November 24, 2024
Sevoke Road, Siliguri
लाइफस्टाइल

एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो ?

शादी हमारे संस्कृति का एक अहम हिस्सा है | इस पवित्र बंधन में बंध कर एक पुरुष और स्त्री एक परिवार का सृजन करते हैं | यदि पौराणिक कथाओं की माने तो भगवान शिव और माता पार्वती ने भी इस पवित्र बंधन में बंध कर ही उन्होंने अपने गृहस्ती की शुरुआत की थी | शादी में एक जोड़ा यानी स्त्री और पुरुष अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लेकर शादी करते हैं और पुरुष भी एक स्त्री के मांग में सिंदूर भर, गले में मंगलसूत्र पहनाकर उसे अपनी अर्धांगिनी बनता है | लेकिन अब यह संस्कृति मजाक सी बन गई है, क्योंकि इन दिनों भारत में विदेशी संस्कृति की आंधी आई हुई है | इन विदेशी संस्कृति के सामने शादी-ब्याह का रीती-रिवाज मजाक सा लगने लगा है | क्योंकि जब पुरुष और स्त्री शादी करते हैं, तो पुरुष स्त्री के मांग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र पहना कर उसे अपनी धर्मपत्नी बनता है, लेकिन इन दिनों समलैंग के बीच विवाह का चलन चलने लगा है, जिसमें दो पुरुष आपस में शादी कर रहे हैं, तो इस मामले में महिलाएं भी पीछे नहीं है, महिलाएं भी महिलाओं के साथ शादी कर रही है | इन शादियों में होने वाले रीती रिवाजों को देख कर एक कहावत याद भी आ जाती है ”बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना”

क्योंकि इन शादियों के रीति रिवाज को देखकर लोगों के सर चक्करा जाते हैं और यह सर चक्करा ने वाली घटना मालदा में घटित हुई |
मालदा शहर के इंग्लिश बाजार इलाके के कालीबाड़ी मंदिर में दो युवतियों ने प्रेम भाव से एक-दूसरे को माला पहनाकर और सिन्दूर दान कर विवाह रचाया। और इस घटना के गवाह के तौर पर उस इलाके के कई लोग बने |
स्त्री और पुरुष के बीच होने वाली शादी को पवित्र माना जाता है लेकिन जब यही रिवाज समलैंगन के बीच हो तो यह रिवाज मजाक सा लगता है | ऐसी शादी में एक महिला दूसरी महिला के मांग में सिंदूर भर्ती है और एक महिला ही दूसरे महिला को मंगलसूत्र पहनाती है | यह वही सिंदूर और मंगलसूत्र है जिसे भारत की संस्कृति में पवित्र माना जाता है और समलैंगिक शादियों में सिंदूर और मंगलसूत्र की पवित्रता को तार-तार किया जाता है |
इन शादियों को देख सवाल यह भी उठता हैं कि, समलैंगन के बीच आखिर कौन पुरुष की किरदार में है और कौन स्त्री के किरदार में ? यदि महिला ही महिला की मांग में सिंदूर भरे तो उस शादी का मजाक बनना सामान्य सी बात है | समलैंगिक शादियों में रीती रिवाज भी सामान्य शादियों से अलग होने चाहिए यह हमारा नहीं लोगों का कहना है, ताकि शादी से जोड़ी पवित्रता और संस्कृति दोनों बरकरार रहे |

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