पहाड़ में गोर्खा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा का राजनीतिक कद उस समय बढ़ गया, जब दिल्ली में एनडीए की बैठक में शामिल होने के लिए गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष मन घीसिंग को एनडीए की ओर से निमंत्रण पत्र भेजा गया. मोर्चा के अध्यक्ष मन घीसिंग एनडीए की बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली रवाना हो गए और उन्होंने एनडीए की बैठक में भाग लिया.
पहाड़ में छोटे-छोटे कई राजनीतिक दल उठ खड़े हुए हैं. कई राजनीतिक दल तो ऐसे हैं जिनके बारे में पहाड़ से बाहर कोई नहीं जानता. अगर यह कहा जाए तो कोई गलत नहीं होगा कि जितने नेता उतने दल या संगठन. इनमें से कुछ राजनीतिक दल पहाड़ की राजनीति में जरूर दखल दे रहे हैं, तो कई राजनीतिक संगठन क्षेत्रीय स्तर पर अपना प्रभाव दिखाते हैं. लेकिन इन छोटे राजनीतिक दलों को केंद्रीय अथवा राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान स्थापित करने का कभी मौका नहीं मिला. गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा पहला ऐसा दल है जिसने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना ली है.
1980 के दशक में पृथक गोरखालैंड आंदोलन के बाद गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा अध्यक्ष एवं वर्तमान अध्यक्ष मन घीसिंग के नेतृत्व में दार्जिलिंग गोरखा पर्वतीय परिषद का गठन हुआ था. पर्वतीय परिषद का संचालन लगभग 18 वर्षों तक चला. पर्वतीय परिषद ने पहाड़ के लिए संवैधानिक व्यवस्था के रूप में छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग की. 2005 में तत्कालीन कांग्रेस की यूपीए सरकार, गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा और बंगाल सरकार के बीच एक त्रिपक्षीय वार्ता भी हुई. लेकिन छठी अनुसूची का बिल पास नहीं हो सका.
सुभाष घीसिंग के निधन के बाद उनके पुत्र मन घीसिंग ने यह बीड़ा उठाया है. पहाड़ में उनका वर्चस्व है. गोरखालैंड, गोर्खा लोगों को राजनीतिक सुरक्षा प्रदान करने तथा दार्जिलिंग पहाड़ को संवैधानिक व्यवस्था में शामिल करने के लिए मन घीसिंग ने एक बीडा उठाया है. उन्होंने यह संदेश दिल्ली तक पहुंचा दिया है. यही कारण है कि दिल्ली से एनडीए की बैठक में शामिल होने के लिए उनके पास निमंत्रण पत्र भेजा गया था. पहाड़ में राजनीतिक दलों के बीच इसकी खूब चर्चा हो रही है.
दिल्ली में एनडीए की बैठक में 38 राजनीतिक दलों के नेताओं ने भाग लिया था. उनमें से गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा भी शामिल है. एनडीए का हिस्सा होने के साथ ही पहाड़ में गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ता और नेता स्वाभाविक रूप से लोकसभा चुनाव में एनडीए को मजबूत करने की दिशा में काम करेंगे और इसका लाभ बीजेपी को मिलने वाला है.
मन घीसिंग को दिल्ली बुलावे के बाद पहाड में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है. मोर्चा के नेता और कार्यकर्ता काफी खुशी व्यक्त कर रहे हैं. गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा के सहायक महासचिव सचित गहतराज ने कहा है कि गोरखा लोगों की आंखों में पल रहा सपना जल्दी ही साकार होगा.