September 23, 2024
Sevoke Road, Siliguri
उत्तर बंगाल जुर्म सिलीगुड़ी

सिलीगुड़ी में लाखों रुपए की साइबर ठगी! साइबर ठगों के झांसे में क्यों आ जाते हैं लोग!

सिलीगुड़ी में साइबर ठगी के शिकार लोगों की तादाद लगातार बढ़ रही है. आए दिन कोई ना कोई ऐसा मामला सुर्खियों में रहता है, जहां लोग साइबर ठगो के हाथों अपनी मोटी पूंजी गंवा बैठते हैं. सिलीगुड़ी के दो व्यक्तियों को एक बार फिर से साइबर ठगों ने अपना शिकार बनाया और उनसे 44 लाख रुपए लूट लिए. एक ने 31 लाख तो दूसरे ने 13 लाख गंवा दिया. मजे की बात तो यह है कि अधिकांश प्रकरणों में साइबर ठग खुद को किसी पुलिस थाना का अधिकारी, इनकम टैक्स अधिकारी, सीबीआई अधिकारी बताकर लोगों को चूना लगाते हैं. फिर भी लोग सावधान नहीं हो रहे अथवा ऐसी घटनाओं से कोई सबक नहीं लेते दिख रहे हैं.

साइबर ठगों के द्वारा लूट के अंदाज भी बदल रहे हैं. अध्ययन बताते हैं कि अपराध में लिप्त व्यक्ति अधिकतर कम उम्र के होते हैं और वे कम उम्र के लोगों को ही अपना शिकार बनाते हैं या फिर ऐसे व्यक्तियों को जिनके बारे में उनके अपनों से ही सूचना मिलती है. बॉलीवुड की एक फ़िल्म थी स्पेशल 26. इस फिल्म में दिखाया गया था कि किस तरह से आयकर विभाग का एक फर्जी अधिकारी व्यापारियों के ठिकानों पर छापा मारता है और राजस्व की चोरी करने वाले तथा राजस्व की चोरी नहीं करने वाले दोनों को ही आयकर विभाग के नाम से डराने में सफल रहता है. वर्तमान में साइबर ठग कुछ इसी तरह की फिल्मी स्टाइल अपना रहे हैं. अंतर सिर्फ इतना है कि वे भौतिक रूप से प्रकट नहीं होते.

इन दिनों साइबर ठगी के जो भी मामले सामने आ रहे हैं, उनमें से अधिकांशत: एक ही कहानी सामने आ रही है. जैसे शेयर बाजार में निवेश करने का झांसा देकर ठगी करना, खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर लोगों को धमकाना और उन्हें लूटना,आदि. सवाल यह है कि आखिर एक ही तरीके से लूट की घटनाओं में लोग पहले से सतर्क क्यों नहीं होते. खुद में कोई गलती ना होते हुए भी पुलिस और जांच अधिकारी के नाम पर लोग क्यों डर जाते हैं. आखिर जब आप निर्दोष हैं, निरपराध हैं तो फिर पुलिस और जांच एजेंसियों से क्यों डर जाते हैं?

विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि ऐसे मामलों में वही लोग साइबर के निशाने पर रहते हैं, जिनके बारे में उनका ही कोई करीबी व्यक्ति उनकी कमजोरी की सूचना अज्ञात व्यक्तियों तक पहुंचाता है. इससे साइबर अपराधी का काम आसान हो जाता है. वह आपकी जन्म कुंडली टटोलकर और आपकी कमजोरी को हथियार बनाकर उसी से आपका शिकार करता है. इसीलिए आरबीआई, पुलिस और अधिकारी आपको आगाह करते रहते हैं कि अपनी कोई भी गोपनीय जानकारी किसी को भी ना दें, चाहे वह आपका कितना ही करीबी क्यों ना हो. हो सकता है कि आज सिलीगुड़ी में जिन लोगों के साथ साइबर ठगी हो रही है, उनके साथ कुछ इस तरह की बातें भी हो. इसलिए आत्म मंथन और आत्म विश्लेषण जरूरी है अन्यथा आपकी पूंजी और मेहनत की कमाई कोई और डकार ले जाएगा.

साइबर ठगी की बढती घटनाओं को देखते हुए अब सरकार तथा सरकारी संगठनों ने इसकी जड़ों पर आघात करना शुरू कर दिया है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बच्चों और बाल अधिकारों से संबंधित मुद्दों को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ एक बैठक की है, जिसमें बच्चों और बाल अधिकारों से जुड़े मुद्दों को लेकर कुछ निर्देश जारी किए गए हैं. कई बार कुछ शातिर अपराधी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बच्चों अथवा व्यक्तियों को ब्लैकमेल करते हुए उनसे मोटी रकम वसूल लेते हैं. ऐसे साइबर ठग उसकी आपत्तिजनक तस्वीर, पोर्नोग्राफी इत्यादि का सहारा लेते हैं. वे जान बूझ कर ऐसी स्थिति उत्पन्न करते हैं, ताकि व्यक्ति उसमें फंस जाए. इसको ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सीपीसीआर अधिनियम 2005 की धारा 13 के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को आवश्यक कार्रवाई के लिए कुछ सिफारिशे भी की है.

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से कहा गया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को नाबालिकों के साथ अनुबंध करने की अनुमति उनके माता-पिता अथवा कानूनी अभिभावकों से सहमति मिलने के बाद दी जानी चाहिए. साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को पोक्सो अधिनियम की धारा 11 और किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 का हवाला देते हुए किसी भी एडल्ट सामग्री को दिखाने से पहले अंग्रेजी, हिंदी और स्थानीय भाषाओं में डिस्क्लेमर जारी करना चाहिए. इनमें माता-पिता को चेतावनी दी जानी चाहिए कि अगर बच्चा उपरोक्त कानूनी प्रावधानों के तहत एडल्ट सामग्री देखता है तो उन्हें जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.

अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी सख़्त रूख अपनाते हुए बच्चों से जुड़े पोर्नोग्राफी कंटेंट के मामले पर बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस तरह का कंटेंट देखना, प्रकाशित और डाउनलोड करना अपराध है. सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को भी रद्द कर दिया है, जिसमें हाई कोर्ट ने कहा था कि बच्चों से जुड़े पोर्नोग्राफी कंटेंट को सिर्फ डाउनलोड करना अथवा देखना पोक्सो एक्ट के तहत अपराध के दायरे में नहीं आता है. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद उम्मीद की जानी चाहिए कि साइबर अपराधियों द्वारा पोर्नोग्राफी के जरिए किसी को लूटने अथवा ब्लैकमेल करने की घटनाओं में कमी आएगी.

कुछ इसी तरह के अन्य ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि साइबर अपराधी लोगों को अपना शिकार न बना सके. सबसे बड़ी बात यह है कि जन जागरण और जन जागरूकता अभियान तेज करने की आवश्यकता है. इसके लिए मीडिया, टेलीविजन ,रेडियो व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक और सोशल मीडिया के सभी प्लेटफॉर्मों का उपयोग किया जाना चाहिए. जब तक समाज में सचेतनता नहीं आएगी, तब तक ऐसी घटनाएं होती रहेगी.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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