दार्जिलिंग मेल हो या कोई भी ट्रेन, जीआरपी के जवान यात्रियों की सुरक्षा और सुरक्षित यात्रा के लिए होते हैं. लेकिन जब सुरक्षा करने वाले जवान ही यात्रियों की असुरक्षा के कारण बन जाएं तो फिर जीआरपी जैसी संवैधानिक संस्था पर भरोसा कैसे किया जा सकता है!
भारतीय रेलवे की ओर से महिलाओं और दिव्यांग लोगों के लिए ट्रेन में अलग कोच की व्यवस्था होती है. लेकिन जब उनके निर्धारित कोच में ही जीआरपी के जवान उन्हें चढ़ने ना दें अथवा यात्री के साथ बदसलूकी करने लगें तो काफी दुख होता है. इसी तरह के दुख का इजहार एक दिव्यांग यात्री अरुणाभ पाल चौधरी ने किया है.
अरूणाभ पाल चौधरी सिलीगुड़ी के रहने वाले है. व्यापारिक अथवा अन्य कार्यों से उनका कोलकाता आना-जाना लगा रहता है. उन्होंने बताया कि पिछली रात सियालदह में दार्जिलिंग मेल में निर्धारित दिव्यांग कोच में चढ़ने के लिए वह अन्य दिव्यांग यात्रियों के साथ गए तो उन्होंने देखा कि कोच के अंदर कुछ लोग पहले से ही बैठे थे. उनमें से एक GRP का जवान भी था. आरोप है कि वह दिव्यांग यात्रियों को गाड़ी में चढ़ने में बाधा उत्पन्न कर रहा था.
जैसे ही ट्रेन रवाना हुई, दिव्यांग बोगी में कुछ लोगों ने शराब पीनी शुरू कर दी. उनमें कथित जीआरपी का जवान भी था. इसके बाद वे सभी हंगामा करने लगे. अरुणाभ ने बताया कि एक जीआरपीएफ जवान के साथ उनकी बहस हो गई, जब उक्त जीआरपीएफ जवान ने उन्हें धक्का दे दिया. वह कथित रूप से गाली गलौज पर उतर आया था.
जब ट्रेन दमदम स्टेशन पर रुकी, तब तक विवाद इतना बढ़ गया था कि शराब के नशे में कथित रूप से जीआरपीएफ के उक्त जवान ने अरुणाभ का सामान ट्रेन से बाहर फेंक दिया. इतना ही नहीं उसने अरुणाभ को भी चलती ट्रेन से बाहर फेंकने की धमकी दी. अन्य यात्रियों के बीच बचाव करने के बाद यह मामला शांत हो गया. इसी बीच अरुणाभ ने पता किया कि उक्त जीआरपीएफ का जवान भी सिलीगुड़ी जा रहा था.वह भी सिलीगुड़ी आ रहे थे. अरुणाभ ने इस जवान का भंडाफोड़ एनजेपी स्टेशन पर ही करने का फैसला किया.
अरुणाभ ने इस बीच सिलीगुड़ी के मीडिया कर्मियों को फोन पर ही सूचना दे दी थी कि उनके साथ क्या हुआ था. जैसे ही ट्रेन एनजेपी स्टेशन पहुंची, मीडिया कर्मी प्लेटफॉर्म पर हाजिर थे. अरुणाभ के बताने पर मीडिया कर्मियों ने कथित जीआरपीएफ जवान का फोटो और वीडियो बनाना चाहा तो उसने अपना चेहरा छुपा लिया और वहां से तेजी से भागने की कोशिश करने लगा. अरुणाभ ने इस घटना की रिपोर्ट जीआरपी थाने में लिखित रूप से दी है. शिकायत के बाद एनजेपी स्टेशन में जीआरपीएफ के अधिकारी हरकत में आए और आरोपी जवान को पकड़ने की कोशिश में जुट गए. लेकिन तब तक आरोपी फरार हो चुका था.
सवाल यह है कि जब ट्रेन यात्रियों की सुरक्षा के जिम्मेदार लोग ही यात्रियों के साथ बदसलूकी करने लगे तो ट्रेन यात्रा कितनी सुरक्षित रह जाएगी! रेल गाड़ियों में शराब पीना गैरकानूनी है.लेकिन नियम कानून को ना मानते हुए रेलवे के कुछ यात्री से लेकर सुरक्षा अधिकारी तक ट्रेन में शराब पीते हैं. रेल प्रशासन को क्या इसका पता नहीं है? अगर पता है तो इसे संज्ञान में क्यों नहीं लिया जाता?
ऐसे अनेकों सवाल हैं, जिनका जवाब रेलवे प्रशासन को देना पड़ सकता है. NjP और सियालदह के बीच चलने वाली दार्जिलिंग मेल एक वीआईपी गाड़ी मानी जाती है.यह अन्य ट्रेनों के मुकाबले सुरक्षित और नियमित गाड़ी मानी जाती है. लेकिन जब उस गाड़ी में भी ऐसे ऐसे कांड होने लगे तो अन्य सामान्य गाड़ियों की बात क्या की जा सकती है. दार्जिलिंग मेल की विश्वनीयता को बनाए रखने के लिए फौरन रेलवे प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है!
(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)