सावधान! सावधान! सावधान! शहर में एक नया पिशाच आ गया है. नागरिक कृपया रात में खून चूसने वाले पिशाच से सावधान रहें!
हमारे देश में राजनीति का स्तर कितना गिरता जा रहा है, इसकी अनेक बानगियां हैं. समय-समय पर नेता विस्फोट करते रहते हैं. आज एक बार फिर से पश्चिम बंगाल में एक मंत्री ने बम फोड़ा है. पश्चिम बंगाल के लिए शायद यह पहला मौका है, जब राज्य के एक वरिष्ठ मंत्री ने राज्य के प्रथम नागरिक के लिए पिशाच शब्द का प्रयोग किया है.
राज्य के किसी राज्यपाल के लिए कोई नेता या मंत्री रात में खून चूसने वाला पिशाच कहता है तो इसी से आप समझ सकते हैं कि राजनीति किस तरह से निचले पायदान पर पहुंच गई है. राज्यपाल राष्ट्रपति का प्रतिनिधि होता है. जिस तरह से देश में राष्ट्रपति का सम्मान होता है, इसी तरह से राज्य में राज्यपाल का सम्मान होता है. राज्यपाल के लिए इस शब्द का प्रयोग राज्य के शिक्षा मंत्री ने किया है. हालांकि उन्होंने अपने ट्वीट में गवर्नर का नाम नहीं लिया है.
शिक्षा मंत्री के ट्वीट रात में खून चूसने वाला पिशाच की पूरे प्रदेश में चर्चा हो रही है. शिक्षा मंत्री ने सभी को इनसे बचकर रहने की चेतावनी दी है. बता दें कि प्रदेश में सरकार बनाम राज्यपाल का टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है. ताजा मामला विश्वविद्यालय में वाइस चांसलरों की नियुक्ति का है. राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने शिक्षा मंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि ‘कार्रवाई’ देखने के लिए आधी रात तक इंतजार करें.
शिक्षा मंत्री ने बगैर किसी का नाम लिए अपने ट्वीट में कहा है कि सावधान! सावधान! सावधान! शहर में एक नया पिशाच आ गया है. नागरिक कृपया सावधान रहें! बता दें कि राज्यपाल शनिवार सुबह एक कार्यक्रम में शामिल होने गए थे. वहां से निकलते वक्त पत्रकारों ने जब उनसे पूछा तो उन्होंने कहा कि आज आधी रात तक इंतजार करें.आप देखेंगे कि कार्रवाई किसे कहते हैं.
जन्माष्टमी पर राज्यपाल के एक वीडियो बयान ने विवाद को नया आयाम दिया है. राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने दावा किया कि जिन लोगों को उन्होंने अंतरिम कुलपति नियुक्त किया था, उन्हें शिक्षा विभाग द्वारा धमकी दी जा रही है. इसके जवाब में शिक्षा मंत्री ने कहा था कि राज्यपाल कानून को भ्रमित कर कठपुतली का खेल खेल रहे हैं. और यह पूरी तरह से गैर कानूनी है.
राज्यपाल को कई संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं.उनमें से एक अधिकार यह भी है कि वह विश्वविद्यालय में कुलपतियों की नियुक्ति कर सकते हैं. इसको लेकर ममता बनर्जी ने राज्यपाल को चेतावनी भी दी थी. लेकिन राज्यपाल पहले की तरह ही अपना काम कर रहे हैं.राज्यपाल का कहना है कि शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार नहीं रहना चाहिए. राज्यपाल का कहना है कि राज्य सरकार शिक्षा विभाग में जिन लोगों को कुलपति पद के लिए नियुक्त कर रही है वे या तो भ्रष्ट हैं अथवा राजनीति कर रहे हैं. शिक्षा मंत्री ने राजपाल के आरोप को गलत साबित किया है.
आपको बता दें कि राज्य में कुलपति की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में मामले चल रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कुछ कुलपतियों की नियुक्ति पर सवाल उठाया था. शिक्षा मंत्री का कहना है कि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश बदल दिया था. यह मामला फिलहाल कोर्ट में चल रहा है!
यह आप सभी जानते हैं कि जब राज्यपाल नए-नए थे, तब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत उनके मंत्रिमंडल के अधिकांश मंत्रियों ने उनका गर्म जोशी से स्वागत किया था. राज्यपाल और राज्य सरकार की अच्छी ट्यूनिंग देखी जा रही थी.लेकिन धीरे-धीरे राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच की दूरियां बढ़ती चली गई और आज हालात यह है कि ऐसा कोई भी मौका दोनों एक दूसरे को अपमानित करने का नहीं छोड़ रहे हैं.