अगर आप यह सोचते हैं कि आपकी बिल्डिंग का 3 साल से अधिक पुराना प्लान सिलीगुड़ी नगर निगम के रिकॉर्ड रूम में होगा, तो आप भ्रम में हैं. क्योंकि खुद सिलीगुड़ी नगर निगम के अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि 3 साल से पुराना प्लान वे लोग रखते ही नहीं है. ऐसे में अगर किसी व्यक्ति को अपने भवन की सुरक्षा और अन्य चीजों की आवश्यकता पड़ी तो वह क्या करेगा? वह कहां से बिल्डिंग प्लान लाएगा? अगर भवन से संबंधित जरूरी दस्तावेज सुरक्षित ही नहीं रहे तो फिर उस भवन का क्या होगा? यह सभी सवाल वर्तमान में सिलीगुड़ी में उठ रहे हैं.
सिलीगुड़ी शहर का ताजा मामला वर्धमान रोड पर स्थित कलवार पैलेस से जुड़ा हुआ है. दरअसल जायसवाल ब्याहुत सेवा ट्रस्ट के पूर्व ट्रस्टी ने कलवार पैलेस के बिल्डिंग प्लान, अग्निशमन सुरक्षा इत्यादि दस्तावेज नहीं होने को लेकर कोलकाता हाई कोर्ट की जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच में एक मुकदमा दायर किया है. इस भवन में जो फायर सेफ्टी प्रमाण पत्र है, उसका रिन्यूअल होना चाहिए. वह हो नहीं रहा है, जिसके कारण भवन की सुरक्षा का खतरा बढ़ गया है. अग्निशमन विभाग का कहना है कि भवन में कुछ कमी है, जिसके कारण प्रमाण पत्र का नवीकरण नहीं हो रहा है. वे बताते हैं कि उनके पास पूरे कागजात हैं.
जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच में न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय की अदालत में यह मुकदमा चल रहा है. मुकदमे की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश महोदय ने सिलीगुड़ी नगर निगम से बिल्डिंग प्लान मांगा था. लेकिन सिलीगुड़ी नगर निगम के अधिकारियों ने उसे उपलब्ध नहीं कराया. इसके बाद से ही सारा मामला आईने की तरह साफ हो गया है. सिलीगुड़ी नगर निगम के अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि सिलीगुड़ी नगर निगम के रिकॉर्ड में 3 साल से अधिक पुराने बिल्डिंग प्लान का रिकॉर्ड है ही नहीं. इसके बाद से ही सिलीगुड़ी नगर निगम की कार्य शैली पर सवाल उठने लगे हैं. ऐसे में लोग अपने भवनों की सुरक्षा कैसे कर सकेंगे? यह बड़ा सवाल है.
मामले की जांच अब सीआईडी की टीम कर रही है. सिलीगुड़ी नगर निगम के बिल्डिंग रिकॉर्ड रूम पर ताला लग चुका है. सीआईडी विभाग से तीन अधिकारी सिलीगुड़ी पहुंच चुके हैं और उन्होंने मामले की जांच शुरू कर दी है. उन्होंने सिलीगुड़ी नगर निगम के अधिकारियों से भी पूछताछ की है. इसके साथ ही रिकॉर्ड रूम में जाकर उन्होंने गोदाम के भीतर भी छानबीन की है. लेकिन रिकार्ड रूम से बिल्डिंग प्लान गायब है. आखिर बिल्डिंग प्लान कहां गया?
सिलीगुड़ी में ऐसे बहुत से भवन है, जिनकी सुरक्षा की जरूरत है. लेकिन बिल्डिंग प्लान के अभाव में उनकी सुरक्षा नहीं हो रही है. और अब तो सिलीगुड़ी नगर निगम के अधिकारियों ने भी स्पष्ट कर दिया है कि 3 साल से अधिक पुराने बिल्डिंग प्लान उनके रिकॉर्ड में है ही नहीं. ऐसे में उनके सामने कई कठिनाइयां उपस्थित हुई हैं. आज एक कलवार पैलेस का मुद्दा उठा है. कल कई और भवनों का मुद्दा उठेगा. सिलीगुड़ी नगर निगम इसका क्या जवाब देगा?
यह लापरवाही कैसे हुई? इसका जिम्मेदार कौन है? सीआईडी के अधिकारियों को काफी कुछ तलाशना होगा. दूसरी तरफ सिलीगुड़ी के लोगों का यह सवाल भी है कि आखिर सिलीगुड़ी नगर निगम प्रशासन सभी भवनों से संबंधित आवश्यक दस्तावेज सुरक्षित क्यों नहीं कर रहा? बिना फायर अग्निशमन सुरक्षा प्रमाण पत्र के सार्वजनिक भवनों में कैसे हो रही है शादियां और पार्टियां? इनकी जांच क्यों नहीं कराई जाती? इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव ने कहा है कि वर्तमान में सब डिजिटल व्यवस्था हो गई है. लेकिन पहले ऐसा नहीं था. डिजिटल व्यवस्था में 10 साल पुराने रिकॉर्ड भी मिल जाएंगे. परंतु फिजिकल रिकॉर्ड का क्या हुआ? आखिर समस्या का समाधान कैसे होगा? भवन मालिक चिंता में है. सिलीगुड़ी नगर निगम और प्रशासन को ही इसका हल ढूंढना होगा. फिलहाल मामले की जांच सीआईडी कर रही है. अब देखना होगा कि सीआईडी इस मामले में बिल्डिंग प्लान ढूंढ पाती है या नहीं? और वह अदालत को क्या जवाब देती है? दो हफ्ते के भीतर ही सीआईडी को अपनी रिपोर्ट अदालत में जमा देनी होगी.