशन बंधा होता है. नौकरी मिलने के बाद बांग्लादेशी को एजेंट को प्रति महीने उनका कमीशन भुगतान करना होता है. भारत में यह नेटवर्क तेजी से काम कर रहा है. इसके अंतर्गत देश के विभिन्न राज्यों और जिलों में एजेंट सक्रिय हैं. एक बार आधार कार्ड बन जाने के बाद अगर उनके आधार को कोई संस्था, पुलिस या तंत्र नकली साबित करने की कोशिश करता है, या कोर्ट में चैलेंज करता है तो इस प्रक्रिया में काफी वक्त लगता है.
जब तक मामले में फैसला नहीं आ जाता, तब तक बांग्लादेशी को निर्वासित नहीं किया जा सकता है. इसका फायदा बांग्लादेशी नागरिक उठाते हैं. उन्हें अपने खिलाफ केस दर्ज किए जाने से डर नहीं लगता है. क्योंकि उन्हें पता है कि कुछ ही दिनों में उनकी जमानत हो जाती है और फिर केस चलता रहता है. क्राइम ब्रांच और पुलिस को कम से कम यह पता जरूर है. 1994 में मुंबई क्राइम ब्रांच ने मोहम्मद इदरीश शेख उर्फ जोशी मुदीन दीवान नामक एक बांग्लादेशी नागरिक को गिरफ्तार किया था, तो पता चला कि वह रेट चार्ट से ही भारत आया था.
उम्मीद की जानी चाहिए कि मिड डे में प्रकाशित खबरों के बाद बंगाल पुलिस, BSF, SSB और क्राइम ब्रांच इस दिशा में अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए कोई ना कोई ठोस नीति लेकर आएंगे. बंगाल पुलिस को और अधिक सतर्क हो जाने की जरूरत है.
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