आज कर्सियांग के भाजपा विधायक बी पी बजगई ने आखिरकार अपना नामांकन दाखिल कर ही दिया. मजे की बात तो यह है कि बीपी बजगई ने विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा भी नहीं दिया है. और दार्जिलिंग लोकसभा के लिए एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल कर दिया है. इससे भी ज्यादा दिलचस्प बात यह है कि बी पी बजगई पार्टी में ही रहना चाहते हैं. वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के कट्टर समर्थक भी हैं.लेकिन उन्हीं केंद्रीय नेताओं के द्वारा दार्जिलिंग लोकसभा के लिए जारी नाम राजू बिष्ट की उम्मीदवारी का विरोध कर रहे हैं!
दिल्ली से लौटे राजू बिष्ट ने आज बागडोगरा हवाई अड्डे पर यह सवाल उठाया है कि अगर बी पी बजगई को लोकसभा का उम्मीदवार बनना ही था, तो यह बात वह पार्टी को पहले ही बताते. क्योंकि पार्टी ने सभी पहलुओं और नाम पर विचार करने के बाद ही लोकसभा उम्मीदवार के रूप में उनका नाम फाइनल किया है. अगर वह लोकसभा का उम्मीदवार बनना चाहते हैं तो सबसे पहले उन्हें भाजपा विधायक पद से इस्तीफा देना चाहिए. उसके बाद ही उनके द्वारा नामांकन दाखिल किया जाना चाहिए. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.
सिलीगुड़ी के भाजपा विधायक शंकर घोष भी कुछ इसी तकनीकी की बात करते हैं. कोई भी व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है लेकिन अगर वह किसी पद पर पहले से आसीन है तो सर्वप्रथम उसे अपने पद से इस्तीफा देना होता है. उसके बाद ही चुनाव लड़ना होता है. शंकर घोष कहते हैं कि बीपी बजगई को मनाने का प्रयास किया जाएगा. हमें एकजुट होकर लड़ना होगा. शंकर घोष को लगता है कि बहुत जल्द सब ठीक हो जाएगा. राजू बिष्ट की उम्मीदवारी की घोषणा होने के साथ ही भाजपा नेता अपना घर परिवार संभालने में जुट गए हैं. किसी समय तृणमूल कांग्रेस में यह गुटबाजी देखी जाती थी. अब भाजपा में भी यह व्याप्त हो गई है.
पहाड़ से लेकर समतल तक भाजपा को अंतर कलह से जूझना पड़ रहा है. पहाड़ में बीपी बजगई का बगावती तेवर, विमल गुरुंग द्वारा अभी तक भाजपा पार्टी को समर्थन करने का ऐलान नहीं किया जाना और समतल में भी पार्टी का बटा होना, कहीं ना कहीं भाजपा और राजू बिष्ट को मुश्किलों में डाल सकता है, जिसको ठीक करने के लिए प्रयास तेज कर दिया गया है. शुक्रवार को भाजपा ने खोरीबाडी प्रखंड के अधिकारी रविंद्र भवन में सांगठनिक बैठक की. इस बैठक में राजू बिष्ट के समर्थन में पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट करने की बात कही गई. इस बैठक में फांसीदेवा विधानसभा के सात मंडलों के विभिन्न पदाधिकारी और बूथ अध्यक्ष शामिल हुए थे. दार्जिलिंग जिला भाजपा अध्यक्ष अरुण मंडल राजू बिष्ट के पक्ष में कार्यकर्ताओं और नेताओं को एकजुट करने में लग गए हैं.
शंकर घोष भी सिलीगुड़ी और आसपास के क्षेत्रों में भाजपा कार्यकर्ताओं और बूथ स्तर के नेताओं को लेकर बैठक कर रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि कार्यकर्ताओं और नेताओं को आपसी रंजिश भूल कर राजू बिष्ट का समर्थन करने की बात कही गई है. पहाड़ में भी नीरज जिंबा के द्वारा कार्यकर्ताओं को एकजुट किया जा रहा है.
राजू विष्ट विमल गुरुंग का समर्थन मिलने की उम्मीद कर रहे हैं. राजू बिष्ट के नामांकन से पहले विमल गुरुंग अपने पत्ते खोलेंगे. अगर राजू बिष्ट को विमल गुरुंग का साथ मिल जाता है तो उनकी मुश्किलें काफी हद तक कम हो सकती है. राजू बिष्ट विमल गुरुंग को अपना राजनीतिक गुरु बता चुके हैं. 2019 में भाजपा उम्मीदवार राजू बिष्ट की दार्जिलिंग सीट से भारी जीत हुई थी. लेकिन इस बार स्थिति बदली हुई है. राजू बिष्ट को अनित थापा की भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा, अजय एडवर्ड की हाम्रो पार्टी तथा विनय तमांग के नेतृत्व वाली कांग्रेस उनके विरोध में है.
दूसरी तरफ समतल में भी पार्टी में गुटबाजी देखी जा रही है. राजू बिष्ट को लगता है कि समतल की गुटबाजी तो दूर कर ली जाएगी. लेकिन पहाड़ में हो रहे नुकसान को कम करने का एकमात्र उपाय विमल गुरुंग है. इसलिए राजू बिष्ट गोरखा जन मुक्ति मोर्चा सुप्रीमो विमल गुरुंग को संकट में फंसी अपनी नाव का खेवईया मान रहे हैं . सूत्रों ने बताया कि विमल गुरुंग 1 या 2 अप्रैल को अपने पत्ते खोलेंगे. उसके बाद ही मंझधार में फंसी भाजपा को किनारा मिलने की उम्मीद है.