लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 26 अप्रैल को 13 राज्यों की 89 सीटों पर मतदान हो रहा है. पश्चिम बंगाल के लिए जिन तीन सीटों पर मतदान हो रहा है, उनमें दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट शामिल हैं. लेकिन उन सभी में दार्जिलिंग सीट काफी महत्वपूर्ण है और इस सीट पर पूरे देश की नजर टिकी हुई है.
दार्जिलिंग सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि यह एक तरफ भाजपा के लिए प्रतिष्ठा की सीट बनी हुई है तो दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस भाजपा से यह सीट छीन लेने के लिए बेकरार है. भारतीय जनता पार्टी ने राजू विष्ट को अपना प्रत्याशी बनाया है तो तृणमूल कांग्रेस की ओर से गोपाल लामा उम्मीदवार हैं. जबकि कांग्रेस की ओर से मुनीष तमांग चुनाव मैदान में है. अंतिम समय में इन प्रत्याशियों अथवा दलों की ओर से चुनाव प्रचार में अपनी सारी ताकत झोंक दी गई है.
भाषण, रोड शो, जनता से अपील, उम्मीदवारों द्वारा हम किसी से कम नहीं, जन समर्थन जुटाने की कवायद, पहाड़ के क्षेत्रीय दलों का समर्थन जुटाने की जुगत, विभिन्न क्षेत्रीय दलों के छोटे बड़े नेताओं को एकजुट करने की कोशिश, मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक की रैलियां, एक तरफ तृणमूल प्रत्याशी को जिताने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लेकर अभिषेक बैनर्जी तक ने चुनाव प्रचार किया तो दूसरी तरफ भाजपा प्रत्याशी को जिताने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल के दर्जनों मंत्रियों ने इन क्षेत्रों में चुनाव प्रचार, रोड शो, रैली की है.
आरंभ में चुनाव प्रचार में राजू बिष्ट गोपाल लामा से काफी कमजोर पड़ रहे थे. लेकिन जैसे-जैसे प्रचार आगे बढ़ता गया, राजू विष्ट की स्थिति भी मजबूत होती गई. इस बीच पहाड़ में कुछ आश्चर्यजनक घटनाएं भी घटी है, जो एक तरफ पहाड़ की राजनीति की दशा और दिशा को बताती है तो दूसरी तरफ बिना सिद्धांत और आदर्श के राजनीति करने वाले पहाड़ के कुछ क्षेत्रीय नेताओं की भी पोल खोल देती है. विनय तमांग को कांग्रेस ने 6 साल के लिए पार्टी से निकाल दिया है. भारतीय जनता पार्टी का बागी उम्मीदवार बी पी बजगई पर फैसला आना बाकी है. भाजपा उम्मीदवार राजू बिष्ट के खिलाफ कर्सियांग के भाजपा विधायक बी पी बजगई ने अपने ही पार्टी कैंडिडेट राजू विष्ट के खिलाफ उम्मीदवारी ठोक कर एक तरह से पार्टी से बगावत कर दी है. कयास लगाया जा रहा है कि चुनाव के बाद भाजपा का भी बीपी बज गई पर कुछ ऐसा ही फैसला आने वाला है.
विनय तमांग ने कांग्रेस से बगावत क्यों की? कैसे की? किनके इशारे पर की? जब चुनाव प्रचार खत्म हो रहा था, ठीक उसी समय विनय तमांग ने कांग्रेस को झटका देकर किस दल को फायदा पहुंचाया है? भाजपा उम्मीदवार राजू विष्ट को समर्थन देने का ऐलान करके विनय तमांग राजू विष्ट को कितना लाभ पहुंचाना चाहते हैं? इस कदम का भाजपा को कितना लाभ होने वाला है? इस पर चर्चा करना जरूरी है.नेताओं के बारे में कहा जाता है कि सत्ता सुख और प्रभाव उनकी कमजोरी होती है. हर नेता महत्वाकांक्षी होता है. वह अपनी ताकत बढ़ाना चाहता है. इसके लिए वह रणनीति तैयार करता है. पहाड़ में विनय तमांग का कोई ज्यादा प्रभाव नहीं है. इसलिए यह कहना ठीक नहीं होगा कि विनय तमांग द्वारा राजू विष्ट का समर्थन करने का ऐलान करना राजू बिष्ट को कितना लाभ पहुंचाएगा, पर यह भी सही है कि इसका मनोवैज्ञानिक लाभ भाजपा को जरूर मिलने जा रहा है.
इस बीच तृणमूल कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार गोपाल लामा के समर्थन में पूरी ताकत झोंक रखी है. पहाड़ से लेकर समतल, Dooars सब जगह पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं और स्थानीय नेताओं के द्वारा चुनाव प्रचार, रोड शो किए गए. अंतिम समय में अभिषेक बनर्जी ने गोसाईपुर में जनसभा की. नेता से लेकर अभिनेता तक आए.यानी तृणमूल कांग्रेस ने दार्जिलिंग सीट हथियाने के लिए कोई कोर कसर नहीं रखी है. फैसला 26 अप्रैल को हो जाएगा. इस बीच मौसम विभाग की ओर से 6 राज्यों के 58 निर्वाचन क्षेत्रो में वोटिंग के दौरान हीट वेव चलने के आसार हैं. इनमें पश्चिम बंगाल भी शामिल है. इसलिए मतदान करने के लिए अपने घर से निकलिए तो गर्मी और लू का जरूर ध्यान रखें.
(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)