पूर्वोत्तर क्षेत्र खासकर दार्जिलिंग, सिक्किम और असम से काफी संख्या में युवक युवतियां रोजगार की तलाश में दिल्ली, मुंबई और देश के बड़े शहरों में जाते हैं. वे इन शहरों में छोटे बड़े सभी काम कर लेते हैं. दार्जिलिंग से दिल्ली शहर में नौकरी करने गई मीनू बाला (बदला हुआ नाम) दिल्ली में एक घरेलू नौकरानी के तौर पर काम करती थी. वह दक्षिणी दिल्ली के नेब सराय इलाके में किराए के मकान में रहती थी.
नेब सराय इलाके में ही राजू पार्क के पास किराए के मकान में पारस भी रहता था. पारस उत्तराखंड का रहने वाला था. वह एक होटल में रसोईया का काम करता था. फेसबुक के जरिए मीनू बाला और पारस का आपस में परिचय हुआ था. क्योंकि दोनों ही एक ही इलाके के रहने वाले थे. इसलिए बहुत जल्द दोनों दोस्त बन गए. उनके बीच फोन पर भी बातचीत होने लगी. दोनों अपने दर्द और जज्बात को एक दूसरे को शेयर करते थे. हफ्ते में जिस दिन उनकी छुट्टी रहती थी, वह एक दूसरे के घर आते जाते भी थे.
मीनू बाला ने बेंगलुरु में घरेलू नौकरानी के लिए अपने किसी जानने वालों के जरिए नौकरी के लिए आवेदन किया था. वहां उसे अच्छी तनख्वाह के साथ रहने के लिए कमरा भी मिल रहा था. इसलिए मीनू बाला दिल्ली की नौकरी छोड़कर बेंगलुरु जाना चाहती थी. एक दिन उसने पारस से मिलकर कहा, मुझे तुम्हें छोड़कर जाना अच्छा नहीं लगता है. तुम मेरे अच्छे दोस्त बन गए हो. सोचती हूं, अनजाने शहर में कैसे रह सकूंगी. इस पर पारस ने कहा कि अगर वह उससे प्यार करती है, तो वह उसका साथ छोड़कर बेंगलुरु नहीं जाएगी. पारस ने कहा, ‘मीनू तुम काफी समय से दिल्ली में रह रही हो. यहां सब चीज जानी पहचानी लगती है. यही तुम्हें अच्छी नौकरी मिल जाएगी. फिर मैं जो हूं तुम्हारे साथ…’
आखिरकार पारस ने मीनू को दिल्ली में ही रहने के लिए मना लिया. उस दिन दोनों के बीच कुछ ऐसा हुआ कि मीनू ने पारस के साथ ही रहने का फैसला कर लिया. इसके बाद मीनू अपना किराए का मकान छोड़कर पारस के पास रहने के लिए आ गई. दोनों ने समाज को दिखाने के लिए पति-पत्नी के रूप में साथ-साथ रहना शुरू कर दिया. दो-चार दिनों तक तो सब ठीक-ठाक चलता रहा. फिर एक-एक करके पारस की कमजोरियां मीनू के समक्ष खुलती चली गई. दरअसल पारस एक मानसिक रोगी युवक था. वह हर रात को मीनू पर शारीरिक अत्याचार करता. जब मीनू चीखती चिल्लाती तो वह आनंदित हो उठता था.
कुछ दिनों तक तो मीनू सब चुपचाप बर्दाश्त करती रही. सोच रही थी कि सब अच्छा हो जाएगा. लेकिन पारस की कठोरता और जहालत लगातार बढ़ती गई. अब वह मीनू को शारीरिक कष्ट पहुंचाने से लेकर उसके साथ बुरी तरह निष्ठुरता से पेश आने लगा. हर रात को वह मीनू को काफी मारता पीटता था. एक बार तो पारस ने गरम दाल की केतली ही उसके ऊपर उड़ेल डाली थी. जिसके कारण उसके शरीर में कई जगह जख्म हो गए थे. कुछ दिन शांत रहने के बाद पारस फिर से मीनू पर जुल्म करने लगता था.
कई बार मीनू ने सोचा कि वह पारस की शिकायत पुलिस में करे. लेकिन फिर कुछ सोचकर वह अपने कदम पीछे कर लेती थी. 30 जनवरी 2024 की रात लगभग 12:00 बजे पारस ने एक बार फिर से मीनू पर जोर-जुलम करना शुरू कर दिया. उसने मीनू को बुरी तरह से पीटना शुरू किया तो मीनू की चीख सुनकर आसपास के पड़ोसी भी जाग गए. उन्हीं में से एक व्यक्ति ने पीसीआर पर 100 नंबर डायल करके पुलिस को फोन कर दिया. जल्द ही नेब सराय पुलिस स्टेशन के पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच गए. पुलिस ने बुरी तरह घायल मीनू को एम्स अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद उसके शरीर पर चोटों के बीस निशान पाए.
पुलिस ने मीनू बाला का मेडिकल कराने के बाद उसके बयान के आधार पर पुलिस स्टेशन में आरोपी पारस के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 323, 376 और 377 के खिलाफ मामला दर्ज किया है. पुलिस ने 2 फरवरी को पारस को गिरफ्तार कर लिया. अब तक की पुलिस तफ्तीश में पता चला है कि पारस मीनू के साथ आकृतिक रूप से यौनाचार करता था तथा उसे कैद कर रखा था. पारस वर्तमान में जेल की सलाखों के पीछे पहुंच चुका है. इस घटना के बाद मीनू काफी डर गई है और वह दार्जिलिंग लौटने की सोच रही है.