जलपाईगुड़ी मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत स्थित मुर्दाघर में तीस्ता त्रासदी में लापता कई जवानों के शव काफी दिनों से लावारिस हालत में रखे हुए हैं. इनका दाह संस्कार कई कारणों से नहीं हो पा रहा है. एक तो यह है कि शव तीस्ता नदी से जिस हाल में बरामद हुआ है, उस स्थिति में उसकी शिनाख्त नहीं हो पा रही है. मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की अब चिंता बढ़ गई है. काफी दिनों से ऐसी अज्ञात लाशों को मुर्दाघर में रखा गया है. अब तो मुर्दाघर का कूलिंग सिस्टम भी खराब हो गया है. ऐसे में इन लाशों को ज्यादा समय तक सुरक्षित नहीं रखा जा सकता.
लेकिन वे सैनिकों के शव हैं, ऐसे में अस्पताल प्रबंधन की मजबूरी है कि जब तक उसकी शिनाख्त नहीं हो जाती, तब तक उसका दाह संस्कार भी नहीं किया जा सकता. लेकिन जो रिपोर्ट मिल रही है, उससे जलपाईगुड़ी मेडिकल कॉलेज अस्पताल की चिंता बढ़ गई है. एकमात्र मुर्दाघर का कूलिंग सिस्टम खराब हो गया है. कूलिंग सिस्टम के खराब होने से लाशों को ज्यादा समय तक सुरक्षित अवस्था में मुर्दाघर में नहीं रखा जा सकता.इसलिए अस्पताल प्रशासन ऐसी व्यवस्था में जुट गया है ताकि जल्द से जल्द कूलिंग सिस्टम को ठीक किया जा सके.
मुर्दाघर के कूलिंग सिस्टम के खराब होने से विगत कुछ दिनों से मुर्दाघर में लाशों को रखने की जगह नहीं है. यहां लाशों का अंबार लग गया है. इतनी अधिक संख्या में मुर्दाघर में शव जमा हो गए हैं कि अस्पताल प्रशासन के भी हाथ पांव फूलने लगे हैं. चिंता यह है कि अब शव को कहां रखा जा सकेगा. इनमें से अधिकांश शव लावारिस हैं. इन शवों को अपने परिजनों का इंतजार है. जलपाईगुड़ी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन भी शवों के वारिश का इंतजार कर रहा है और अपनी तरफ से हर संभव प्रयास कर रहा है. मेडिकल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुर्दाघर में रखे अधिकांश शव तीस्ता नदी में जल प्रलय के दौरान तीस्ता नदी में बहकर आए हैं. लेकिन वह इस स्थिति में नहीं है कि उनकी शिनाख्त हो सके.
दूसरी तरफ मुर्दाघर की अवस्था बेहद शोचनीय है. 28 बॉडी फ्रीज़र पहले से ही खराब चल रहे हैं. कुछ समय पहले तक कूलिंग सिस्टम काम कर रहा था. लेकिन अब वह भी जवाब दे चुका है. सूत्रों ने बताया कि अभी तक इस मुर्दाघर में 40 से भी अधिक शव पड़े हुए हैं. कोतवाली, मयनागुडी, क्रांति और माल बाजार थाने की पुलिस ने इन शवों को यहां जमा करवाया है. जिन लावारिस लाशो की पहचान हो रही है,उनका तो धीरे-धीरे दाह संस्कार किया जा रहा है. परंतु इसकी गति बेहद धीमी है.
जलपाईगुड़ी मेडिकल कॉलेज तथा अस्पताल के प्रिंसिपल डॉक्टर प्रवीर कुमार देव के अनुसार पिछले कुछ दिनों से शवों से बदबू उठ रही है. उन्होंने इस मामले की जानकारी पुलिस प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों को भी दे दी है तथा उनसे इस मामले में सहयोग मांगा है. हालांकि सूचना तो यह भी है कि अब नए मुर्दाघर का निर्माण हो रहा है. परंतु समस्या तो यह है कि मुर्दाघर का निर्माण जब होगा, तब होगा. वर्तमान में इन शवों का क्या होगा, जो काफी दिनों से अपने प्रिय जनों का इंतजार कर रहे हैं. इनमें से अधिकांश शव सेना के जवान के हैं.
आपको बताते चलें कि तीस्ता नदी में जो जल प्रलय हुआ था, उसमें सेना का एक पूरा कैंप ही तबाह हो गया था. शिनाख्त नहीं हो पाने के कारण अनेक शवों का डीएनए परीक्षण करवाया जा रहा है. रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जा रही है. इसके बाद ही शवों का दाह संस्कार हो पाएगा. पुलिस अधीक्षक खांडा बहाले उमेश गणपत भी यही बात बता रहे हैं. क्योंकि सेना के जवान की लाशों का प्रश्न है, ऐसे में पुलिस अधिकारी जल्दबाजी में कोई कदम उठाना नहीं चाहते हैं. शव की पहचान के लिए डीएनए परीक्षण करवा रहे हैं. सेना से भी मदद मांगी जा रही है. डीएनए टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर शव की पहचान के लिए सेना से मदद मांगी गई है. इसलिए इसमें थोड़ा विलंब हो रहा है. जब तक पहचान नहीं हो जाती, तब तक इंतजार करना ही होगा.
यह बड़े आश्चर्य की बात है कि लापता सेना के जवानों के शव की अभी तक शिनाख्त नहीं हो पाई है. जबकि इस त्रासदी के 2 माह से भी अधिक हो चुके हैं. सवाल तो यह भी उठता है कि हमारे सैनिक जो देश की रक्षा करते हैं और देश के लिए कुर्बान हो जाते हैं, उनके तीस्ता नदी में बहकर आए शवों की शिनाख्त के लिए डीएनए टेस्ट की प्रक्रिया में तेजी क्यों नहीं लाई जाती ताकि सैनिकों के शव का पूरे सम्मान के साथ दाह संस्कार हो सके.