चंद्रयान-3 में रहा गोर्खा पुत्र निरुपम शर्मा का बड़ा योगदान !
गोर्खा पुत्र ने मिरिक का नाम किया रोशन !
इसरो के साइंटिस्ट है गोरख पुत्र !
भारत ने इतिहास रच दिया, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला हिंदुस्तान पहला देश बन गया है, चंद्रयान-3 मिशन सफल हुआ |
देश वासी चंद्रयान-3 की सफलता का जश्न मना रहे हैं और पूरे विश्व में हिंदुस्तान की वाहवाही हो रही है | कल सिलीगुड़ी में भी चंद्रयान-3 की सफलता के बाद जश्न का माहौल बन गया, लोग एक दूसरे को बधाई देते नजर आए | यह खुशी तब दुगनी हो गई जब यह खबर मिली कि, मिरिक के रहने वाले निरुपम शर्मा इसरो के साइंटिस्ट है और उन्होंने भी इस चंद्रयान-3 में अहम योगदान दिया है | निरुपम शर्मा एक गोर्खा पुत्र है और उनके इस कामयाबी से मिरिक वासी काफी खुश है | निरुपम शर्मा ओकाया टी खड़का गांव चाय बागान इलाके के रहने वाले हैं | उनके इस कामयाबी के बाद पूरे इलाके में खुशी का माहौल बना हुआ है | स्थानीय लोग निरुपम के घर पहुंच रहे हैं और उनके माता-पिता को बधाई दे रहे हैं | निरुपम के माता-पिता भी बेटे के इस सफलता से बहुत खुश है | उन्होंने बताया कि, निरुपम से कल रात चंद्रयान-3 की सफलता के बाद फोन में बात हुई थी, उन्होंने बताया कि, चंद्रयान-3 सफल रहा और खुशी जाहिर की | देखा जाए तो इन दोनों गोर्खा हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रहे हैं और देश का नाम रोशन कर रहे हैं |
मिरिक जैसे छोटी इलाके से निकाल कर इसरो की दूरी तय करना और चंद्रयान-3 में अहम योगदान देना, यह इतना आसान भी नहीं | निर्गुण शर्मा की कड़ी मेहनत और धैर्य ने उन्हें आज इस मुकाम में पहुंचा है | 2017 में निरुपम शर्मा इसरो से जुड़े और लगातार मेहनत से अपने काम को अंजाम दे रहे थे | वह कहते हैं ना, मेहनत का फल मीठा होता है, कल चंद्रयान -3 की सफलता के बाद निरुपम शर्मा ने सफलता का मीठा स्वाद चखा साथ ही देश का नाम विश्व में रोशन किया |