दार्जिलिंग समेत सभी हिल स्टेशन गुलजार होने जा रहे हैं. यहां पर्यटकों की चहल-पहल बढ़ने वाली है. टूर ऑपरेटर्स भी निहाल हैं. उनके अनुसार दुर्गा पूजा से दीपावली तक पहाड़ में उत्सव का माहौल रहने वाला है. पर्यटन उद्योग में तेजी आने की संभावना को देखते हुए दार्जिलिंग और संलग्न क्षेत्र में ट्रैफिक समस्या नियंत्रण के लिए पुलिस और सामाजिक, स्वयंसेवी संगठनों के लोग प्रयास में जुट गए हैं. यह मांग की जा रही है कि यहां की सड़कों पर बड़ी बसों की जगह छोटी बसें चलाई जाए. पार्किंग की व्यवस्था समेत ट्रैफिक नियंत्रण के लिए कई अन्य कदम उठाने का भी आग्रह किया गया है.
पिछले काफी समय से दार्जिलिंग ट्रैफिक समस्या से दो चार हो रहा है. यहां के लोग अगर सबसे ज्यादा परेशान हैं, तो ट्रैफिक के कारण ही. क्योंकि ट्रैफिक समस्या के चलते दुकान और व्यवसाय को भी नुकसान हो रहा है. एक तो पहाड़ों में संकरे रास्ते होते हैं. ऊपर से रास्तों पर साइड में गाड़ियां लगा दी जाती है. इससे रास्ता और संकीर्ण हो जाता है. कई बार ट्रैफिक पुलिस ट्रैफिक समस्या के निवारण के लिए घूम से लेकर दार्जिलिंग तक अभियान चलाती है. लेकिन उसका कोई असर नहीं दिख रहा है.
इसी महीने से दार्जिलिंग में पर्यटकों का आना शुरू हो जाएगा. पर्यटक दार्जिलिंग इसलिए आते हैं क्योंकि उन्हें दार्जिलिंग की हरी भरी वादियों से प्यार होता है. दार्जिलिंग के लोग, यहां की संस्कृति, यहां की प्राकृतिक विविधता, हरियाली, पहाड़ियां, विस्तृत मैदान यह सब कुछ पर्यटकों को लुभाते हैं. ऐसे में अगर पर्यटकों को आने-जाने में कठिनाई होगी तो पर्यटन को नुकसान होगा. हिमालयन ट्रांसपोर्ट कोऑर्डिनेशन कमिटी ने भी दार्जिलिंग में ट्रैफिक जाम से निजात के लिए भी आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी है.
ऐसा देखा गया है कि दार्जिलिंग रेलवे स्टेशन से चौक बाजार तक लगभग 7 से 8 किलोमीटर की दूरी तय करने में काफी वक्त लग जाता है. स्थानीय निवासी हो अथवा पर्यटक, यह स्थिति सभी को व्यथित कर देती है. कई बार ट्रैफिक जाम के कारण दुकानदारों को व्यापार करने में भी समस्या आ जाती है. रास्ता नहीं होने से कई बार उनके माल का भी नुकसान हो जाता है. पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि पर्यटन मौसम में पर्यटकों की गाड़ियां पहाड़ में आएंगी तो उनकी पार्किंग के लिए भी समस्या होगी. क्योंकि पहाड़ में पार्किंग की समस्या बहुत पुरानी है.
जानकार मानते हैं कि दार्जिलिंग में हमेशा ही पर्यटन सीजन में ऐसा ही होता है.यहां काफी संख्या में टैक्सिया खड़ी करने के लिए जगह नहीं मिलती. होटल के पास भी पर्याप्त जगह नहीं होती. मजबूरन उन्हें रास्तों पर ही गाड़ियां खड़ी करनी पड़ती है. यह एक ऐसी चुनौती है, जिसके समाधान के लिए जीटीए से लेकर पर्यटक कारोबारियों ने हमेशा ही आवाज उठाई. लेकिन कोई समाधान नहीं हो सका. समस्या के समाधान के लिए ट्रैफिक पुलिस लगातार प्रयास कर रही है. जीटीए के बड़े-बड़े नेता भी आवाज उठा रहे हैं. साथ ही एक ऐसी योजना पर काम कर रहे हैं, जिससे कि दार्जिलिंग में ट्रैफिक समस्या में कमी आएगी, साथ ही दार्जिलिंग पहले से सुंदर और स्वच्छ दिखेगा.
दार्जिलिंग जिला पुलिस ने अवैध पार्किंग अनाधिकृत वाहन हॉर्न बजाने अथवा यातायात को बाधित करने वाली किसी भी गतिविधि से संबंधित ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन की रिपोर्ट करने के लिए एक नंबर जारी किया है. तुरंत ही उक्त नंबर पर पुलिस को जानकारी देने पर दार्जिलिंग पुलिस कार्रवाई करेगी. यह नंबर है 9147 88 9073. अब तो विभिन्न सामाजिक और स्वयंसेवी संगठनों के लोग घूम से लेकर दार्जिलिंग तक रैली निकाल रहे हैं. पिछले दिनों रैली का आयोजन गोरखा जन आवाज और हिमालयन ट्रांसपोर्ट कोऑर्डिनेशन कमिटी ने किया था. संगठनों ने GTA को ज्ञापन भी सौपा था.
दार्जिलिंग के विभिन्न संगठनों और अनुभवी लोगों का कहना है कि दार्जिलिंग की ट्रैफिक समस्या का समाधान केवल तभी हो सकता है जब यहां पार्किंग व्यवस्था दुरुस्त की जाए. जैसा कि सिलीगुड़ी में हाल ही में किया गया है. टूर ऑपरेटर प्रदीप लामा का तो यही मानना है. टूर ऑपरेटर लामा दार्जिलिंग की संकरी गलियों में बड़ी बसों की शुरुआत से हतप्रभ हैं.यह समस्या को और बढ़ा रहा है. उनका कहना है कि बड़ी बसें चलने से ट्रैफिक की समस्या और गंभीर बन जाती है. उन्होंने जीटीए प्रशासन से छोटी बसें चलाने का आग्रह किया है. उन्होंने एक सुझाव दिया है कि दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे को सड़क की भीड़भाड़ को कम करने के लिए रंगबुल और दार्जिलिंग के बीच कुछ स्थानों पर रेल पटरियों को सड़क के बराबर लाने पर विचार करना चाहिए.
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