April 27, 2024
Sevoke Road, Siliguri
उत्तर बंगाल लाइफस्टाइल सिलीगुड़ी

स्कूल से लेकर कॉलेज तक होने जा रहे कई बदलाव!

पश्चिम बंगाल सरकार की नई शिक्षा नीति का गजट नोटिफिकेशन आज जारी कर दिया गया है. इसका काफी समय से इंतजार किया जा रहा था. अगर आप सिलीगुड़ी में रहते हैं तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि क्या-क्या स्कूल से लेकर कॉलेज तक में बदलाव होने जा रहे हैं.

इसके अनुसार अब 1 साल की प्री प्राइमरी कक्षा होगी. उसके बाद 4 साल की प्राथमिक कक्षा होगी. फिर पांचवी से लेकर आठवीं तक की कक्षाओं में भी कई बदलाव किए गए हैं जबकि नवी और दसवीं कक्षा के अंत में माध्यमिक परीक्षा होती है.

आज सुबह स्कूल शिक्षा विभाग के पोर्टल पर यह जानकारी उपलब्ध कराई गई है. शिक्षा विभाग की ओर से 178 पेज की गाइडलाइन प्रकाशित की गई है. यह शिक्षा नीति 2035 तक शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन लाने के उद्देश्य से तैयार की गई है. अधिसूचना के अनुसार आठवीं कक्षा से चरणबद्ध तरीके से सेमेस्टर सिस्टम लागू किया जाएगा.

उच्च माध्यमिक शिक्षा परिषद 11वीं और 12वीं कक्षा की परीक्षाओं में सेमेस्टर प्रणाली लागू करने जा रही है. वर्ष 2024 में 11वीं कक्षा में प्रवेश पाने वाले सभी छात्रों को इस नियम के अंतर्गत रखा जाएगा. सेमेस्टर शिक्षा प्रणाली मूल्यांकन के आधार पर पहला रिजल्ट 2026 में घोषित किया जाएगा जबकि 12वीं कक्षा के पहले सेमेस्टर को नवंबर में आयोजित किया जाएगा. विद्यालय में ग्रेजुएशन उत्सव करने का विचार किया जा रहा है.

जैसा कि आप जानते हैं कि पश्चिम बंगाल सरकार मातृभाषा को अधिक बढ़ावा देना चाहती है. नई शिक्षा नीति के अनुसार राज्य में पहली भाषा के रूप में बांग्ला और दूसरी भाषा के रूप में अंग्रेजी पढ़ने की बात कही गई है.जबकि तीसरी भाषा के रूप में बंगाली, हिंदी और संस्कृत को महत्व दिया गया है. सरकारी हो अथवा गैर सरकारी स्कूल सभी को कक्षा 1 से लेकर कक्षा 12वीं तक बांग्ला पढ़ना होगा.इसी के अनुरूप पाठ्यक्रमों का विकास किया जाएगा.

हालांकि राज्य के शिक्षा मंत्री बसु का कहना है कि भाषा छात्रों पर थोपी नहीं जा रही है. दार्जिलिंग में नेपाली भाषा पहली भाषा बन सकती है. इसी तरह से संथाली, राजवंशी,पहली भाषा बन सकती है अगर उस क्षेत्र की आबादी अधिक हो. दूसरी और तीसरी भाषा का फैसला स्थानीय आबादी के पैटर्न पर निर्भर करता है. परंतु पहली भाषा तो बांग्ला ही होगी.

राज्य सरकार और नई शिक्षा नीति के अंतर्गत बांग्ला को पहली भाषा के रूप में अनिवार्य करने तथा हिंदी की उपेक्षा को लेकर पहले से ही राज्य सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.

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