अंबुबाची मेला को लेकर लोग एक अलग आस्था रखते है | असम के गुवाहाटी में स्थित कामाख्या मंदिर में 22 जून से वार्षिक अंबुबाची मेला शुरू हो गया है | हर साल चार दिनों के लिए लगने वाले इस मेले में हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है | शुक्रवार को भी हजारों भक्त गुवाहाटी के कामाख्या मंदिर पहुंचे | मंदिर के पाट को गुरुवार आधी रात को बंद कर दिया गया, अब इसे 26 जून को फिर से खोला जाएगा |
अंबुबाची मेला शुरू होने के साथ गुवाहाटी में आध्यात्मिक उत्साह बढ़ जाता है | चार दिन तक ये शहर श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है , जो उन्हें उनकी आध्यात्मिक मान्यताओं के करीब ले जाता है |
बता दें, कामाख्या देवी मंदिर को लेकर मान्यता है कि, वहां माता हर साल रजस्वला होती हैं | रजस्वला होने पर ही अंबुबाची मेले का आयोजन किया जाता है, कहा जाता है कि, मां के रजस्वला होने पर तीन दिनों तक गुवाहाटी में कोई मंगल कार्य नहीं होता है | इस बीच ब्रह्मपुत्र नदी का जल लाल रहता है | चौथे दिन कामाख्या देवी की मूर्ति को स्नान कराकर, वैदिक अनुष्ठान आदि के बाद मंदिर का पाट खोल दिया जाता है |
जिस समय मां रजस्वला होती हैं, उस समय मंदिर में एक सफेद वस्त्र रखा जाता है,ये वस्त्र लाल रंग का हो जाता है | अंबुबाची मेले के दौरान जो लोग मातारानी के दर्शन के लिए आते हैं, उन्हें प्रसाद में लाल वस्त्र दिया जाता है,इस वस्त्र को अंबुबाची वस्त्र कहा जाता है | बता दे एक ओर जहां अंबुबाची का समय चल रहा है, वहीं दूसरी ओर 19 जून से इस साल आषाढ़ गुप्त नवरात्रि शुरु हो गई है। धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का बड़ा ही महत्व है। साल में चार नवरात्रि आती है। जिनमें आश्विन मास की शारदीय और चैत्र नवरात्रि को श्रद्धालु बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं। इन्हें प्रकट नवरात्रि कहते हैं। जबकि माघ और आषाढ़ में जो नवरात्रि आती है, उसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं, क्योंकि जन सामान्य में यह खास प्रचलित नहीं है, इसकी वजह से गुप्त नवरात्रि को सिद्धि और साधना के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है और तंत्र मंत्र के साधक इसमें विशेष रूप से साधना करते हैं।
लाइफस्टाइल
कामाख्या मंदिर में लगा भक्तों का ताँता !
- by Gayatri Yadav
- June 24, 2023
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