श्रमिक सुरक्षा समिति के केंद्रीय प्रवक्ता राजेश थापा पहाड़ के समस्त चाय बागान के श्रमिकों का कल सैलाब बन जाने के लिए लगातार आह्वान कर रहे हैं. कल मिरिक बोलेगा और पहाड़ के नेता और जनता सुनेंगे. आज पहाड़ में इसी की धमक सुनाई पड़ रही है. कल मिरिक में क्या होगा, पहाड़ के लोग दम साधे इंतजार कर रहे हैं.
पहाड़ में पंचायत चुनाव के बाद से ही राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक हलचल तेज हो गई है. पहाड़ में मुद्दों की कोई कमी नहीं है.एक मुद्दा हल नहीं होता है तो दूसरा मुद्दा उठा लिया जाता है.पहाड़ में छोटे-छोटे अनेक राजनीतिक संगठन है. उनके नेता बयान बहादुर होने के साथ साथ सुर्खियों में बने रहने के लिए हमेशा कुछ ना कुछ करते रहते हैं ताकि पहाड़ की जनता का ध्यान उनकी तरफ जाए.
लोकसभा चुनाव से पहले पहाड़ में हर नेता खुद को गोरखा लोगों का हितैषी बता रहा है.अपनी डफली अपना राज की तर्ज पर चलते हुए राजनीतिक संगठनों के नेता खुद को दूसरों से भी ज्यादा गोरखा लोगों का संरक्षक बताने में जुट गए हैं. नीरज जिंबा से लेकर अनित थापा, विमल गुरुंग, मन घीसिंग इत्यादि नेता पहाड़ में अपनी उपस्थिति को मजबूत कर रहे हैं. नीरज जिंबा बता रहे हैं कि गोरखा लोगों के दिन फिरने वाले हैं. क्योंकि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा अपना संकल्प पत्र पूरा करने की तैयारी कर रही है. विमल गुरुंग की राजनीति कभी इधर की तो कभी उधर की रही है.
अनित थापा को अपनी ‘दीदी’ पर भरोसा है. उन्हें गोरखालैंड नहीं चाहिए. उन्हें तो पहाड़ का विकास चाहिए. पहाड़ के लोगों को रोजी-रोटी चाहिए और यह सिर्फ दीदी दे सकती है यानी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही पहाड़ के सपने को पूरा कर सकती है. अजय एडवर्ड जैसे नेता अभी किसी खास विषय वस्तु पर फोकस नहीं कर रहे हैं. लेकिन उन्हें एक मुद्दा जरूर मिल गया है खैर यह तो संगठनों के नेताओं की बात रही. परंतु इस समय पहाड़ में एक और घटनाक्रम तेजी से अंगड़ाई ले रहा है. जो राजनीतिक होते हुए भी गैर राजनीतिक है.
हालांकि यह कोई नया मामला नहीं है. परंतु जिस तेजी से घटनाक्रम बदल रहा है, ऐसे में रविवार को पहाड़ में एक नए जलजले का संकेत मिल रहा है. दरअसल राज्य सरकार ने पहाड़ के चाय श्रमिकों के लिए 5 डेसिमल पट्टा वितरण करने की अधिसूचना जारी की है. इसका हमरो हिल तराई Dooars टी प्लांटेशन वर्कर्स यूनियन विरोध कर रही है. जॉइंट फोरम की ओर से लगातार गेट मीटिंग की जा रही है.मिरिक के 10 चाय बागानों के श्रमिकों ने पांच डिसमिल जमीन देने की राज्य सरकार की अधिसूचना को सिरे से खारिज कर दिया है.
पिछले कई दिनों से परजा पट्टा के विरोध में चल रहे श्रमिकों के आंदोलन को कल एक नया बल मिलने वाला है. जब दार्जिलिंग पहाड़ के 84 चाय बागान के श्रमिकों के द्वारा मिरिक में एक विराट रैली निकाली जाएगी. यह रैली तो मिरिक में होगी, परंतु इसका धमाका दार्जिलिंग, कर्सियांग और सभी जगह होगा. चाय बागान श्रमिक सुरक्षा समिति पिछले कई दिनों से समावेश की तैयारी कर रही है. समिति के केंद्रीय प्रवक्ता और राजेश थापा ने बताया है कि यह रैली मिरिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर से शुरू होगी तथा मिरिक बाजार सुपर मार्केट में एक विराट जनसभा में परिणत होगी.
चाय श्रमिकों के आंदोलन को परोक्ष रूप से राजनीतिक संगठनों का संरक्षण प्राप्त है. क्योंकि कोई भी नेता चाय बागानों के श्रमिकों के खिलाफ नहीं जा सकता है. पहाड़ में अगर कुछ है तो चाय बागान है और चाय बागानों में काम करने वाले श्रमिक पहाड़ के स्थाई वोटर हैं. ऐसे में यह समझा जाता है कि कल के समावेश में कुछ नई बात सामने आएगी जो पहाड़ के क्षेत्रीय संगठनों को एक मुद्दा दे जाएगी.
हालांकि कल की रैली में वंदना राई और प्रताप खाती प्रमुख वक्ता के रूप में होंगे. लेकिन इसके पीछे की जो राजनीति होगी, वह कहीं ना कहीं पहाड़ के क्षेत्रीय राजनीतिक संगठनों के नेताओं को जरूर प्रभावित करेगी. अब सब की नजर कल की रैली पर टिकी है. कम से कम इसका लाभ हमरो पार्टी के अध्यक्ष अजय एडवर्ड को जरूर मिलने वाला है. अजय एडवर्ड ने हमरो हिल तराई Dooars चाय बागान श्रमिक संघ का दूसरा स्थापना दिवस मनाया है.