हर साल की तरह इस साल भी सिलीगुड़ी में दीपावली को लेकर जुए का बाजार गर्म है. सिलीगुड़ी के कोने-कोने में जुए के अड्डे चल रहे हैं. जुआरी जुआ खेलने के लिए ऐसे स्थान का चुनाव करते हैं, जहां कोई आता जाता नहीं हो. जहां पुलिस नहीं पहुंच सके. लेकिन पुलिस के मुखबिर सब पता लगा लेते हैं. आए दिन पुलिस जुए के अड्डों पर छापा मारती है और जुआरी को गिरफ्तार करती है.
पिछले कई दिनों से सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस जुए के अड्डों पर छापा मार रही है. एनजेपी पुलिस ने भी नौका घाट स्थित महानंदा ब्रिज के नीचे से जुआ खेलते छह लड़कों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है. नदी के क्षेत्र में जुए के अड्डे बहुतायत में है. जुआरी आमतौर पर रात के समय नदी क्षेत्र में जुआ खेलते हैं. यूं तो सिलीगुड़ी में हर मौसम और ऋतु में जुआ खेला जाता है. परंतु दीपावली के समय यह अत्यधिक बढ़ जाता है. क्योंकि कहीं ना कहीं लोग यह मान बैठे हैं कि दीपावली में जुआ खेलने की परंपरा रही है और यह शुभ माना जाता है.
दीपावली में जुआ खेलना शुभ तो माना जाता है. परंतु यह बिन पैसे के जुआ खेलना है. तभी यह दीपावली की परंपरा से जुड़कर शुभ होता है. लेकिन अगर जुए में पैसे का लेनदेन होता है तो यह अशुभ माना जाता है. कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार उस दिन मां लक्ष्मी अपने भक्तों के घर पर पधारती हैं और उन्हें धन-धान्य का आशीर्वाद प्रदान करती हैं.
दीपावली की रात जुआ खेलने की परंपरा रही है. ऐसी मान्यता है कि दिवाली के दिन जुआ खेलना अत्यंत शुभ होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिवाली पर किस तरह का जुआ खेलना शुभ माना जाता है. इसके पीछे कुछ दंत कथाएं जुड़ी हुई है. एक पौराणिक कथा के अनुसार दिवाली की रात भगवान शिव के साथ उनकी पत्नी देवी पार्वती जुआ खेलती थी. जिससे उन दोनों के बीच प्रेम बढ़ गया था. यही कारण है कि इस दिन जुआ खेलना शुभ माना जाता है. लेकिन जुआ खेलना तभी शुभ होता है, जब इसे बिना पैसे के खेला जाए.
दूसरी ओर दीपावली की रात जुआ खेलना तब अशुभ माना जाता है, जब उसमें पैसे का भाग होता है. पैसे लगाकर दिवाली की रात जुआ खेलना बेहद अशुभ माना जाता है. इसका जिक्र महाभारत में मिलता है.जुआ खेलने के कारण ही पांडव अपना राज पाठ धन दौलत ही नहीं अपनी पत्नी तक हार बैठे. और इसका नतीजा महाभारत के रूप में सामने आया. जो लोग जुए में हार जाते हैं, उनके घर की क्या स्थिति होती है, इसे जुए में हारा हुआ एक व्यक्ति ही भली भांति समझ सकता है.
एक अन्य स्रोत के अनुसार दिवाली की रात लक्ष्मी पूजन के बाद परिवार के लोग घर में शगुन के लिए जुआ खेलते हैं. लेकिन वर्तमान समय में देखा जा रहा है कि लोग अपनी किस्मत आजमाने के लिए जुआ अथवा सट्टा खेलते हैं, जो सही नहीं है. अब तो सिलीगुड़ी में दिवाली की रात लॉटरी खेलने का भी चलन बढ़ गया है.ऐसा करने से देवी लक्ष्मी रूठ जाती है और व्यक्ति को जीवन भर धन की कमी का सामना करना पड़ता है. ऋग्वेद के दसवें म॔डल के कुछ सूक्त में एक कथा का उल्लेख मिलता है. इस कथा के अनुसार जुए की लत के चलते एक व्यक्ति गरीब हो गया. उसकी सुंदर पत्नी भी उसे छोड़कर चली गई.
स्कंद पुराण में भी इसका उल्लेख मिलता है. कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव अपनी पत्नी देवी पार्वती के साथ दिवाली की रात जुआ खेल रहे थे. माता पार्वती ने भगवान शिव को जुए में हरा दिया. लेकिन इसमें पैसे का कहीं जिक्र नहीं आता है. धार्मिक ग्रंथो के अनुसार परिवार के सदस्य ही बिना पैसे के जुआ खेले तो यह शुभ होता है. इसलिए दिवाली में जुआ खेले. परंतु शास्त्रों में उल्लेखित नियमों को ध्यान में रखकर ही. ना कि जुए में धन दौलत पैसा लुटाए. और परिवार को सड़क पर ला खड़ा करें.